मिर्च के पौधे को पर्ण कुंचन रोग से बचाने के लिए किसान करें यह काम

मिर्च की खेती से किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा लेते हैं जिसके चलते किसानों के बीच मिर्च की खेती का रुझान बढ़ा है।

लेकिन बीते कुछ वर्षों से मिर्च की फसल में लगने वाले विभिन्न कीट एवं रोगों के चलते इसके उत्पादन में कमी आई है।

ऐसे में किसान मिर्च की खेती के लिए कुछ वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाकर कीट रोगों से निजात तो पा ही सकते हैं साथ ही अच्छा उत्पादन लेकर मुनाफा भी कमा सकते है।

 

पर्ण कुंचन रोग

इस कड़ी में एमपी के खरगोन जिले के उद्यानिकी विभाग द्वारा मिर्च की फसल को पर्ण कुंचन रोग से बचाने के लिए विशेष सलाह जारी की गई है।

उद्यानिकी विभाग के उप संचालक के. गिरवाल ने मिर्च में पर्ण कुंचन रोक के प्रबंधन के लिए सुझाव दिए हैं।

जिसको अपनाकर किसान मिर्च में पर्ण कुंचन रोग से निजात पा सकते हैं।

 

मिर्च लगाने के लिए खेत कैसे तैयार करें?

किसानों को मिर्च का भरपूर उत्पादन प्राप्त करने के लिए खेत की गहरी जुताई आवश्यक तौर पर करना चाहिए।

इसके साथ ही मेढ़ों को साफ सुथरी रखनी चाहिए यदि खेत के आसपास पुराने विषाणु ग्रसित मिर्च, टमाटर, पपीते आदि के पौधे लगे हुए हों तो उन्हें नष्ट कर देना चाहिए।

किसानों को खेतों में अधिक वर्षा की स्थिति से निपटने के लिए पानी के निकास की उचित व्यवस्था करनी चाहिए।

मिट्टी परीक्षण के अनुसार संतुलित मात्रा में खाद एवं उर्वरकों का उपयोग करना चाहिए।

 

मिर्च के पौधे कैसे तैयार करें

उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को सलाह दी गई है कि पौध शाला को कीट अवरोधक जाली (40-50 मेश कीट अवरोधक नेट) के अंदर तैयार करें।

पौध को प्रो ट्रे में कोकोपीट के माध्यम में तैयार करें। यदि प्रो ट्रे की व्यवस्था नहीं हो तो बीजों की बुवाई के लिए 31 मीटर आकार की भूमि से 10 सेमी ऊंची उठी क्यारी तैयार करे।

मिर्च की पौध शाला की तैयारी के समय 50 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरडी को 3 किलो ग्राम पूर्णतया सड़ी हुई गोबर की खाद में मिलाकर प्रति 3 वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाएँ।

मिर्च के बीज को बुवाई के पूर्व मेटालैक्सिल 31.8 प्रतिशत ई.एस., 2 मिली प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचारित करें।

इसके उपरान्त इमिडाक्लोप्रिड 70 प्रतिशत डब्ल्यएस् 4-6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें।

 

मिर्च के पौध की खेत में रोपाई कैसे करें?

जब पौधशाला में मिर्च के पौधे लगभग 35 दिनों के हो जाएँ तब किसान पौधों की खेत में रोपाई करें।

फसल को रस चसकू कीटों से बचाव के लिए रोपाई के पहले पौध को इमिडाक्लोप्रीड 17.8 प्रतिशत एसएल 0.3 मिली प्रति लीटर पानी के घोल में 20 मिनट तक पौध की जड़ों को डुबाने के बाद खेत में रोपाई करें।

मिर्च के खेतों के आसपास ज्वार, मक्का की दो-तीन कतारे लगाना भी लाभदायक होता है।

खेत में रोग के प्रारंभिक लक्षण दिखने पर पर्ण-कुंचित पौधों को उखाड़कर गढ्ढे में डालकर दबा देना चाहिए।

 

खड़ी फसल में मिर्च को पर्ण कुंचन रोग से कैसे बचाए

मिर्च में पर्ण कुंचन रोग के प्रसार को रोकने के लिए रोगग्रस्त पौधों को देखते ही खेत से उखाड़कर नष्ट करें।

खेत में सफेद मक्खी की निगरानी के लिए पीले प्रपंच (चिपचिपे कार्ड) 10 प्रति एकड़ लगाना चाहिए।

मिर्च में रोपाई के 30 से 35 दिन बाद नीम बीज गिरी सत (एनएसकेई) 5 प्रतिशत या नीम तेल 3000 पीपीएम 3 मिली प्रति लीटर पानी पानी में घोलकर 10 दिन के अन्तराल पर दो बार छिड़काव करें।

मिर्च में लीफ कर्ल रोग वाहक कीट सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पायरी प्रोक्सीफैल 10 प्रतिशत ईसी 200 मिली प्रति एकड़ 120 लीटर पानी या फेनप्रोपेचिन 30 प्रतिशत ईसी 100 से 136 मिली प्रति एकड़ 300 से 400 लीटर पानी या पायरी प्रॉक्सीफैन 5 प्रतिशत प्लस फेनप्रोपचिन 15 प्रतिशत ईसी 200 से 300 मिली प्रति एकड़ 200 से 300 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें।

कीटनाशकों का 14 दिन के अंतराल पर अदल-बदल कर छिड़काव करें।

कीटनाशकों का छिड़काव फल बनने की अवस्था तक ही करें एवं एक ही कीटनाशक का बार बार उपयोग नहीं करें।

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