कपास एक नकदी फसल है, जिसकी खेती प्राकृतिक रेशों (5 किस्में) के उत्पादन के लिए की जाती है. किसानों के बीच इसे “सफेद सोना” भी कहा जाता है.
खरीज सीजन लगभग शुरू होने को है और जून के प्रथम सप्ताह से इसकी बुवाई करना किसान शुरू कर देते हैं.
इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार की मिट्टी में की जाती है. आइये कपास की टॉप 5 उन्नत किस्मों के बारे में जानें.
मिलेगा अधिक उत्पादन
कपास भारत की विशेष कृषि फसलों में से एक है. दुनिया में कपास की खेती में भारत दूसरे स्थान का दर्जा रखता है.
कपास एक नकदी फसल है, जिसकी खेती प्राकृतिक रेशों के उत्पादन के लिए की जाती है. आपको बता दें, देश के औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों के लिए कपास की खेती अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
कपास को किसानों के बीच “सफेद सोना” (White Gold) भी कहा जाता है.
खरीज सीजन लगभग शुरू होने को है और जून के प्रथम सप्ताह से इसकी बुवाई करना किसान शुरू कर देते हैं. इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार की मिट्टी में की जाती है.
किसान कपास की खेती करके अपनी आय को दोगुना तक बढ़ा सकते हैं, यदि वह इसकी उन्नत किस्मों की खेती करते हैं.
कपास की खेती
कपास की बुवाई मई-जून में की जाती है. इसकी खेती से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए अनुकूल जलवायु की आवश्यकता होती है.
इसकी खेती के लिए 16 डिग्री और अंकुरण के लिए 32 से 34 डिग्री सेल्सियस तापमान को उपयुक्त माना जाता है.
कपास की खेती के लिए बलुई और बलुई दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है, जो पर्याप्त जल धारण और उचित जल निकास करती हो.
इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच लेवल 5.5 से 6.0 के बीच अच्छा माना जाता है. उत्तरी भारत में कपास की खेती सिंचाई पर निर्भर करती है.
किसानों को इसके खेतों को 1 से 2 गहरी जुताई के बाद 3 से 4 हल्की जुताई करके खेतों में पाटा लगाकर कपास की बुवाई कर देनी चाहिए.
ये हैं कपास की टॉप 5 उन्नत किस्में
सुपरकॉट BGII 115 किस्म
सुपरकॉट BGII 115, को कपास की सबसे उन्नत किस्मों में से एक माना जाता है. इस किस्म की कपास चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु मानी जाती है और किसान इसकी खेती सिंचित व असिंचित दोनों क्षेत्रों में कर सकते हैं.
इस किस्म के कपास की बुवाई मध्यम और भरी भूमि में आसानी से कर सकते हैं. इस कपास की बुवाई करने के बाद लगभग 160 से 170 दिनों में इसकी फसल तैयार हो जाती है.
किसान इस किस्म की कपास की खेती करके प्रति एकड़ से लगभग 20 से 25 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं.
रासी आरसीएच 773 किस्म
रासी आरसीएच 773 किस्म के पौधे आपको एकदम हरे भरे देखने को मिल जाते हैं. कपास की यह किस्म रस चूसने वाले कीड़ों के प्रति सहनशील होती है.
यदि किसान इस किस्म की एक एकड़ में खेती करते हैं, तो 20 से 22 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
इसकी खेती सिंचित और असिंचित दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है.
कपास की यह किस्म हल्की और माध्यम दोनों प्रकार की भूमि के लिए उपयुक्त मानी जाती है.
इंडो उस 936 BGII किस्म
इंडो उस 936 BGII किस्म की खेती से किसान प्रति एकड़ भूमि पर 15 से 20 क्विंटल उत्पादन प्राप्त करते हैं. कपास की यह किस्म भी चूसक कीड़ो प्रति सहनशील है.
किसान इस किस्म की कपास की बुवाई सिंचित और असिंचित दोनों प्रकार के क्षेत्रों में कर सकते हैं. इसकी खेती हल्की और माध्यम भूमि पर आसानी से की जा सकती है.
बुवाई के बाद से इसकी फसल को तैयार होने में 155 से 160 दिनों का समय लगता है.
अजीत 199 BG II किस्म
अजीत 199 BG II किस्म, कपास की सबसे अच्छी किस्मों में से एक मानी जाती है. इस किस्म की कपास चूसक कीड़ो के लिए सहिष्णु होती है.
किसान अजीत 199 BG II किस्म की खेती सिंचित और असिंचित क्षेत्रों में कर सकते हैं. बुवाई के बाद से इसकी फसल को तैयार होने में 145 से 160 दिनों का समय लगता है.
यदि किसान इस किस्म की कपास की खेती एक एकड़ खेती में करते हैं, तो 22 से 25 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.
महिको बाहुबली MRC 7361 किस्म
महिको बाहुबली MRC 7361 किस्म, यह एक मध्यम समय में पकनेवाली किस्म है. किसान इस किस्म की खेती सिंचित और असिंचित क्षेत्र में कर सकते हैं.
इस किस्म के कपास की बोल का साइज एक होता है और इसकी बोल का वजन भी अच्छा होता है.
कपास की यह किस्म चूसक कीड़ो के प्रति सहनशील है. इस किस्म की बोल की ओपनिंग अच्छी होती है और इसकी बोल शाखाओ के पास में लगती है.
यदि किसान एक एकड़ में इस किस्म की कपास की खेती करते हैं, तो 20 से 25 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.