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बैंगन की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं

ले सकते हैं अधिक उत्पादन

 

किसान बैंगन की खेती से अच्छी कमाई कर सकते हैं. महाराष्ट्र में इस फसल की लगभग 28,113 हेक्टेयर में खेती की जाती है.

 

अक्टूबर व नवंबर का महीना किसानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है.

इन दो महीनों में किसान रबी की फसल की बुवाई करते हैं.

रबी के सीजन में किसानों के पास गेहूं, चना, सरसों, मटर, आलू व गन्ना आदि की फसल बोने का विकल्प होता है.

इसके अलावा किसान इन दिनों में बैंगन की खेती करके भी लाखों रुपए कमा सकते हैं.

बैंगन की फसल दो महीने में तैयार हो जाती है.

 

बैंगन को खरीफ और रबी के साथ-साथ सभी सीजन में पूरे साल उगाया जा सकता है.

बैंगन की खेती मिश्रित फसल के रूप में भी की जाती है. बैंगन का इस्तेमाल डाइट में कई तरह से किया जाता है.

महाराष्ट्र में इस फसल की लगभग 28,113 हेक्टेयर में खेती की जाती है.

 

भूमि और मौसम?

बैंगन शुष्क और गर्म जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है. बादल का मौसम और एक समान वर्षा बैंगन की फसल को प्रभावित नहीं करती है.

13 से 21 डिग्री सेल्सियस के औसत तापमान पर बैंगन अच्छी तरह से बढ़ता है.

 

बैंगन को सभी प्रकार की हल्की से लेकर भारी मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली मध्यम काली मिट्टी में बैंगन तेजी से बढ़ता है.

यदि मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 हो तो फसल की वृद्धि अच्छी होती है. नदी की जलोढ़ मिट्टी में बैंगन का उत्पादन अच्छा होता है.

 

बिजाई का तरीका और बैंगन के बीज

बैंगन का अधिक उत्पादन पाने के लिए बैंगन के बीजों का सही रोपण होना चाहिए.

दो पौधों के बीच की दूरी का ध्यान रखना चाहिए. दो पौधों और दो कतार के बीच की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए.

बीज रोपण करने से पहले खेत की अच्छे तरीके से 4 से 5 बार जुताई करके खेत को समतल करना चाहिए.

फिर खेत में आवश्यकतानुसार आकार के बेड बनाने चाहिए. बैंगन की खेती में प्रति एकड़ 300 से 400 ग्राम बीजों को डालना चाहिए.

बीजों को 1 सेंटीमीटर की गहराई तक बोने के बाद मिट्टी से ढक देना चाहिए.

 

बैंगन की खेती में सिंचाई

बैंगन की खेती में अधिक पैदावार लेने के लिए सही समय पर पानी देना बहुत जरूरी है.

गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन बाद पानी देना चाहिए और सर्दियों में 12 से 15 के अंतराल में पानी देना चाहिए.

कोहरे वाले दिनों में फसल को बचाने के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखें और लगातार पानी दें.

इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बैंगन की फसल में पानी न जमा हो, क्योंकि बैंगन की फसल खड़े पानी को सहन नहीं कर सकती है.

 

खाद और उर्वरक

बैंगन की खेती में मिट्टी की जांच के अनुसार खाद डालनी चाहिए.

अगर मिट्टी की जांच नहीं हो पाती है तो खेत तैयार करने समय 20-30 टन गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए.

इसके बाद 200 किलो ग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए.

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