मक्का और सब्जी की खेती कर रहे किसान करें ये काम

पूसा की बारिश वाली एडवाइजरी

पूसा ने बारिश के पूर्वानुमान को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को सलाह दी है की सब्जी नर्सरी, दलहनी फसलों और बाकी फसलों में पानी निकलने या जलनिकासी का सही प्रबंधन रखे.

साथ ही खड़ी फसलों और सब्जियों में किसी तरह का छिड़काव करनें से बचें. वहीं जिन किसानों की धान की नर्सरी 20-25 दिन की हो गई हो तो तैयार खेतों में रोपाई शुरू कर दें.

देश में मॉनसून की बारिश जारी है और हर राज्‍य में इसका असर देखा जा सकता है. महाराष्‍ट्र जैसे राज्‍यों में किसानों को भारी बारिश से काफी नुकसान हुआ है और उन्‍हें अब फसलों की दोबारा बुवाई करनी पड़ेगी.

वहीं बारिश के पूर्वानुमान के आधार पर पूसा की तरफ से दलहन, सब्जी और बाकी फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की गई है.

पूसा ने किसानों से इन्‍हें फॉलों करने के लिए कहा है ताकि बारिश के मौसम में उनके खेतों में फसलें सुरक्षित रहें.

 

मक्‍का की इन किस्‍मों की बुवाई

पूसा की एडवाइजरी में मक्‍का किसानों से कहा गया है कि इस मौसम में किसान मक्का फसल की बुवाई मेढ़ों पर करें.

हाइब्रिड किस्में – एएच-421 और एएच-58 और उन्नत किस्में – पूसा कंपोजिट-3, पूसा कंपोजिट-4 बीज किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें.

बीज की मात्रा 20 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर रखें. पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60-75 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 18-25 सेमी रखें.

मक्का में खरपतवार नियंत्रण के लिए एट्राजिन 1 से 1.5 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर 800 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें. साथ ही जल निकासी का सही प्रबंधन रखें.

पूसा के अनुसार यह समय चारे के लिए ज्वार की बुवाई के लिए सही समय है. किसानों को पूसा चरी-9, पूसा चरी-6 या बाकी हाइब्रिड किस्मों की बुवाई करने की सलाह दी गई है.

बीज की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्‍टेयर रखें. साथ ही यह लोबिया की बुवाई के लिए भी सही समय है.

पूसा के अनुसार खरीफ की सभी फसलों में जरूरत के अनुसार निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों का नियंत्रण करें.

इससे खरपतवारों फसलों को कम नुकसान पहुचाएंगे. साथ ही पानी की बचत होती है और जड़ों का विकास भी अच्छे से होता है.

 

मिर्च और बैंगन की नर्सरी

पूसा के अनुसार यह समय मिर्च, बैंगन और फूलगोभी (सितंबर में तैयार होने वाली किस्में) की नर्सरी बनाने के लिए उपयुक्त है.

किसान पौधशाला में कीटों को रोकने में सक्षम नाईलोन की जाली का प्रयोग करें ताकि रोग फैलाने वाले कीटों से फसल को बचा सकें.

पौधशाला को तेज धूप से बचाने के लिए छायादार नेट से 6.5 फीट की ऊंचाई पर ढक सकते है.

बीजों को केप्टान (2.0 ग्राम/ कि.ग्रा बीज) के उपचार के बाद पौधशाला में बुवाई करें. साथ ही जल निकास का सही प्रबंधन रखें.

वहीं जिन किसानों की मिर्च, बैंगन और फूलगोभी की नर्सरी तैयार है, वो मौसम को ध्‍यान में रखते हुए रोपाई की तैयारी करें. कद्दूवर्गीय सब्जियों की वर्षाकालीन फसल की बुवाई करें.

साथ ही लौकी की उन्नत किस्में पूसा नवीन, पूसा समृद्वि, करेला की पूसा विशेष, पूसा दो मौसमी, सीताफल की पूसा विश्वास, पूसा विकास, तुरई की पूसा चिकनी धारीदार, तुरई की पूसा नसदार और खीरा की पूसा उदय, पूसा बरखा जैसी किस्मों की बुवाई मेड़ों पर करें और बेलों को मचान पर चढ़ाऐं. साथ ही जल निकास का उचित प्रबंधन रखे.

 

मिर्च के खेत का रखें ध्‍यान

मिर्च के खेत में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें.

सके बाद इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली./लीटर की दर से छिड़काव साफ मौसम में करें.

इस मौसम में फलों के नए बाग लगाने वाले तैयार गड्डों में पौधे किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदकर रोपाई करें.

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