अधिक पैदावार के लिए किसान इस तरह करें मूंगफली की बुआई

कृषि विभाग ने जारी की सलाह

मूंगफली खरीफ सीजन में लगाई जाने वाली प्रमुख तिलहनी फसलों में से एक है। ऐसे में किसान मूंगफली फसल को कीट-रोग से बचाकर कम लागत में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

इसके लिए ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म द्वारा मूंगफली की खेती के लिए सलाह जारी की गई है।

खरीफ फसलों की बुआई का समय हो गया है, ऐसे में किसान कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को विशेष सलाह दी जा रही है।

इस कड़ी में अजमेर के ग्राहृय परीक्षण केन्द्र तबीजी फार्म की तरफ़ से मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक साझा की गई है।

फार्म के कृषि उप निदेशक मनोज कुमार ने बताया कि मूंगफली खरीफ में उगाई जाने वाली एक प्रमुख तिलहनी फसल है। इसकी बुआई जून के प्रथम सप्ताह से द्वितीय सप्ताह के दौरान की जानी चाहिए।

उप निदेशक ने कहा कि मूंगफली फसल की उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए उन्नत शस्य क्रियाओं के साथ-साथ फसल को कीटों एवं रोगों से बचाना भी अति आवश्यक है। 

मूंगफली की फसल में दीमक, सफेद लट, कॉलर रॉट, टिक्का (पत्ती धब्बा) एवं विषाणु गुच्छा आदि कई अन्य हानिकारक कीट तथा रोगों का प्रकोप होता हैं।

मूंगफली का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को सिफारिश के अनुसार उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए एवं मृदा उपचार व बीजोपचार करना भी बहुत अधिक फायदेमंद रहता है।

किसानों को कृषि रसायनों का उपयोग करते समय हाथों में दस्ताने, मुंह पर मास्क तथा पूरे वस्त्र पहनना चाहिए।

किसान फफूंदनाशी, कीटनाशी से बीजों को उपचारित करने के बाद ही राइजोबियम जीवाणु कल्चर से बीजों को उपचारित करें।

 

मूंगफली को कीट और रोगों से बचाने के लिए करें यह काम

संस्थान के कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. जितेन्द्र शर्मा ने जानकारी दी कि कॉलर रॉट रोग से समुचित बचाव के लिए मृदा उपचार, बीजोपचार एवं रोग प्रतिरोधक किस्मों का उपयोग करना चाहिए।

बुवाई से पूर्व 2.5 किलो ट्राइकोडर्मा 100 किलो गोबर में मिलाकर एक हेक्टेयर क्षेत्र में मिलाएं।

साथ ही कॉर्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थाइरम 37.5 प्रतिशत का 3 ग्राम या मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें।

अगर रासायनिक फफूंदनाशी का उपयोग कम करना हो तो 1.5 ग्राम थाइरम एवं 10 ग्राम ट्राइकोडर्मा से प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

वहीं मूंगफली की फसल को भूमिगत कीटों के समन्वित प्रबंधन हेतु बुवाई से पूर्व भूमि में 250 किलो नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से डालें।

सफेद लट से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ.एस. की 6.5 मि.ली. प्रति किलो बीज या क्लोथायोनिडिन 50 डब्ल्यूडी.जी. 2 ग्राम प्रति किलो बीज को उपचारित करें व बीज को 2 घण्टे छाया में सुखाकर बुवाई करें।

 

इस तरह से बढ़ेगी मूंगफली की पैदावार

संस्थान के कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) कमलेश चौधरी ने बताया कि बुवाई से पूर्व बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने से फसल की पैदावार में बढ़ोतरी होती हैं।

बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित करने के लिए 2.5 लीटर पानी में 300 ग्राम गुड़ को गर्म करके घोल बनाए तथा घोल के ठण्डा होने पर इसमें 600 ग्राम राइजोबियम जीवाणु कल्चर मिलायें।

इस मिश्रण से एक हेक्टेयर क्षेत्र में बोए जाने वाले बीज को इस प्रकार मिलायें कि सभी बीजों पर इसकी एक समान परत चढ़ जायें। इसके पश्चात इन बीजों को छाया में सुखाकर शीघ्र बोने के काम में लें।

 

मूंगफली में खरपतवार का नियंत्रण

कृषि अनुसंधान अधिकारी (शस्य) राम करण जाट ने बताया कि मूंगफली की बुवाई से पूर्व प्रति हेक्टेयर 60 किलो फॉस्फोरस व 15 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव करें।

पोटाश की कमी वाले क्षेत्रों में 30 किलो पोटाश बुवाई से पूर्व डालें।

खरपतवार प्रबंधन के लिए बुवाई के तुरन्त बाद पेन्डीमिथालीन (30 प्रतिशत) और ईगिजाथापर (2 प्रतिशत) उपलब्ध मिश्रित शाकनाशी 800 ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें अथवा पेन्डीमिथालीन (30 प्रतिशत) शाकनाशी एक किलो ग्राम सक्रिय तत्व प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे एवं 30 दिन बाद निराई-गुड़ाई करें।

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