हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें

इतनी लंबी लौकी कभी नहीं देखी होगी, जानिए कैसे करते हैं इसकी खेती

किसान भाई नरेंद्र शिवानी प्रजाति की लौकी की खेती कर शानदार कमाई कर सकते हैं.

इस लौकी की खेती के दौरान उन्हें यहां बताई गई बातों का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है.

लौकी सब्जी के अलावा मिठाई, रायता, आचार, कोफ्ता, खीर आदि बनाने में प्रयोग की जाती हैं. इससे कई प्रकार की औषधियां भी बनती हैं.

लौकी खाने में फायदेमंद होने के कारण चिकित्सक भी रोगियों को खाने की सलाह देते हैं.

इन दिनों उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में स्थित मंगलायतन विश्वविद्यालय के कृषि संकाय की तरफ से उगाई गई लौकी आकर्षण का केंद्र बनी है.

कारण यह है कि इसका रंग व स्वाद तो आम लौकी जैसा ही है लेकिन देखने में यह बिल्कुल अलग है.

नरेंद्र शिवानी प्रजाति की लौकी की लंबाई करीब पांच फीट है.

कृषि संकाय के प्राध्यापकों व विद्यार्थियों ने अभी लौकी की इस फसल को बीज प्राप्त करने के लिए तैयार किया है.

इस किस्म की फसल के उत्पादन से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

 

लंबी लौकी

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने बताया कि विश्वविद्यालय में यह लौकी किसानों जागरूक करने एवं शुद्ध बीज तैयार करने के लिए उगाई जा रही है.

उन्होंने बताया कि लौकी एक अनोखी सब्जी है जो औषधि, वाद्ययंत्र, सजावट आदि के रूप में भी प्रयोग की जाती है.

उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय किसानों को जागरूक करने के साथ उन्हें उन्नत किस्मों से बेहतर लाभ कमाने के लिए प्रशिक्षित करेगा.

 

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

वहीं, कृषि विभाग के अध्यक्ष प्रो. प्रमोद कुमार ने बताया कि इस लौकी की फसल की बुआई जुलाई में की गई थी.

इस किस्म का औसत उत्पादन 700-800 कुंतल प्रति हेक्टेयर है.

एक हजार कुंतल प्रति हेक्टेयर तक इसका उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है.

इस किस्म का स्वाद व पोषक तत्व दूसरी प्रजातियों के समान ही होते हैं.

इसमें प्रोटीन 0.2 प्रतिशत, वसा 0.1 प्रतिशत, फाइबर 0.8 प्रतिशत, शर्करा 2.5 प्रतिशत, ऊर्जा 12 किलो कैलोरी, नमी 96.1 प्रतिशत है.

वहीं गोल फलों वाली प्रजाति नरेंद्र शिशिर भी उगाई गई है. दिसंबर तक इसका बीज तैयार हो जाएगा.

 

कैसे करें खेती

इस प्रजाति की लौकी की खेती करने के लिए अच्छे गुणवत्ता वाले लौकी के बीजों का चयन करें.

लौकी के खेत का चयन करते समय अच्छे स्थान का चयन करें.

इसके बीजों को बोने के लिए मार्च-अप्रैल के बीच सही मौसम का चयन करें.

लौकी की पौधों के बीच की दूरी 1.5-2.5 मीटर होनी चाहिए. पौधों को नियमित रूप से पानी दें.

देखे बैटरी से संचालित लहसुन कटिंग मशीन