गर्मियों की सब्जियों की बुआई के लिए यह है सही समय

किसान इस तरह करें बुआई

गर्मी के सीजन में किसान सब्जियों की खेती करके अतिरिक्त आमदनी कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं।

ऐसे में जो किसान इस सीजन में सब्जियां लगाना चाहते हैं वे किसान अभी सब्जियों की बुआई कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा है कि ग्रीष्मकालीन सब्जियों की पौध की तैयारी व बुवाई का यह उपयुक्त समय चल रहा है।

बुवाई 15 फरवरी से 15 मार्च तक कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन सब्जियों लौकी, कद्दू, करेला, तोरई, खीरा, टिण्डा, भिंडी, तरबूज और खरबूज की बुवाई का यह उपयुक्त समय है।

 

किसान इस तरह करें सब्जियों की बुआई का काम

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बेल वाली सब्जियों के लिए बलुई दोमट मिट्टी, जिसका पीएच मान 6 से 7.5 के मध्य हो उपयुक्त होती है।

किसान मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर गोबर की खाद या कम्पोस्ट अथवा रासायनिक उर्वरकों का उपयोग करें।

बुवाई के लिए नालियां या जमीन से उठी हुई क्यारियां तैयार कर लें। खेत में नालियां लगभग 40-50 सेंटीमीटर चौड़ी और 30-40 सेंटीमीटर गहरी बनाएं। दो कतारों में 2 से 4 मीटर की दूरी रखें।

बीज दर खीरा के लिए 2 से 2.5 किलोग्राम, लौकी के लिए 4 से 5 किलोग्राम, करेला के लिए 5 से 6 किलोग्राम, तोरई के लिए 4.5 से 5 किलोग्राम, कद्दू के लिए 3 से 4 किलोग्राम, टिण्डा के लिए 5 से 6 किलोग्राम, तरबूज के लिए 4 से 4.5 किलोग्राम और खरबूज की बीज दर 2.5 किलोग्राम रखें।

रोपाई से पूर्व सब्जियों के बीजों को फफूंदनाशक दवा काबेंडाजिम + मैन्कोजेब 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचार करें।

ज्यादातर बेल वाली सब्जियों में खेत की तैयारी के समय 15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद का प्रयोग करना चाहिए।

नाइट्रोजन 80 किलोग्राम, फॉस्फोरस 50 किलोग्राम, पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

 

ग्रीष्मकालीन भिंडी की खेती

जो किसान गर्मी के सीजन में भिंडी लगाना चाहते वे फ़रवरी से मार्च के दौरान इसकी बुआई कर सकते हैं।

किसान भिंडी की खेती के लिए उन्नत किस्में जैसे परभनी क्रांति, अर्का अभय, वीआरओ-5, वीआरओ-6, अर्का अनामिका आदि क़िस्मों का चयन कर सकते हैं।

पीला मोजेक रोग से बचाव के लिए बीज को बुवाई से पूर्व थायोमिथाक्जाम 30 एफएस मात्रा 10 मिली लीटर या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफएस मात्रा 1.25 मिली लीटर प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।

बुवाई के लिए बीज दर 20 से 22 किग्रा रखें एवं कतार से कतार की दूरी 25-30 सेंटीमीटर, पौध से पौध की दूरी 15 से 20 सेंटीमीटर एवं बीज की गहराई 2 से 3 सेंटीमीटर से अधिक न रखें।

खेत में भिण्डी की बुवाई से पूर्व 2 से 2.5 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिलाएं एवं रसायनिक उर्वरक में नाइट्रोजन 60 किलोग्राम, स्फुर 30 किलोग्राम एवं पोटाश 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

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