गेहूं की नई उन्नत किस्म करण वैष्णवी DBW 303 की खेती की जानकारी

देश में गेहूं रबी सीजन की सबसे मुख्य फसल है, देश के ज्यादातर किसान रबी में गेहूं की खेती करते हैं।

ऐसे में किसान कम लागत में गेहूं की अधिकतम पैदावार प्राप्त कर सकें इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विश्वविद्यालयों के द्वारा गेहूं की नई-नई किस्में विकसित की जा रही है।

इस कड़ी में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान द्वारा गेहूं की नई उन्नत किस्म करण वैष्णवी DBW 303 तैयार की गई है।

गेहूं की यह किस्म 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक की रिकॉर्ड पैदावार देती है।

 

गेहूं की उन्नत किस्म

गेहूं किस्म करण वैष्णवी DBW 303 उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी क्षेत्रों के सिंचित अवस्था में अगेती बुआई के लिए उयुक्त है।

इस किस्म की खेती से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए किसान इसकी खेती समतल उपजाऊ खेत में उपयुक्त नमी होने पर खेत की तैयारी करके बुआई करके कर सकते हैं।

गेहूं की इस किस्म की बुआई के लिए 25 अक्टूबर से 05 नवंबर का समय उपयुक्त है।

 

बुआई के लिए DBW 303 का कितना बीज लगेगा

किसान इस किस्म से अधिकतम पैदावार प्राप्त करने के लिए 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का इस्तेमाल करें।

हीं पंक्तियों के बीच 20 सेमी की दूरी के साथ बुआई की जानी चाहिए।

वहीं गेहूं की फसल को कंडुवा रोग से बचाने के लिये किसानों को वीटावैक्स (कार्बोक्सिन 37.5 प्रतिशत थिरम 37.5 प्रतिशत) प्रति 2 से 3 किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए।

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DBW 303 में सिंचाई

गेहूं की यह किस्म उन क्षेत्रों के लिए है जहां सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो।

गेहूं की फसल को सामान्यतः 5 से 6 सिंचाई की आवश्यकता होती है, जिसमें पहली सिंचाई बुआई के 20-25 दिन के बाद तथा उसके बाद उपलब्ध नमी के आधार पर 25 से 35 दिनों के अंतराल पर गेहूं की फसल में सिंचाई करना चाहिए।

 

इन राज्यों के किसान लगा सकते हैं करण वैष्णवी DBW 303

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित गेहूं की किस्म करण वैष्णवी DBW 303 को भारत के उत्तर पश्चिमी मैदानी क्षेत्रों के सिंचित क्षेत्रों में अगेती बुआई वाली खेती के लिए अधिसूचित किया गया है।

इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झाँसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के कुछ हिस्सों को शामिल किया गया है।

इन क्षेत्रों के किसान इस किस्म की खेती कर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

 

करण वैष्णवी DBW 303 क़िस्म की विशेषताएँ
  • अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना के गेहूं परीक्षणों में इस किस्म की औसत उपज 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गई है जो की HD-2967 एवं HD-3086 से क्रमशः 30.3 प्रतिशत एवं 11.7 प्रतिशत अधिक है।
  • उत्पादन परीक्षणों के तहत इस किस्म द्वारा 97.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की रिकॉर्ड पैदावार क्षमता दर्ज की गई है।
  • इस क़िस्म की पूरे जोन में पैदावार की अच्छी स्थिरता पायी गई है और अधिक उर्वरकों और वृद्धि नियंत्रकों के प्रयोग के लिये अच्छे परिणाम मिले हैं।
  • यह किस्म पीला, भूरा और काला रतुआ की सभी प्रमुख रोगजनक प्रकारों के लिए प्रतिरोधक पायी गई है। इसके अलावा DBW 303 में करनाल बंट (4.2%) एवं गेहूं ब्लास्ट रोग के प्रति अत्यधिक रोगरोधिता पायी गई है।
  • करण वैष्णवी DBW 303 के दानें में उच्च प्रोटीन मात्रा (12.1%), अच्छा चपाती स्कोर (7.9), अधिक गीला व सूखा ग्लूटन मात्रा (34.9% और 11.3 %) और बिस्कुट फैलाव 6.7 सेमी है।
  • अच्छा ब्रेड गुणवत्ता स्कोर (6.4/10), उच्च अवसादन मूल्य (64.8) के कारण यह किस्म गेहूं के कई उत्पादों के लिए बहुत उपयुक्त है।
  • DBW 303 किस्म में औसतन 101 दिनों में बालियाँ निकलना शुरू हो जाती है, वहीं यह किस्म 156 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है।
  • इसके पौधों की ऊँचाई औसतन 101 सेमी तक होती है और इसके 1000 दानों का वजन लगभग 42 ग्राम होता है।

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