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नवंबर महीने में इन 5 फसलों की खेती देगी बंपर मुनाफा

अच्छा लाभ कमा सकते हैं

 

नवंबर का महीना चल रहा है. यह महीना किसानों के लिए काफी अहम होता है.

अक्टूबर मध्य से नवंहर माह के दौरान रबी की फसलें बोई जाती हैं.

किसान भाई इन पांच फसलों की बुवाई कर अच्छा लाभ कमा सकते हैं.

 

नवंबर का महीना चल रहा है. यह महीना किसानों के लिए काफी अहम होता है.

क्टूबर मध्य से नवंबर माह के दौरान रबी की फसलें बोई जाती हैं.

इन फसलों की कटाई फरवरी और मार्च में की जाती है.

रबी की प्रमुख फसलों में आलू, गेंहू, जौ, मसूर, मटर, सरसों, चना शामिल हैं,

वहीं सब्जी फसलों में टमाटर, बैगन, भिंडी, तोरई, लौकी, करेला, सेम, पत्तागोभी, पालक, मेथी, चुकंदर, शकरकंद आदि हैं.

आज इस लेख में हम आपको रबी सीजन की टॉप 5 फसलों के बारे में जानकारी देंगे, जिनसे आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

मटर

मटर रबी सीजन की प्रमुख फसल है, उत्तरप्रदेश सबसे ज्यादा मटर उत्पादन करने वाला राज्य है.

इसके अलावा कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, पंजाब, असम, हरियाणा, उत्तराखंड में भी मटर की खेती की जाती है.

मटर में प्रोटीन, विटामिन व कार्बोहाइड्रेट्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, इसका उपयोग सब्जी व दाल के रूप में होता है.

मटर की खेती का सही समय मध्य अक्टूबर से नवंबर तक है. मटर उत्पादन के लिए मिट्टी का पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए.

मटर की उन्नत किस्में आर्केल, पंजाब 89, लिंकन, बोनविले, मालवीयमटर, पूसा प्रभात, पंत 157 हैं.

मटर की खेती में 1 से 2 सिंचाई की जरूरत होती है. बीज बोने से पहले 2-3 बार जुताई व भूमि को समतल करना जरूरी है.

खरपतवार नियंत्रण के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई व रसायनों का छिड़काव जरूरी है.

 

सरसों

यह रबी सीजन की मुख्य तिलहनी फसल है, अमूमन भारत के सभी स्थानों पर इसकी खेती की जाती है.

लेकिन हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र मुख्य उत्पादक हैं.

सरसों का तेल बनाने के साथ ही इसकी पत्तियों का उपयोग सब्जियों के रूप में होता है.

सरसों की खेती सिंचित और असिंचित, दोनों ही तरह के खेतों में की जा सकती है.

सरसों की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसका पीएच मान 6-7.5 के बीच होना चाहिए.

पूसा बोल्ड, क्रान्ति, पूसा जयकिसान (बायो 902), पूसा विजय सरसों की उन्नत किस्में है. 

सरसों की खेती के लिए 25-30 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है. सरसों की खेती में 2 से 3 सिंचाई करना पड़ती है.

लेकिन फलियों में दाना भरने की अवस्था में सिंचाई नहीं करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई-गुड़ाई करना जरूरी होती है.

 

आलू

आलू रबी सीजन की प्रमुख सब्जी है, इसकी सबसे अधिक खेती मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और पंजाब में होती है.

आलू उत्पादन के लिए दोमट, बलुई मिट्टी उपयुक्त है, जिसका पीएच मान 5.5-5.7 होना चाहिए.

आलू की खेती के लिए राजेन्द्र आलू, कुफरी कंच और कुफरी चिप्ससोना आदि उन्नत किस्मे हैं.

आलू की बुवाई से पहले खेत की 2 से 3 बार जुताई जरूरी है. खरपतवार नियंत्रण करने के लिए निराई-गुड़ाई आवश्यक है.

आलू की खेती में कम सिंचाई की जरूरत होती है.

 

गेहूं

गेहूं रबी सीजन की मुख्य फसल है, उत्तरप्रदेश, पंजाब, हरियाणा प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य हैं. गेहूं में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है.

आज के समय में वैज्ञानिकों ने अधिक प्रोटीन वाली गेहूं की किस्मों को ईजाद किया है, जो अच्छे दामों पर बिकती है.

गेहूं की बुवाई का सबसे अच्छा समय मध्य अक्टूबर से नवंबर तक का है.

गेहूं की उन्नत किस्मों में करण नरेन्द्र, करण वंदना, पूसा यशस्वी, करण श्रिया और डीडीडब्ल्यू 47 आदि शामिल हैं.

जो अच्छा उत्पादन देती हैं. गेहूं की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसका पीएच मान 6-8 होना चाहिए.

बुवाई के समय कम तापमान की जरूरत होती है और फसल पकने के समय शुष्क व गर्म वातावरण की आवश्यकता होती है.

गेहूं की फसल में 3 से 4 सिंचाई की जरूरत होती है और समय पर निराई-गुड़ाई आवश्यक है.

 

चना

यह रबी सीजन की दलहनी फसल है. जिसमें प्रचुर मात्रा में प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं.

मध्यप्रदेश प्रमुख चना उत्पादक राज्य है, इसके अलावा उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान तथा बिहार में भी चने की खेती होती है.

चना उत्पादन के लिए दोमट व मटियारा मिट्टी, जिसका पीएच मान 6-7.5 तक हो, उपयुक्त होती है.

इसकी खेती के लिए मध्यम वर्षा व ठंडे क्षेत्र उपयुक्त होते हैं.

पूसा-256, केडब्लूआर-108, डीसीपी 92-3, केडीजी-1168, जेपी-14, जीएनजी-1581, गुजरात चना-4, के-850, आधार (आरएसजी-936), डब्लूसीजी-1 और डब्लूसीजी-2 आदि चने की प्रमुख उन्नत किस्में हैं.

खरपतवार से बचाने के लिए बुआई के 30-35 दिन बाद निराई-गुड़ाई जरूरी होती है.

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