कृषि ऋण बढ़ाने के लिए सरकार की कई तरह की बेहतरीन स्कीम योजनाएं है, जो आज के समय में किसानों के लिए काफी मददगार साबित हो रही है. इसके अलावा कुछ ऐसी भी सरकारी संस्थान है, जो किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद करते हैं.
किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई तरह के महत्वपूर्ण कदम भारत सरकार के द्वारा समय-समय पर उठाए जाते हैं. इसी क्रम में आज हम आपके लिए कुछ ऐसी स्कीम व संस्थानों की जानकारी लेकर आए हैं, जो किसानों की आर्थिक रूप से मदद करती है और साथ ही उनकी आय भी दोगुना करने में सहायक है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि किसानों की आर्थिक रूप से मदद करने में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड का नाम सबसे पहले सुने में आता है.
नाबार्ड की स्थापना भारत सरकार द्वारा बी, शिवरामन समिति की सिफारिश पर की गई थी, जिसका गठन भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1979 में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण की व्यवस्था की समीक्षा के लिए किया गया था.
वह एक वैधानिक निकाय है, क्योंकि इसका गठन संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड अधिनियम 1981 के तहत किया गया था.
जिससे मिलती है लाखों की मदद
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक नाबार्ड 12 जुलाई 1982 को भारतीय रिजर्व बैंक के कृषि ऋण कार्यों तथा तत्कालीन कृषि पुनर्वित्त और विकास निगम( ए आर डी सी ) के पुनर्वित्त कार्यों को स्थानांतरित करके अस्तित्व में आया.
इसे 100 करोड़ रुपए की शुरुआती कोष के साथ स्थापित किया गया था. आज जो पूरी तरह से भारत सरकार के स्वामित्व में है.
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के कार्य
- ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और गैर कृषि गतिविधियों के लिए अल्पकालिक व दीर्घकालिक उद्देश्य के लिए ग्रामीण वित्त संस्थाओं को पुनर्वित्त प्रदान करता है.
- भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित राज्य सरकारी बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों , भूमि विकास बैंक, को वह अन्य वित्तीय संस्थानों को अल्पकालिक मध्यम अवधि और दीर्घकालिक ऋण प्रदान करता है.
- ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास और सहकारी संरचना को मजबूत करने के लिए राज सरकारों को ऋण प्रदान करता है.
- कृषि ऋण और ग्रामीण विकास से संबंधित मामलों पर भारत सरकार, भारतीय रिजर्व बैंक और राज्य सरकारों के नीति निर्माण में सहायता करना.
- ग्रामीण ऋण वितरण प्रणाली को मजबूत करने के लिए सहकारी समितियां और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक का संस्थागत विकास और क्षमता निर्माण करना है.
- क्षेत्रीय ग्रामीण, बैंकों, राज सहकारी बैंकों, और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों का निरीक्षण करना है.
- यह क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और सहकारी समितियां की वित्तीय समावेशन पहल का भी समर्थन करता है.
- आजीविका के अवसरों और सूक्ष्म उद्योगों को बढ़ावा देने पर जोर देता है.
- अनुसंधान और विकास ग्रामीण नवाचारों आदि के लिए सहायता या उसी के लिए एक अनुसंधान और विकास निधि रखता है.
- नाबार्ड ने सन 1992 में एक प्रौद्योगिकी परियोजना सेल्फ हेल्प ग्रुप बैंक लिंकेज कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें कृषि ऋण का संवितरण भी शामिल है.
- नाबार्ड द्वारा सन 2006 में संजोग देयता समूह योजना शुरू की गई थी, ताकि बटाईदारों काश्तकारों किसानों को ऋण प्रवाह बढ़ाया जा सके जिनके पास भूमि अधिकार नहीं है.
किसान क्रेडिट कार्ड योजना
- इस सरकार द्वारा 1998 में किसानों के लिए किसी भी समय कृषि उत्पादों और सेवाओं को ऋण की सहायता से खरीदने के लिए सशक्त बनाने के लिए शुरू किया गया था.
- किसान इन कार्डों का उपयोग बीज उर्वरक कीटनाशक आदि जैसे कृषि आदतों को आसानी से खरीदने और अपनी उत्पादन जरूरत के लिए नकदी निकालने के लिए कर सकते हैं.
- सन 2004 में इस योजना का विस्तार संबंध और गैर कृषि गतिविधियों में लगे किसानों तक कर दिया गया था.
- सन 2018 व 19 में इस योजना का विस्तार मत्स्य पालन और पशुपालन करने वाले किसानों के लिए कर दिया गया था.
- सन 2020 में भारत सरकार ने किसान क्रेडिट कार्ड के लिए एक संशोधित योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य किसानों को उनकी खेती और अन्य जरूरत के लिए लचीली और सरल प्रक्रियाओं के साथ एकल विंडो के तहत बैंकिंग प्राणी से प्राप्त और समय पर ऋण सहायता प्रदान करना है.
- यह एटीएम सक्षम रूप कार्ड एक बार दस्तावेजीकरण निर्धारित सीमा के भीतर कितने भी बार निकासी की सुविधा प्रदान करता है.
- यह योजना वाणिज्यिक बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों लघु वित्त बैंकों, द्वारा कार्यान्वित की जाती है.
किसान क्रेडिट कार्ड के उद्देश्य और उपयोग
- फसल की खेती के लिए अल्प अवधि ऋण आवश्यकताओं को पूरा करना.
- फसल कटाई के बाद के खर्चे,
- फसल उत्पादन विपणन ऋण.
- किसान परिवार की खपत संबंधी आवश्यकताएं.
- कृषि संपत्तियों और कृषि संबद्ध गतिविधियों के रखरखाव के लिए कार्यशील पूंजी.
- कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए निवेश ऋण की आवश्यकता.
पात्र लाभार्थी
छोटे और सीमांत किसान, बंटाईदार, मौखिक पट्टेदार, और काश्तकार किसान, स्वयं सहायता समूह या किसानों के संयुक्त देयता समूह.
किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धियां
- वर्ष में जारी किए गए किसान कार्ड की संख्या लाखों में सन् 2019 व 20 में 109 लाख , सन् 2020 व 21 में 82 लाख , सन् 2021 व 22 में 75 लाख , सन् 2022 व 23 में 48 ,
- आत्मनिर्भर भारत पैकेज के हिस्से के रूप में, सरकार ने 2020 में किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2,5 करोड़ किसानों को एक विशेष संक्षिप्त अभियान के माध्यम से दो लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट बूस्ट के साथ शामिल करने की घोषणा की.
- 2022 व 23 में 11 नवंबर 2022 तक 4 लाख करोड़ रुपए की क्रेडिट सीमा के साथ 377 लाख आवेदन स्वीकृत किए गए.
- भारत सरकार ने मत्स्य पालन और पशुपालन करने वाले किसानों तक किसान क्रेडिट कार्ड सुविधा का विस्तार किया है.
- सन 2018 व 19 में मत्स्य पालन और पशुपालन के क्षेत्र के लिए भी ऐसे कार्डों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है.
- 17 अक्टूबर 2022 तक मत्स्य पालन के क्षेत्र के लिए 1. 00 लाख किसान क्रेडिट कार्ड और पशुपालन के क्षेत्र के लिए 9. 5 लाख (4 नवंबर 2022 तक) स्वीकृत किए गए हैं.