भारत में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, देश की लगभग आधी जनसंख्या को रोजगार कृषि से ही मिलता है।
देश की अर्थव्यवस्था की आधारशिला और राष्ट्र-निर्माण का प्रमुख चालक कृषि ही बना हुआ है।
यह वित्त वर्ष 2023-24 में मौजूदा कीमतों पर सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 17.7% का योगदान देता है। देश के 328.7 मिलियन हेक्टेयर में से लगभग 54.8% को कृषि भूमि और 155.4% की फसल तीव्रता (2021-22 के लिए भूमि उपयोग सांख्यिकी के अनुसार) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, किसान इस आवश्यक क्षेत्र का आधार हैं।
योजनाए
देश में किसानों की भूमिका खेती से कहीं आगे तक फैली हुई है। किसान ग्रामीण विकास और राष्ट्र-निर्माण के वास्तुकार हैं, खाद्य सुरक्षा प्रदान करते हैं और लाखों लोगों की आजीविका बनाए रखते हैं।
अपनी कड़ी मेहनत और नवाचार के माध्यम से, वे लचीले और समृद्ध भारत को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रीय किसान दिवस क्यों मनाया जाता है?
राष्ट्रीय किसान दिवस 23 दिसंबर को मनाया जाता है जो किसानों के अमूल्य योगदान का उत्सव है।
यह दिन भारत के पांचवें प्रधानमंत्री श्री चौधरी चरण सिंह की जयंती है, जो ग्रामीण मुद्दों की गहरी समझ और किसानों के कल्याण के लिए अटूट वकालत के लिए प्रसिद्ध हैं।
भारत रत्न चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के नूरपुर गांव में हुआ था।
उनकी नीतियां कृषि क्षेत्र में स्थिरता लाने और किसानों की समस्याओं को दूर करने में सहायक रहीं।
किसानों के लिए उनके योगदान को देखते हुए साल 2001 में भारत सरकार ने पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के सम्मान में 23 दिसंबर को राष्ट्रीय किसान दिवस घोषित किया था।
देश में अभी किसानों के लिए चलाई जा रही प्रमुख योजनाएँ
भारत में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए वर्षों से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
इनमें हाल ही में शुरू की गई योजनाएँ जैसे पीएम-किसान, पीएमएफबीवाई, पीएम-केएमवाई, और संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस), किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना और कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) प्रमुख है।
इन योजनाओं का उद्देश्य किसानों को वित्तीय सहायता, बीमा, किफायती ऋण प्रदान करना और बुनियादी ढांचे का विकास, टिकाऊ कृषि प्रथाओं और आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक संसाधनों के साथ किसानों को सशक्त बनाना है।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM–Kisan)
24 फरवरी 2019 को शुरू की गई पीएम-किसान योजना का उद्देश्य देश भर के भूमिधारक किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना है।
इस योजना के तहत, डीबीटी मोड के माध्यम से तीन बराबर, चौ-मासिक किस्तों में किसानों के बैंक खातों में सीधे 6,000 रुपये हस्तांतरित किए जाते हैं।
इसकी शुरुआत से लेकर अब तक भारत सरकार ने 18 किस्तों में 3.46लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि वितरित की है, जिससे 11 करोड़ से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)
वर्ष 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) का उद्देश्य किसानों को किफायती फसल बीमा प्रदान करना है, जो बुवाई से लेकर कटाई के बाद के चरणों में प्राकृतिक प्रतिकूलताओं के जोखिम को कवर करता है, जिससे त्वरित और पर्याप्त मुआवज़ा सुनिश्चित होता है।
अपनी शुरुआत से लेकर अब तक इस योजना ने 68.85 करोड़ किसान आवेदनों का बीमा किया है और 1,65,966 करोड़ रुपए के दावे वितरित किए हैं।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
12 सितंबर 2019 को शुरू की गई प्रधानमंत्री मानधन योजना मासिक पेंशन की पेशकश करके कमजोर किसान परिवारों को सुरक्षा प्रदान करती है।
18 से 40 वर्ष की आयु के किसान इस योजना में मासिक योगदान करते हैं, जिसके बराबर राशि सरकार देती है।
जीवन बीमा निगम (एलआईसी) पेंशन फंड का प्रबंधन करता है। 25 नवंबर 2024 तक, 24.66 लाख से अधिक किसानों ने इस योजना में नामांकन कराया है, जो उनके बुढ़ापे के दौरान वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है।
संशोधित ब्याज अनुदान योजना
संशोधित ब्याज अनुदान योजना के तहत किसानों को 3.00 लाख रुपए तक के ऋण पर 7% ब्याज दर के साथ रियायती अल्पकालिक कृषि ऋण प्रदान किया जाता है, साथ ही समय पर पुनर्भुगतान के लिए अतिरिक्त 3% अनुदान भी मिलता है, जिससे प्रभावी दर 4% रह जाती है।
2014-15 से, कृषि के लिए संस्थागत ऋण प्रवाह 8.5 लाख करोड़ रुपए से लगभग तिगुना बढ़कर 2023-24 तक 25.48 लाख करोड़ रुपए हो गया है।
किसान क्रेडिट कार्ड योजना
साल 1998 में शुरू की गई किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना किसानों को उनकी उत्पादन आवश्यकताओं के लिए कृषि इनपुट और नकदी तक आसान पहुंच प्रदान करती है।
फरवरी 2019 में, रिजर्व बैंक ने कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए पशुपालन और मत्स्य पालन को केसीसी सुविधा प्रदान की। 31 मार्च 2024 तक, 7.75 करोड़ सक्रिय केसीसी खाते हैं।
कृषि अवसंरचना कोष (AIF)
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत 2020 में शुरू की गई कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ) योजना पूरे भारत में अवसंरचना परियोजनाओं को वित्त पोषित करके टिकाऊ कृषि का समर्थन करती है।
यह 9% की अधिकतम ब्याज दर पर 2 करोड़ रुपए तक का ऋण प्रदान करती है, साथ ही 3% वार्षिक ब्याज अनुदान और सात वर्षों तक ऋण गारंटी शुल्क की प्रतिपूर्ति करती है, जिससे लाभार्थियों के लिए वहनीयता सुनिश्चित होती है।
24 नवंबर 2024 तक, एआईएफ के तहत 84,333 परियोजनाओं के लिए 51,448 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं।
मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
साल 2015 में शुरू की गई मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना का उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार करना और कुशल उर्वरक उपयोग को बढ़ावा देना है।
इस योजना के आरंभ के बाद से 24.60 करोड़ से अधिक कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें से 2023-24 में 36.61 लाख कार्ड बनाए गए हैं।
मृदा उर्वरता मानचित्र विकसित करने के लिए सरकार की 2025-26 तक मिट्टी के 5 करोड़ नमूनों का परीक्षण करने की योजना है।
10,000 एफपीओ का गठन और संवर्धन
सरकार ने 2020 में 10,000 किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के गठन और प्रचार के लिए 6,865 करोड़ रुपए के बजट के साथ योजना शुरू की।
अब तक, 26.17 लाख लाभार्थी किसानों को शामिल करके 9,411 एफपीओ का गठन किया गया है, जिसका लक्ष्य सामूहिक खेती को बढ़ाना और बाजार पहुंच में सुधार करना है।
स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 9 अगस्त 2024 को 1,765.67 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम (सीपीपी) को स्वीकृति दी है।
सीपीपी का लक्ष्य रोग-मुक्त रोपण सामग्री प्रदान करके, उपज में वृद्धि के साथ जलवायु-लचीली किस्मों के प्रसार और उन्हें अपनाने का लाभ पहुंचाकर बागवानी फसलों की गुणवत्ता और उत्पादकता को बढ़ाना है।
डिजिटल कृषि मिशन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2 सितंबर 2024 को 2,817 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को अनुमति दी जिसमें केंद्र का हिस्सा 1,940 करोड़ रुपए शामिल है।
इस मिशन की कल्पना डिजिटल कृषि पहलों का समर्थन करने के लिए व्यापक योजना के रूप में की गई है, जिसमें डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (डीजीसीईएस) को लागू करना और केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों द्वारा अन्य आईटी पहल शामिल हैं।
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 25 नवम्बर 2024 को स्टैंडअलोन केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) को स्वीकृति दी।
इस योजना का कुल परिव्यय 2,481 करोड़ रुपये (भारत सरकार का हिस्सा-1,584 करोड़ रुपए; राज्य का हिस्सा – 897 करोड़ रुपए) है।
यह देश भर में रसायन मुक्त, प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करती है।
राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमईओ-तिलहन)
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 3 अक्टूबर 2024 को 10,103 करोड़ रुपए के कुल परिव्यय के साथ राष्ट्रीय खाद्य तेल-तिलहन मिशन (एनएमईओ-तिलहन) को स्वीकृति दी।
इस मिशन का लक्ष्य घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देना और खाद्य तेलों में आत्मनिर्भरता हासिल करना है, जिसे 2024-25 से 2030-31 तक सात वर्ष की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।