किसानों के लिए हरा सोना है बांस, घर बैठे ऐसे बढ़ाएं कमाई

किसानों के लिए न केवल एक नई आमदनी का जरिया है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में भी एक बड़ा कदम है.

अगर आप किसान हैं और बंजर भूमि का सही उपयोग करना चाहते हैं, तो यह योजना आपके लिए वरदान साबित हो सकती है.

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बांस, जिसे ‘हरा सोना’ कहा जाता है, अब किसानों और बेरोजगार युवाओं के लिए कमाई का बड़ा जरिया बनता जा रहा है.

केंद्र सरकार का राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) के तहत अब बांस की खेती करने पर सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है.

इस योजना के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती करने पर 50,000 रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है. छोटे किसानों को एक पौधे पर 120 रुपये की सहायता दी जाती है.

 

क्या है राष्ट्रीय बांस मिशन योजना?

राष्ट्रीय बांस मिशन योजना की शुरुआत मोदी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और बंजर भूमि के सही उपयोग के लिए की है. इस योजना का उद्देश्य बांस की खेती और इसके व्यवसाय को बढ़ावा देना है. योजना को सफल बनाने के लिए हर राज्य में डायरेक्टर और जिलों में अधिकारी नियुक्त किए गए हैं. इसमें कृषि, वन और उद्योग विभाग मिलकर काम करते हैं.

 

बांस की खेती के लिए भूमि का चयन

बांस की खेती उन जमीनों पर भी की जा सकती है, जो कम उपजाऊ या बंजर हैं. इससे किसान ऐसी जमीनों से भी अच्छी आमदनी कर सकते हैं.

  • एक एकड़ जमीन में 80 से 100 पौधे लगाए जा सकते हैं.
  • पौधों को 2.5 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है.
  • बांस का पेड़ 4 साल में तैयार हो जाता है.

 

योजना के तहत सब्सिडी और लोन

सरकार बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी और लोन की सुविधा देती है.

50% सब्सिडी (अधिकतम 50,000 रुपये), जो तीन साल में तीन किस्तों में मिलती है:

  • पहले साल: 60%
  • दूसरे साल: 30%
  • तीसरे साल: 10%

एक पौधे पर 120 रुपये तक की सब्सिडी छोटे किसानों को दी जाती है. नॉर्थ ईस्ट के अलावा अन्य राज्यों में खेती की लागत में 50% किसान और 50% सरकार का हिस्सा होता है. नॉर्थ ईस्ट में 60% सरकार और 40% किसान का शेयर होता है.

 

बांस की खेती के फायदे

बांस को ‘हरा सोना’ कहा जाता है, और यह खेती किसानों के लिए कमाई का एक टिकाऊ और पर्यावरण अनुकूल जरिया बनती जा रही है. नीचे इसके प्रमुख लाभ दिए गए हैं:

1. कम पानी और मेहनत में तैयार

बांस की खेती कम लागत में तैयार होती है और हर साल दोबारा पौधे लगाने की जरूरत नहीं होती.

2. 4 साल में शुरू होती है कमाई

एक हेक्टेयर में 1500 से 2500 पौधे लगाए जा सकते हैं. 4 साल बाद एक हेक्टेयर से 3 से 3.5 लाख रुपये सालाना कमाई संभव है.

3. अन्य फसलों के साथ भी खेती संभव

बांस की खेती के बीच की खाली जगह में किसान दूसरी फसलें भी ले सकते हैं.

4. पर्यावरण की रक्षा में मददगार

बांस की पत्तियां पशुओं के चारे के रूप में काम आती हैं. इससे लकड़ी की कटाई कम होती है और पर्यावरण की रक्षा होती है.

 

कैसे करें आवेदन?

बांस मिशन योजना में शामिल होने के लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना होता है:

  • सबसे पहले NBM की वेबसाइट (https://nbm.nic.in/) पर जाएं.
  • होमपेज पर ‘Farmer Registration’ लिंक पर क्लिक करें.
  • रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरें: राज्य, जिला, तहसील और गांव चुनें. नाम, मोबाइल नंबर, ईमेल, किसान कैटेगरी भरें. आधार और बैंक खाते की जानकारी दें.
  • सबमिट करते ही आपका पंजीकरण पूरा हो जाएगा.

 

मध्यप्रदेश में बांस मिशन की स्थिति
  • वर्ष 2020 में मध्यप्रदेश सरकार ने 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस लगाने का लक्ष्य रखा.
  • इसमें से 2400 हेक्टेयर वन विभाग और 1600 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है.
  • कुल 17.56 लाख बांस पौधे लगाए गए.
  • योजना पर 25 करोड़ रुपये खर्च किए गए.
  • मजदूरों की वार्षिक आय 12 से 19 हजार रुपये तक बढ़ी है.

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