आखिर होती क्या है MSP जिसे लेकर किसान कर रहे हैं मांग?

किसानों की बात होती है तो MSP का मुद्दा सामने आ ही जाता है. लंबे समय से किसान एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से जुड़ी अपनी मांगों मांग को लेकर प्रदर्शन करते आ रहे हैं.

ऐसे में कई बार कुछ लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि आखिर किसानों को मिलने वाली ये MSP होती क्या है. अब जानें पूरी बात

 

न्यूनतम समर्थन मूल्य

MSP की मांग को लेकर आज कुरुक्षेत्र की पीपली मंडी में किसान रैली कर रहे हैं. कुछ ही दिन पहले MSP को लेकर एक औऱ खबर आई थी.

हालांकि वो खबर खुशी भरी थी क्योंकि उस खबर में केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया था और धान, मूंग-उड़द और बाजरा के न्यूनतम समर्थन मूल्य को बढ़ा दिया था.

एक तरफ खुशी है और एक तरफ आक्रोश. दोनों में जो कॉमन है वो है एमएसपी. और अगर आप भी किसानों को मिलने वाली इस एमएसपी को समझ नहीं पा रहे हैं तो पढ़ें ये एक्सप्लेनर और जानें एमएसपी की पूरी कहानी

 

क्या होती है MSP?

MSP यानी मिनिमम सपोर्ट प्राइस यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य.ये किसानों की फसल की वो कीमत होती है जो सरकार तय करती है.

इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि देश की जनता तक जो भी अनाज पहुंचता है उसे पहले सरकार किसानों से एमएसपी पर खरीदती है औऱ फिर राशन सिस्टम या अन्य योजनाओं के तहत देश के जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है.

उम्मीद की जाती है कि बाजार में भी किसान को फसल का दाम एमएसपी से कम नहीं मिलेगा और वह बिचौलियों के शोषण से बचेगा.

 

कौन तय करता है MSP?

सरकार हर साल रबी और खरीफ सीजन की फसलों की एमएसपी घोषित करती है. यह एमएसपी ( CACP) तय करता है. CACP यानी Commission for Agricultural Costs and Prices. CACP की स्थापना 1965 में हुई थी.

इस समिति में मुख्य रूप से 4 सदस्य होते हैं. इसमें एक अध्यक्ष, एक सदस्य सचिव और दो अन्य सचिव शामिल होते हैं.

CACP समय के साथ खेती की लागत के आधार पर फसलों की कीमत तय करके अपने सुझाव सरकार के पास भेजता है. सरकार इन सुझावों को पढ़ने के बाद एमएसपी की घोषणा करती है.

 

किन फसलों पर मिलती है MSP?

एमएसपी के दायरे में 23 फसलें आती हैं. इसमें अनाज की 7, दलहन की 5, तिलहन की 7 और 4 कमर्शियल फसलें हैं.

इनमें धान, गेहूं, मक्का, जौ, बाजरा, चना, तुअर, मूंग, उड़द, मसूर, सरसों, सोयाबीन, सूरजमूखी, गन्ना, कपास, जूट आदि शामिल हैं.

 

पहली बार कब लागू हुई थी एमएसपी?

भारत में सबसे पहले साल 1966-67 में गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की गई थी.

ब देश में हरित क्रांति की शुरुआत हुई थी और अनाज की तंगी से जूझ रहे देश में कृषि उत्पादन सबसे अहम लक्ष्य था.

इसी के बाद से धीरे-धीरे अलग-अलग फसलें एमएसपी के दायरे में आती गईं.

 

क्या है एमएसपी तय होने और उस पर खरीद की पूरी प्रक्रिया?

हर साल फसलों की बुआई से पहले उसका न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो जाता है. बहुत से किसान तो एमएसपी देखकर ही फसल बुआई करते हैं.

सरकार विभिन्न एजेंसियों जैसे एफसीआई आदि के माध्यम से किसानों से एमएसपी पर अनाज खरीदती है. MSP पर खरीदकर सरकार अनाजों का बफर स्टॉक बनाती है.

सरकारी खरीद के बाद एफसीआई और नैफेड के गोदामों यह अनाज जमा होता है. इस अनाज का इस्तेमाल गरीब लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी राशन प्रणाली (PDS) में वितरण के लिए होता है.

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