हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

किसान अभी सब्जियों की इन उन्नत किस्मों की कर सकते हैं बुआई

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार किसान हित में सलाह जारी की जाती है। इस कड़ी में आईसीएआर के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) की ओर से दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र के किसानों के लिए मौसम आधारित सलाह जारी की गई है, जिसमे बताया गया है कि किसान इन उन्नत किस्मों की बुआई कर सकते है।

 

पूसा संस्थान ने जारी की सलाह

अपनी सलाह में संस्थान ने किसानों को ग्रीष्मकालीन मूंग के साथ ही सब्जियों की विभिन्न किस्में लगाने की बात कही है।

साथ ही किसानों को अनाज के भंडारण से लेकर अभी फसलों में लगने वाले कीट-रोगों ओर उनके नियंत्रण के लिए सलाह दी है।

 

किसान इस तरह करें अनाज का भंडारण

पूसा संस्थान ने किसानों को अनाज के भण्डारण में रखने से पहले भंडार घर की अच्छी तरह सफाई करने तथा अनाज को अच्छी तरह से सुखा लेने एवं कूड़े-कचरे को जला या दबा कर नष्ट करने की सलाह दी है।

इसके अलावा किसानों को भंडार घर की छ्त, दीवारों और फर्श पर एक भाग मेलाथियान 50 ई.सी.को 100 भाग पानी में मिला कर छिड़काव करने की बात कही है।

साथ ही यदि किसान पुरानी बोरियां प्रयोग करते हैं तो उन बोरियों को मेलाथियान व 100 भाग पानी के घोल में 10 मिनट तक भिगो कर छाया में सुखा कर उपयोग करने की सलाह दी है।

संस्थान की ओर से कहा गया है कि किसान इस मौसम में तैयार गेहूँ की फसल की कटाई कर लें।

उसके बाद कटी हुई फसलों को बाँधकर रखे। गहाई के बाद भंडारण से पूर्व दानों को अच्छी तरह से सुखाने के बाद ही भंडारण के लिए रखें।

यह भी पढ़े : कृषि ऋण जमा करने की अंतिम तिथि बढाई गई

 

किसान मूंग की इन किस्मों की करें बुआई

जो किसान ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती करना चाहते हैं वे किसान मूंग की उन्नत किस्मों की बुआई इस समय कर सकते हैं।

इसके लिए किसान मूंग की उन्नत किस्में जैसे पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस.एम.एल.- 32, एस.एम.एल- 668, सम्राट का उपयोग कर सकते हैं।

संस्थान ने किसानों को बुवाई से पहले बीजों को फसल विशेष राईजोबीयम तथा फास्फोरस सोलूबलाईजिंग बेक्टीरिया से उपचारित करने की सलाह दी है।

साथ ही किसान बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी हो यह भी सुनिश्चित कर लें।

 

किसान अभी लगाएं सब्जियों की यह उन्नत किस्में

किसान इस मौसम में विभिन्न सब्जियाँ अपने खेतों में लगा सकते हैं। इसमें किसान फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंण्डी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तुरई (पूसा स्नेह) तथा गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई कर सकते हैं।

इस तापमान में मक्का (अफरीकन टाल) चारे के लिए तथा लोबिया की बुवाई की जा सकती है। बेबी कार्न की एच.एम.-4 की भी बुवाई कर सकते हैं।

संस्थान के मुताबिक इन सब्जियों की बुआई के लिए मौसम अनुकूल है, साथ ही बीजों के अंकुरण के लिए भी यह तापमान अनुकूल है।

किसान उन्नत किस्मों के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से ही खरीदें। किसान बुआई के समय खेत में पर्याप्त नमी हो यह भी सुनिश्चित कर लें।

 

सब्जियों में अभी लग सकते हैं यह कीट एवं रोग

जारी सलाह में संस्थान ने बताया है कि किसान टमाटर, मटर, बैंगन व चना फसलों में फलों/ फल्लियों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव के लिए खेत में पक्षी बसेरा लगाए।

वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें। साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी हेतु फिरोमोन प्रपंश, 2-3 प्रपंश प्रति एकड़ की दर से लगाएं।

यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर ही करें।

फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें।

इस मौसम में बेलवाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है।

यदि रोग के लक्षण दिखाई दे तो कार्बेन्डाज़िम 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें।

बेलवाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हो तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें।

किसान इस मौसम में समय से बोयी गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें।

बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें।

रोग के लक्षण अधिक पाये जाने पर आवश्यकतानुसार डाईथेन एम-45 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव आसमान साफ़ होने पर करें।

यह भी पढ़े : सोसाइटियां खरीदेंगी 30% तक चमक विहिन गेहूं