मिट्टी की गुणवत्ता पता करने के लिए सॉइल टेस्टिंग ज़रूरी होती है.
इससे यह पता चल जाता है कि जिस खेत में हम फसल लगा रहे हैं, वह खेती लायक है या नहीं.
इसी को लेकर आईआईटी बॉम्बे में पदस्थ डॉ. राजुल पाटकर ने मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण उपकरण- न्यूट्रीसेंस को बनाया है.
मुंबई की इस IITian ने बनाई ये खास मशीन
भारत एक ऐसा देश है, जहां के हर हिस्से में कुछ ना कुछ उगाया ही जाता है.
यहां की तकरीबन 50 प्रतिशत से ज्यादा की जनसंख्या अब भी अपने जीवनयापन के लिए खेती-किसानी पर निर्भर करती है.
हालांकि, बदलते जमाने के साथ खेती में चुनौतियां भी बढ़ी हैं.
मिट्टी की लगातार कम होती गुणवत्ता इसमें सबसे बड़ी दिक्कत के तौर पर उभर कर सामने आई है.
मिट्टी की क्वालिटी जानने के लिए सॉइल टेस्टिंग ज़रूरी
मिट्टी की गुणवत्ता पता करने के लिए सॉइल टेस्टिंग ज़रूरी होती है.
इससे यह पता चल जाता है कि जिस खेत में हम फसल लगा रहे हैं वह खेती लायक है या नहीं.
इसी को लेकर आईआईटी बॉम्बे में पदस्थ डॉ. राजुल पाटकर ने मिट्टी स्वास्थ्य परीक्षण उपकरण बनाया है.
इसका नाम उन्होंने (न्यूट्रीसेंस) दिया है. यह मशीन 6 मापदंडों पर मिट्टी का परीक्षण करता है.
साथ ही कुछ मिनटों में ही मिट्टी की हेल्थ को लेकर रिजल्ट दे देता है.
कुछ ही मिनट में मिट्टी की हेल्थ बता देगा ये डिवाइस
खेत की मिट्टी को किस उर्वरक की आवश्यकता है. इसके लिए किसान मिट्टी का परीक्षण करते हैं.
हालांकि, इसका परिणाम आने में तकरीबन 15 दिन लग जाते हैं.
वहीं, डॉ. राजुल पाटकर द्वारा बनाया गया न्यूट्रीसेंस महज़ कुछ मिनट में ही परिणाम दे देता है. इससे किसानों को काफी मदद मिलती है.
मिट्टी जांच की ये है प्रकिया
इस डिवाइस के जरिए मिट्टी को टेस्ट करने के लिए सबसे पहले एक ग्राम मिट्टी का उपयोग करके एक नमूना तैयार किया जाता है.
फिर एक छोटी शीशी में 3 मिली का एजेंट घोल डाला जाता है. इसे मिट्टी के साथ मिलाया जाता.
फिर मिट्टी को सख़्त होने के लिए लगभग आधे घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है.
इसके बाद डिवाइस के सेंसर पर घोल की एक बूंद डाली जाती है.
यह डिवाइस सभी छह मापदंडों के लिए मिट्टी का परीक्षण करने में सक्षम है.
इस डिवाइस की मदद से लगभग पांच मिनट में ही मिट्टी जांच का परिणाम सामने आ जाएगा और मिट्टी स्वास्थ्य कार्ड तैयार हो जाएगा.
इसे तुरंत मोबाइल फोन में डाउनलोड किया जा सकता है.
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