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लखपति बना देगी बांस की खेती, कम मेहनत में मिलेगा मोटा मुनाफा

आधा खर्च देगी सरकार

 

धरती पर बांस की सबसे ज्यादा खपत होती है. भारत में बांस की 136 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.

बांस को खेत का हरा सोना कहा जाता है.

बांस को बंजर जमीन पर भी लगाया जा सकता है, एक बार बांस लगाने पर आने वाले कई सालों तक आप मुनाफा कमा सकते हैं.

 

बदलते वक्त के साथ खेती के तरीके बदल गए हैं. आज के समय में किसानों का रुझान पारंपरिक फसलों से दूर हटकर नकदी फसलों की ओर बढ़ा है. जो कम लागत व कम मेहनत में ज्यादा मुनाफा देती हैं.

पिछले कुछ सालों से देशभर में बांस की खेती का चलन बढ़ा है.

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार भी बांस की खेती पर विभिन्न प्रकार की सब्सिडी देती है.

बांस का उपयोग मकान निर्माण, हस्तशिल्प, सुगंधित अगरबत्ती, टोकरियां, झूले, पंखे व अन्य सामान बनाने में होता है.

इसलिए साल भर इसकी डिमांड रहती है. ऐसे में बांस की खेती एक अच्छा बिजनेस साबित होगी.

 

संपूर्ण जानकारी

धरती पर बांस की सबसे ज्यादा खपत होती है. भारत में बांस की 136 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं.

बांस को खेत का हरा सोना कहा जाता है. बांस को बंजर जमीन पर भी लगाया जा सकता है, एक बार बांस लगाने पर आने वाले कई सालों तक आप मुनाफा कमा सकते हैं.

अच्छी बात यह है कि बांस की फसल किसी भी मौसम में खराब नहीं होती.

किसानभाई चाहे तो बांस को पूरे खेत में लगा सकते हैं, या खेतों की मुंडेर पर भी बांस को उगाया जा सकता है,

बांस का पौधा 3 से 4 साल में तैयार होता है, इस बीच आप बाकी खेत में अन्य फसलों को उगा सकते हैं.

 

बांस की किस्में

प्रति हेक्टेयर जमीन पर बांस के 600 से 1500 पौधे लगाए जा सकते हैं.

दो पौधे के बीच की दूरी ढाई मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 3 मीटर रखी जाती है.

बांस के पोधों के बीच में खाली बची जगह पर दूसरी फसल भी लगाई जा सकती है.

बांस से मुनाफा कमाने के लिए अच्छी किस्मों का उपयोग करना चाहिए.

बम्बूसा ऑरनदिनेसी, बम्बूसा पॉलीमोरफा, किमोनोबेम्बूसा फलकेटा, डेंड्रोकैलेमस स्ट्रीक्स, डेंड्रोकैलेमस हैमिलटन और मेलोकाना बेक्किफेरा बांस की अच्छी किस्में हैं.

 

उपयुक्त समय

आमतौर पर बांस की नर्सरी मार्च में तैयार की जाती है, लेकिन मानसून के चलते जुलाई में भी इसकी रोपाई होती है.

बांस की खेती के लिए बलुई या दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, मिट्टी का पीएच तापमान 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए.

पूर्वोत्तर भारत और मध्य भारत की जलवायु व भूमि खेती के लिए अनुकूल है. किसान नर्सरी से बांस के पौधे खरीद कर उगा सकते हैं.

समय-समय पर बांस के पौधे की काटाई छटाई करनी चाहिए, यह काम अक्टूबर से दिसंबर के बीच में किया जा सकता है. बांस का पौधा 3-4 साल में तैयार हो जाता है.

 

सरकारी अनुदान

भारत सरकार राष्ट्रीय बांस मिशन के तहत किसानों को सहायता राशि प्रदान करती है.

इसके तहत किसानों को लागत का 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है.

बांस की खेती के लिए 3 साल में एक पौधे पर 240 रुपए खर्च होते हैं, जिसमें 120 रुपए सरकार के द्वारा दिए जाते हैं.

योजना का लाभ लेने के लिए nbm.nic.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.

अपने जिले में तैनात मिशन के नोडल अधिकारी से भी योजना से संबंधित अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

 

कमाई

रोपाई के चार साल बाद बांस की पहली कटाई होती है. बांस की खेती से 4 साल में 40 लाख तक कमाई की जा सकती है.

सबसे पहले बांस के कल्ले की बिक्री होती है और इसे बेचकर हर साल एक एकड़ बांस से 25-30 हजार रुपये कमाए जा सकते हैं.

बांस की खेती के साथ में तिल, उड़द, मूंग-चना, गेहूं, जौ या फिर सरसों की फसल लगाई जा सकती है.

इस फसल से अलग से कमाई ली सकती है. इस तरह से किसान हर साल 50-60 हजार रुपये की कमाई अलग से कर सकते हैं.

 

साल में दो-तीन बार बांस की कटाई-छंटाई करनी पड़ती है. बांस की छोटी टहनियां हरे चारे के रूप में काम में ली जा सकती हैं.

कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि बांस की खेती अन्य फसलों की तुलना में सुरक्षित है, इसके खराब होने का खतरा कम रहता है.

साथ ही बांस की फसल को एक बार लगाकर कई सालों तक इससे उपज ली जा सकती है.

बांस का उत्पादन सही रहे तो 4 साल में बांस से 40 लाख तक की कमाई हो जाती है.

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