देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इस कड़ी में CSIR राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ और एफपीओ फार्मर प्रोड्यूसर संघ, एनआरएलएम के तत्वावधान में सी.एस.आई.आर-फ्लोरीकल्चर मिशन चरण-2 के तहत ग्वालियर जिले के विद्यांचल कृषि समृद्धि केंद्र ग्राम उदयपुर में मधुमक्खी पालन पर चार दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
मधुमक्खी पालन के लिए दी गई सामग्री
इस कार्यक्रम के माध्यम से 35 से अधिक लाभार्थियों तथा केआरजी कॉलेज की 20 छात्राओं ने मधुमक्खी पालन की बारीकियाँ सीखीं।
कार्यक्रम के अंत में सभी लाभार्थियों को कुल 200 मधुमक्खी बॉक्स, मधुमक्खी पालन से संबंधित टूल किट, प्रशिक्षण मान पत्र निःशुल्क वितरित किए।
समापन कार्यक्रम में कुलपति डॉ. अविनाश तिवारी ने प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।
70 हजार रुपये तोले में बिकता है मधुमक्खी का जहर
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मास्टर ट्रेनर शैलेन्द्र त्यागी, सीईओ विन्ध्याचल देवेंद्र सिंह भदौरिया एवं अन्य विशेषज्ञों द्वारा मधुमक्खी पालन की तकनीकी सरल भाषा में व व्यवहारिक रूप से समझाई।
देवेंद्र भदौरिया ने बताया कि शहद के अतिरिक्त बाइप्रोडक्ट प्रोडक्ट है मधुमक्खी का जहर सोने के बराबर कीमती है।
मधुमक्खी का जहर लगभग 60 से 70 हजार रुपए तोले के हिसाब से बिकता है। इसका उपयोग गठिया के इलाज सहित कई बीमारियों में होता है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों को यह भी बताया गया कि मधुमक्खी से ना केवल मधु ही प्राप्त होता है अपितु उसके अतिरिक्त मधुमक्खी से और भी उत्पाद जैसे प्रोपोलिस, बी.वैक्स, बी.विष और पराग प्राप्त होते हैं जो किसानों की आय में अतिरिक्त वृद्धि का स्रोत हैं।
मधुमक्खी पालन के लिए दिए गए 200 बॉक्स
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने राष्ट्रव्यापी फ्लोरीकल्चर मिशन लॉन्च किया है जिसमें राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान लखनऊ समन्वय संगठन हैं।
मिशन में कई गतिविधियां शामिल हैं जैसे नई फूलों की किस्म का विकास, फूलों की खेती का विस्तार, मधुमक्खी पालन इत्यादि।
एपिकल्चर इंटीग्रेटेड फ्लोरीकल्चर के तहत चयनित राज्यों में प्रतिवर्ष 200 मधुमक्खी बॉक्स वितरित करने का लक्ष्य रखा है।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश में 200 मधुमक्खी बॉक्स 13 सितंबर को वितरित किए गए।
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