फसल बीमा योजना में नई तकनीकों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने किया 824 करोड़ रुपये का प्रावधान

1 जनवरी 2025 यानि की नए साल के पहले दिन मोदी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए कई फैसले लिए हैं।

इसमें सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को 2025-26 में जारी रखने और उसमें नई तकनीकों को बढ़ावा देने का निर्णय महत्वपूर्ण है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 2021-22 से लेकर 2025-26 तक कुल 69,515.71 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दी है।

 

कवरेज में मदद मिलेगी

इसके अलावा, इस योजना के कार्यान्वयन में बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी के समावेश, जिससे बेहतर पारदर्शिता और दावों की गणना एवं निपटारे में आसानी सुनिश्चित होती है, हेतु केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 824.77 करोड़ रुपये की निधि के साथ नवाचार और प्रौद्योगिकी (एफआईएटी) के लिए फंड के निर्माण को भी मंजूरी दी है।

इस निर्णय से 2025-26 तक देश भर के किसानों को नहीं रोके जा सकने योग्य प्राकृतिक आपदाओं से फसलों के जोखिम कवरेज में मदद मिलेगी।

सरकार द्वारा किए गए 824.77 करोड़ रुपये के फंड का उपयोग फसल बीमा योजना के तहत यस-टेक, विंड्स आदि जैसे तकनीकी पहलों के साथ-साथ अनुसंधान एवं विकास संबंधी अध्ययनों के वित्तपोषण के लिए किया जाएगा।

 

क्या है यस टेक तकनीक

प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाली उपज अनुमान प्रणाली (यस-टेक) प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमानों के लिए न्यूनतम 30 प्रतिशत की भारिता (वेटेज) के साथ उपज के अनुमान हेतु रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करती है।

वर्तमान में नौ प्रमुख राज्य (यानी आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु और कर्नाटक) इसे लागू कर रहे हैं।

अन्य राज्यों को भी इस प्रक्रिया में तेजी से शामिल किया जा रहा है।

यस-टेक के व्यापक कार्यान्वयन के साथ, फसल काटने से जुड़े प्रयोग और संबंधित मुद्दे धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे।

यस-टेक के तहत 2023-24 के लिए दावा गणना और निपटान किया गया है।

मध्य प्रदेश ने शत-प्रतिशत प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान की प्रक्रिया को अपनाया है।

 

क्या है विंड्स तकनीक

मौसम संबंधी सूचना और नेटवर्क डेटा प्रणाली (विंड्स) प्रखंड स्तर पर स्वचालित मौसम स्टेशन (एडब्ल्यूएस) और पंचायत स्तर पर स्वचालित वर्षा मापक (एआरजी) स्थापित करने की परिकल्पना करती है।

विंड्स के तहत, हाइपर लोकल मौसम डेटा विकसित करने हेतु वर्तमान नेटवर्क घनत्व में पांच गुना वृद्धि की परिकल्पना की गई है।

इस पहल के तहत, केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा केवल डेटा किराये की लागत का भुगतान किया जाता है।

नौ प्रमुख राज्य विंड्स को लागू करने की प्रक्रिया में हैं (इनमें केरल, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पुडुचेरी, असम, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड और राजस्थान में इस संबंध में कार्य प्रगति पर हैं), जबकि अन्य राज्यों ने भी इसे लागू करने की इच्छा व्यक्त की है।

निविदा से पहले आवश्यक विभिन्न पृष्ठभूमि संबंधी तैयारियों और योजना संबंधी कार्यों के कारण 2023-24 (ईएफसी के अनुसार प्रथम वर्ष) के दौरान राज्यों द्वारा विंड्स को लागू नहीं किया जा सका।

तदनुसार, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 90:10 अनुपात में उच्च केन्द्रीय निधि हिस्सेदारी के साथ राज्य सरकारों को लाभ देने के उद्देश्य से 2023-24 की तुलना में विंड्स के कार्यान्वयन के पहले वर्ष के रूप में 2024-25 को मंजूरी दी है।

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