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जैविक सरसों की खेती से कर सकते हैं मोटी कमाई

 

रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे सरसों के दाम

 

अगर आप भी सरसों की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पारंपरिक तरीके से हटकर जैविक तरीके से सरसों की खेती करें.

 

भारत की मुख्य तिलहनी फसल सरसों की कीमत इस बार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. फिलहाल कुछ शहरों में सरसों न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक रेट पर बिक रहा है.

मंडियों में इसका औसत रेट 5500 रुपये क्विंटल का चल रहा है, जबकि एमएसपी 4650 रुपये है. इस कारण किसान सरकारी मंडियों में न बेचकर सीधे व्यापारियों को बेच रहे हैं.

किसानों को बढ़े हुए दाम का फायदा मिल रहा है. अगर आप भी सरसों की खेती कर ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं तो पारंपरिक तरीके से हटकर जैविक सरसों की खेती करें. इससे आपको ज्यादा से ज्यादा मुनाफा होगा.

 

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सरसों की खेती मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है. लेकिन खाद्य तेल के रूप में इसका देशभर में उपयोग किया जाता है.

सरसों के तेल में पाए जाने वाले औषधीय गुण के कारण इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. औषधीय गुण के कारण ही सरकार ने सरसों के तेल में अन्य खाद्य तेल मिलाने पर रोक लगा दी है. इसका सीधा फायदा किसानों को होता है.

 

कैसे करें जैविक सरसों की खेती ?

जैविक सरसों की खेती पारंपरिक सरसों की खेती से थोड़ी अलग है. जैविक सरसों की खेती के लिए सबसे पहले आप खते की जुताई करा दें और जमीन को समतल कर दें.

इसके बाद खेत में 5 क्विंटल प्रति बीधा के हिसाब से वर्मी कम्पोस्ट डालें. साथ में जीवामृत और सरसों की खल को दो या तीन तक पानी में डालकर रखने के बाद खेत में डाल दें.

फंगस से बचाव के लिए ट्राइकोडर्मा का इस्तेमाल कर सकते हैं. आपको बीज के चयन का ध्यान रखना होगा. गुणवत्ता वाले बीज का इस्तेमाल करने से खेत उपज ज्यादा होती है.

 

सिंचाई और निराई

बुआई के 20-25 दिन बाद सरसों की सिंचाई कर दें. अगर खेत में खर-पतवार दिख रहे हैं तो सरसों के पौधे जब छोटे हों तो तभी निराई करा दें. निराई के कारण पौधे तेजी से बढ़ते हैं और पैदावार अच्छी मिलती है.

कई लोग दो बार निराई कराते हैं. अगर आपके खेत में खर-पतवार नहीं हैं तो आपको दोबारा निराई कराने की जरूरत नहीं है.

 

फसल तैयार होने के बाद क्या करें ?

फसल तैयार होने के बाद आपके पास दो विकल्प होते हैं. आम तौर पर किसान सीधे सरसों को बेच देते हैं.

अगर आप सरसों को न बेचकर उसका तेल निकालकर बेचें तो लाभ ज्यादा होगा. जैविक तरीके से उगाई गई सरसों के तेल की कीमत अच्छी मिलती है.

 

जैवीक खेती मौजूदा समय की मांग है. जैवीक खेती के चलते किसानों की लागत कम हो रही है, जिससे मुनाफा बढ़ रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण और मिट्टी को भी लाभ पहुंचता है.

अगर आप भी पारंपरिक तरीके से सरसों की खेती करते हैं तो एक बार जैविक तरीका अपनाकर देख सकते हैं. इस विधि से आपका मुनाफा भी बढ़ेगा और आपके खेत की मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी बढ़ेगी.

 

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source : tv9hindi.com

 

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