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मुर्रा भैंस खरीदने के लिए किसानों को मिलेगा 75 प्रतिशत तक का अनुदान

डेयरी प्लस योजना

 

देश में दूध उत्पादन बढ़ाने, डेयरी क्षेत्र में रोजगार सृजन तथा पशु पालकों के आय में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र में कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं।

जिसमें अधिक से अधिक लोगों को योजना से जोड़ने के लिए सरकार द्वारा दुधारू पशु खरीदने एवं डेयरी की स्थापना करने आदि पर सब्सिडी दी जाती है।

इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए नई योजना “डेयरी प्लस” शुरू की है।

योजना के तहत लाभार्थी व्यक्तियों को मुर्रा भैंस खरीदने के लिए अनुदान दिया जायेगा।

 

योजना की शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सीहोर जिले के तालपुरा गाँव से की है, शुरुआत करते वक्त मुख्यमंत्री ने हितग्राहियों को दो मुर्रा भैंस दी।

अभी योजना की शुरुआत राज्य के कुछ जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर की गई है।

इस योजना की शुरुआत से राज्य में मुर्रा भैंसों की संख्या तथा दूध उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।

 

डेयरी प्लस योजना क्या है ?

मध्यप्रदेश सरकार ने डेयरी व्यवसाय से प्रदेश के किसानों की आय में वृद्धि करने और पशुपालन के माध्यम से अधिक से अधिक आय अर्जित कर सकें, इसके लिए मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का शुभारंभ किया गया है।

योजना की शुरुआत अभी पायलेट प्रॉजेक्ट के तौर पर प्रदेश के तीन जिलों सीहोर, विदिशा और रायसेन में की गई है।

योजना के अंतर्गत अभी पहले से ही पशुपालन का कार्य कर रहे पशुपालकों को मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना का लाभ दिया जायेगा, जिसमें लाभार्थी व्यक्ति को मुर्रा भैंसे अनुदान पर उपलब्ध कराई जाएँगी।

 

कितना अनुदान दिया जाएगा

पशुपालन का कार्य कर रहे पशुपालकों को मुख्यमंत्री डेयरी प्लस योजना के तहत दो मुर्रा भैंसे उपलब्ध कराई जा रही है, जिनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता 10 लीटर प्रतिदिन की होती है।

मुर्रा भैंसों की लागत 2 लाख 50 हजार रुपए तक निर्धारित की गई है।

योजना में अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पशुपालकों को राज्य सरकार द्वारा 75 प्रतिशत अनुदान एवं पिछड़ा वर्ग और सामान्य श्रेणी के पशुपालकों को 50 प्रतिशत का अनुदान दिया जाएगा।

स प्रकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पशुपालकों को अंशदान के रूप में मात्र 62 हजार 500 रुपए तथा पिछड़ा वर्ग और सामान्य श्रेणी वालों को 1 लाख 50 हजार रुपए जमा करने होंगे।

इसमें पशुपालकों के आने-जाने का व्यय एवं बीमा आदि की राशि भी शामिल की गई है।

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