डेयरी क्षेत्र में क्रांति लाएगी डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना डेयरी उद्योग के लिए क्रांतिकारी कदम है।

योजना के तहत लाभार्थियों को 25 से लेकर 200 दुधारू पशुओं की डेयरी इकाई स्थापित करने के लिए अनुदान एवं बैंक ऋण दिया जाता हैं।

भूमि की यह व्यवस्था पशुओं के आवास, चारे की व्यवस्था और डेयरी के समुचित तरीके से संचालन के लिए जरूरी है।

इसके साथ ही सरकार पशुपालकों/दूध उत्पादकों की प्रोफेशनल ट्रेनिंग को भी महत्व दे रही है, जिससे पशुपालक वैज्ञानिक और आधुनिक पद्धति से अपना डेयरी बिजनेस चला सकें।

पशुपालकों को आर्थिक सहायता देना इस योजना का सबसे आकर्षक पहलू है। परियोजना की कुल लागत पर सरकार द्वारा अनुदान (सब्सिडी) भी दी जा रही है।

 

योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान

योजना के तहत अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के लाभार्थियों को कुल परियोजना लागत का 33 प्रतिशत तथा अन्य सभी वर्गों को 25 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है।

शेष राशि बैंक ऋण के जरिए उपलब्ध कराई जा रही है। इस प्रावधान से बड़े निवेश की बाधा काफी हद तक कम हो जाती है और डेयरी बिजनेस शुरू करना भी आसान हो जाता है। योजना में लाभार्थियों के चयन में पारदर्शिता पर विशेष जोर दिया गया है।

आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन रखी गई है और चयन सामान्यत: पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर ही किया जा रहा है।

साथ ही उन पशुपालकों को भी प्राथमिकता दी जा रही है, जो पहले से ही किन्हीं दुग्ध संघों या सहकारी संस्थाओं को निरंतर दुग्ध आपूर्ति कर रहे हैं।

आवेदन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, भूमि के दस्तावेज, बैंक खाता विवरण, जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) और प्रशिक्षण प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज जरूरी हैं।

इच्छुक आवेदक पशुपालन एवं डेयरी विभाग के आधिकारिक पोर्टल या अपने जिले के पशु चिकित्सा सेवाएं कार्यालय से विस्तृत जानकारी और मार्गदर्शन भी ले सकते हैं।

 

डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना की मुख्य बातें

  • मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना में नवीन घटक के रूप में राज्य सरकार ने 25 अप्रैल 2025 को डॉ. भीमराव अम्बेडकर कामधेनु योजना को मंजूरी दी।
  • योजना के अंतर्गत 25 दुधारू पशु की प्रति इकाई राशि 36 लाख से 42 लाख रुपये तक की इकाई लागत है।
  • योजना में अधिकतम 8 इकाइयों की स्थापना एक हितग्राही द्वारा की जा सकती है। एक इकाई में एक ही नस्ल के गौ-वंश एवं भैंस-वंशीय पशु रहेंगे।
  • हितग्राही के पास प्रत्येक इकाई के लिये न्यूनतम 3.50 एकड़ कृषि भूमि होना जरूरी है।
  • भूमि के लिये परिवार के सामूहिक खाते भी सम्मिलित हैं। इनके लिये अन्य सदस्यों की सहमति भी जरूरी होगी।
  • इकाइयों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि होने पर आनुपातिक रूप से न्यूनतम कृषि भूमि की अर्हता में भी आनुपातिक वृद्धि जरूरी होगी।
  • पात्र हितग्राही को ऋण राशि का भुगतान चार चरणों में किया जायेगा।

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