दाल, चावल सहित अन्य कई फसलों के बुआई रकबे में हुई वृद्धि

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने खरीफ फसलों की बुआई से जुड़े आँकड़े जारी कर दिए हैं। इस बार समय से मानसून आने और मानसून सीजन में अब तक हुई अच्छी बारिश से धान सहित अन्य फसलों के बुआई रकबे में वृद्धि दर्ज की गई है।

8 जुलाई 2024 तक खरीफ फसलों के तहत बुवाई क्षेत्र में इजाफा हुआ है और पिछले साल की तुलना में इसमें कॉफ़ी प्रगति हुई है।

 

अच्छे मानसून का दिखा असर

विभाग ने बताया है कि खरीफ फसल की बुवाई 378 लाख हेक्‍टेयर से भी ज्‍यादा क्षेत्र में हुई है। पिछले साल की तुलना में इसमें 14.10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

वहीं दलहनी फसलों या दालों की बुवाई में भी 50 प्रतिशत से ज्‍यादा का इजाफा हुआ है।

 

दाल और चावल के बुआई रकबे में हुई वृद्धि

कृषि विभाग के अनुसार 8 जुलाई 2024 तक देश में 59.99 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चावल की बुआई की गई है, जो पिछले साल इसी समय तक 50.26 लाख हेक्‍टेयर था।

यानि की चावल के बुआई रकबे में लगभग 9 लाख हेक्टेयर से अधिक की वृद्धि हुई है। वहीं बात करें दालों की तो इसके बुआई रकबे में भी लगभग 50 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

पिछले साल इसी समय तक जहां दालों की बुआई 23.78 लाख हेक्टेयर में की गई थी तो वहीं इस साल दालों की बुआई का रक़बा बढ़कर लगभग 36.81 लाख हेक्टेयर हो गया है।

इसमें सबसे अधिक वृद्धि अरहर और उड़द दाल में हुई है। अरहर का बुआई क्षेत्र इस वर्ष 4.09 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 20.82 लाख हो गया है।

 

मोटे अनाजों के बुआई रकबे में आई कमी

सरकार द्वारा मोटे अनाजों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ भी शुरू की गई हैं। इसके बावजूद भी मोटे अनाजों के बुआई रकबे में काफी कमी आई है।

मोटे अनाज (श्री अन्न) का बुआई रक़बा पिछले साल इसी समय 82.08 लाख हेक्टेयर था जो इस साल घटकर 58.48 लाख हेक्टेयर ही रह गया है।

मोटे अनाजों में सबसे अधिक कमी बाजरा और ज्वार की फसलों में आई है। ज्वार का बुआई रकबा 7.16 लाख हेक्टेयर से घटकर इस साल सर्फ़ 3.66 लाख हेक्टेयर रह गया है।

वहीं बाजरे का रक़बा 43.02 लाख हेक्टेयर से घटकर 11.41 लाख हेक्टेयर रह गया है। वहीं मक्के के बुआई क्षेत्र में वृद्धि हुई है।

मक्के का क्षेत्रफल इस साल 30.22 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 41.09 लाख हेक्टेयर हो गया है।

 

तिलहन फसलों के बुआई रकबे में हुई बढ़ोतरी

8 जुलाई तक इस साल तिलहन फसलों के बुआई रकबे में भी वृद्धि हुई है। तिलहन फसलों का बुआई रकबा इस साल पिछले साल की तुलना में 51.97 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 80.31 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

इसमें सबसे अधिक वृद्धि सोयाबीन के बुआई क्षेत्र में दर्ज की गई है। सोयाबीन का बुआई रक़बा इस साल 28.86 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 60.63 लाख हेक्टेयर हो गई है।

जो पिछले साल से लगभग दोगुना है। वहीं मूँगफली, तिल अरंडी जैसी तिलहन फसलों के बुआई रकबे में कमी आई है।

 

गन्ना और कपास के बुआई रकबे में हुई वृद्धि

इस साल कपास के बुआई रकबे में काफी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में कपास का बुआई रक़बा 62.34 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 80.63 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। वहीं गन्ना का बुआई रकबा भी बढ़ा है।

पिछले साल जहां इस समय तक 55.45 लाख हेक्टेयर में गन्ना बोया गया था तो वहीं इस साल इसका रकबा बढ़कर 56.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है।

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