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इस तरह करेंगे आलू की खेती तो कम लागत में होगी डबल कमाई

 

आलू एक ऐसी सब्जी है, जो हर सब्जी का आधार मानी जाती है और इसलिए आलू को विश्व में चौथी सबसे महत्वपूर्ण सब्जी माना जाता है.

मक्का, धान और गेंहूं के बाद आलू की ही सबसे ज्यादा खेती होती है और इसकी काफी पैदावार भी होती है.

 

आलू से कई किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं और अगर इस खेती में कुछ खास बातों का ध्यान रखा जाए तो किसान भाइयों की इनकम में काफी इजाफा हो सकता है.

 

आलू की वृद्धि को कैसे बढ़ाया जा सकता है, इससे पहले आपको बताते हैं कि बाजार में आलू का कैसा प्रदर्शन है और इस बार आलू की फसल से क्या-क्या उम्मीदें लगाई जा रही हैं.

 

आलू की फसल को लेकर क्या है संभावनाएं ?

पिछले 9 महीनों में 35 फीसदी तक सब्जियों का निर्यात बढ़ा है. साल 2019-20 के अप्रैल से दिंसबर के बीच 15,98,628 टन सब्जियां निर्यात की गई थीं, जबकि 2020-21 में अप्रैल से दिसंबर के बीच 18,82,068 टन सब्जियां निर्यात की गई है.

इस साल आलू की पैदावार में भी काफी बढ़ोतरी हो सकती है. इससे आलू के भाव पर भी असर पड़ रहा है.

अगर मार्च महीने के आखिरी हफ्ते के हिसाब से देखें तो राजकोट में आलू 825 रुपये के करीब बिका जबकि सूरत में 850 रुपये करीब भाव रहा.

वहीं, राजस्थान में 660 रुपये तक रुपये में आलू बिका और राजस्थान की कई मंडियों में आलू के भाव में नरमी रही. उत्तर प्रदेश में भी 650 रुपये के करीब आलू बिका.

 

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मगर माना जा रहा है कि इस बार आलू की पैदावार काफी ज्यादा रह सकती है और इससे आलू के भाव में ज्यादा तेजी नहीं होगी.

ऐसे में कोल्ड स्टोरेज में भी काफी आलू है और जल्द ही अगर भाव बढ़ेंगे तो किसान अपनी खेती को बेच सकते हैं.

 

कैसे करें खेती में बढ़ोतरी ?

आलू की खेती में बुवाई से लेकर मिट्टी तक कई बातों का ध्यान रखना होता है. आलू की बेहतर पैदावार चिकनी और दोमट मिट्टी में होती है.

साथ ही अच्छे जैविक वाली रेतीली मिट्टी में आलू की शानदार पैदावार ली जा सकती है. साथ ही किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के आधार पर उन्नत किस्म का चयन करें.

वैसे तो आलू की 200 से ज्यादा किस्म आती है, लेकिन इसमें कुफरी ज्योति, कुफरी बहार, कुफरी पुखराज, कुफरी अशोका, कुफरी चंद्रमुखी, कुफरी बादशाह, कुफरी सिंदूरी, कुफरी कंचन, कुफरी स्वर्णा आदि शामिल है.

 

साथ ही अच्छी पैदावार के लिए समय पर बिजाई करना आवश्यक है और इस समय 30 डिग्री के आसपास तापमान होना आवश्यक है.

साथ ही बिजाई 25 सितंबर से 10 अक्टूबर के बीच कर देनी चाहिए. इसके अलावा पछेती बुवाई अक्टूबर के तीसरे सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह कर लेना चाहिए.

वहीं, बीजाई करते वक्त पौध से पौध की दूरी 20 सेंटीमीटर तक रखें और कतार से कतार की दूरी 60 सेंटीमीटर तक रखें.

आप इसे आलू के आकार के हिसाब से परिवर्तन करें और 8 सेंटीमीटर तक पौधे रोपें. इसके अलावा सिंचाई आदि का खास ध्यान रखककर आप अच्छी पैदावार कर सकते हैं.

 

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source : www.tv9hindi.com

 

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