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मार्च-अप्रैल के मौसम में बोई जाने वाली मुख्य सब्जियां

मार्च महीना कई मुख्य सब्जी लगाने के लिए उपयुक्त माना जाता है.

बाजार में अच्छे दाम मिल सके, इसलिए मार्च से अप्रैल महीने में कई सब्जियों की बुवाई की जाती है.

ऐसे में चलिए जानते हैं मार्च से अप्रैल महीने के दौरान बोई जाने वाली सब्जी और इनके उन्नत किस्मों के बारे में-

 

उन्नत किस्में

फरवरी महीने की बुवाई करने के बाद किसान मार्च-अप्रैल में बोई जाने वाली सब्जियों की तैयारी करते हैं.

अगर सब्जियों की खेती सही ढंग से और मौसम के अनुरूप की जाए तो अच्छा पैसा कमाया जा सकता है.

लेकिन बहुत बार देखने को मिलता है कि हमारे किसान भाई मौसम के अनुसार सब्जी की खेती का सही चुनाव नहीं कर पाते हैं जिसके कारण उन्हें नुकसान भी झेलना पड़ता है.

ऐसे में अगर किसान भाई सब्जी की बुवाई मौसम के अनुसार करें तो इससे लाखों की कमाई कर सकते हैं.

तो चलिए यहां जानते हैं कि किसान भाईयों को अच्छी पैदावार और बेहतर मुनाफे के लिए मार्च से अप्रैल महीने के दौरान कौन सी सब्जियों की खेती करनी चाहिए और इन सब्जियों की उन्नत किस्में कौन सी हैं.

 

लौकी की खेती

लौकी को कम पानी की फसल माना जाता है, इसलिए आप इसकी खेती मार्च-अप्रैल के महीने में कर सकते हैं. लौकी सेहत के लिए काफी अच्छी मानी जाती है और इसे ठंडा भी माना जाता है.

इसलिए गर्मियों में इसे लोग ज्यादा खाना पसंद करते हैं. इसकी खेती के लिए आपको ज्यादा जमीन की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.

इसकी खेती पहाड़ी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के राज्यों तक की जाती है.

इसकी खेती के लिए गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है.

सीधे खेत में बुवाई करने के लिए बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोकर रखें.

इससे बीजों की अंकुरण प्रक्रिया गतिशील हो जाती है. इसके बाद बीजों को खेत में बोया जा सकता है.

इसकी खेती के लिए उन्नत किस्में पूसा संतुष्टिब‍, पूसा संदेश (गोल फल), पूसा समृध्दि-‍ एवं पूसा हाईबि‍ड 3, नरेंद्र रश्मिी, नरेंद्र शिशिर, नरेंद्र धारीदार, काशी गंगा, काशी बहार हैं.

 

ककड़ी की खेती

गर्मियों में ककड़ी खाना अच्छा माना जाता है. ऐसे में आप मार्च महीने में ककड़ी की बुवाई कर गर्मियों में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

गर्मियों में इसके सेवन से पेट को ठंडक पहुंचती है और साथ ही लू लगने की संभावना भी कम हो जाती है.

इसकी उन्नत खेती के लिए गर्म एवं शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है.

इसकी खेती के लिए उन्नत किस्में अर्का शीतल,लखनऊ अर्ली, नसदार, नस रहित लम्बा हरा और सिक्किम ककड़ी में से किसी का भी चयन कर सकते हैं.

 

धनिया की खेती

मार्च और अप्रैल के दौरान आप धनिया की खेती कर सकते हैं.

क्योंकि इस मौसम में धनिया की आवक कम हो जाती है जिससे आपको बाजार में इसकी ज्यादा कीमत मिल सकती है.

बाजार में इसकी हरी पत्ती को बेच कर आप अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

इसकी खेती के लिए उन्नत किस्म स्वाति किस्म, राजेंद्र स्वाति किस्म, गुजरात कोरिनेडर-1, गुजरात धनिया-2, साधना किस्म है.

भिंडी की खेती

मार्च महीने में किसान भिंडी की अगेती किस्म की बुवाई कर सकते हैं.

गर्मी के मौसम में इसकी आवक कम होने की वजह से दाम काफी बढ़ जाते हैं.

ऐसे में अगर अच्छे और हाईब्रीड बीज को लगाया जाए तब इससे अच्छी पैदावार मिल सकती है.

लेकिन इस बात का ध्यान रखना भी जरूरी है कि भिंडी की खेती के लिए सिंचाई व्यवस्था काफी अच्छी होनी चाहिए.

इसकी खेती किसी भी मिट्टी में की जा सकती है. खेती के लिए खेत को दो-तीन बार जोतकर मिट्टी को भुरभुरा कर लेना चाहिए और फिर पाटा चलाकर समतल कर बुवाई करनी चाहिए.

बुवाई कतार में करनी चाहिए. बुवाई के 15-20 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करना बहुत ज़रूरी है.

इसकी उन्नत किस्में हिसार उन्नत, वी आर ओ- 6, पूसा ए- 4, परभनी क्रांति, पंजाब- 7, अर्का अनामिका, वर्षा उपहार, अर्का अभय, हिसार नवीन, एच बी एच हैं.

 

करेला की खेती

करेले की मांग बाजार में हमेशा ही ज़्यादा रहती है. क्योंकि ये सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है.

गर्मियों में तैयार होने वाली इसकी फसल बहुउपयोगी है. किसान इससे अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.

करेले की फसल को पूरे भारत में कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जाता है.

वैसे इसकी अच्छी वृद्धि और उत्पादन के लिए अच्छे जल निकास युक्त जीवांश वाली दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है.

इसकी उन्नत किस्में इस प्रकार हैं- पूसा हाइब्रि‍ड 1,2, पूसा दो मौसमी, पूसा विशेष, कल्याणपुर, प्रिया को- 1, एस डी यू- 1, कोइम्बटूर लांग, कल्यानपुर सोना, बारहमासी करेला, पंजाब करेला- 1, पंजाब- 14, सोलन हरा, सोलन, बारहमासी.

 

पालक की खेती

मार्च के बाद से गर्मी बढ़ जाती है, इसलिए पालक की मांग गर्मियों में काफी बढ़ जाती है.

लेकिन ज्यादातर किसानों के पास सिंचाई की उत्तम सुविधा नहीं होती हैं इसलिए अधिकांश किसान पालक की खेती नहीं कर पाते.

इसलिए जो भी किसान पालक की खेती करते है उन्हें काफी अच्छा दाम मिल जाता है.

किसान बलुई दोमट मिट्टी में इसकी बुवाई कर सकते हैं. इसके साथ ही मिट्टी को पलेवा कर जुताई के लिए तैयार करें.

इसके बाद हल से एक जुताई कर 3 बार हैरो या कल्टीवेटर चला लें जिससे मिटटी भुरभुरी हो जाए.

अब समतल कर इसमें बुवाई कर सकते हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि किसान कतार में पालक की बुवाई करें.

इसकी उन्नत किस्में पूसा पालक, पूसा हरित, पूसा ज्योति, बनर्जी जाइंट, हिसार सिलेक्शन 23, पन्त का कम्पोजीटी 1, पालक न 51-16 हैं.

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