MP News: मध्य प्रदेश में 15 अगस्त से “एक बगिया माँ के नाम” अभियान शुरू होगा. इस परियोजना के तहत 30 हजार महिला किसानों की ज़मीन पर 30 लाख फलदार पौधे लगाए जाएंगे.
सरकार की यह पहल महिला सशक्तिकरण और हरियाली दोनों को एकसाथ बढ़ावा देगी.
देश में महिला सशक्तिकरण को लेकर कई अभियान और प्रोजेक्ट्स चलाए जा रहे हैं.
केंद्र और राज्य सरकारें दोनों अपने स्तर पर इस दिशा में काम कर रहे हैं. इसी क्रम में केंद्र सरकार स्व सहायता समूह (SHG) से जुड़ी महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने के लिए देशभर में ज्ञान अभियान चलाया जा रहा है.
वहीं, अब मध्य प्रदेश सरकार ने पीएम मोदी की एक पेड़ मां के नाम पहल से प्रेरणा लेते हुए राज्य में ‘एक बगिया मां के नाम’ प्रोजेक्ट की घोषणा की है. यह प्रोजेक्ट 15 अगस्त से शुरू होगा और इसमें महिलाओं को शामिल किया जाएगा.
मनरेगा के माध्यम से चलेगी परियोजना
सीएम डॉ. मोहन यादव ने जल गंगा संवर्धन अभियान के समापन के मौके पर स्व सहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए बड़ा ऐलान किया है.
यह परियोजना मनरेगा के माध्यम से चलाई जाएगी, जिसमें राज्य की 30 हजार से ज्यादा स्व सहायता समूह से जुड़ी पात्र महिलाओं को उनकी निजी भूमि पर 30 लाख से जयादा फलदार पौधे लगाने का मौका दिया जाएगा.
यह परियोजना महिलाओं की आर्थिक तरक्की का आधार बनेगी.
30 हजार एकड़ निजी जमीन पर लगेंगे बाग
एक बगिया मां के नाम परियोजना के तहत 30 हजार एकड़ निजी जमीन पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे. इसमें करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत आएगी.
प्राेजेक्ट के तहत स्व सहायता समूह की चयनित महिलाओं को पौधे, खाद, गड्ढे खोदने के साथ ही पौधों की सुरक्षा के लिए कटीले तार की फेंसिंग और सिंचाई के लिए 50 हजार लीटर का जल कुंड बनाने के लिए राशि दी जाएगी.
साथ ही उन्हें उद्यान के विकास के लिए ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
बिना जमीन वाली महिलाओं को भी मौका
राज्य सरकार की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक ‘एक बगिया मां के नाम’ परियोजना के तहत राज्यभर में 15 अगस्त से 15 सितंबर तक फलदार पाैधे लगाए जाएंगे.
इसके लिए फलदार पौधे लगाने की इच्छुक महिलाओं का चयन किया जाएगा. इसमें आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूह से महिला सदस्यों को चयन किया जाएगा.
इस प्रोजेक्ट का लाभ वे महिलाएं भी ले सकती हैं, जिनके पास खुद के नाम पर जमीन नहीं है.
ऐसी स्थिति में महिला अपने पति, पिता, ससुर या पुत्र के नाम की रजिस्ट्री वाली जमीन पर बाग लगा सकती हैं. इसके लिए उन्हें पति-पिता-ससुर-पुत्र से सहमति लेनी होगी.
सॉफ्टवेयर की ली जाएगी मदद
परियोजना में पौधे लगाने के लिए जगह के चयन के लिए अत्याधुनिक तकनीक (सिपरी सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल किया जाएगा.
सिपरी सॉफ्टवेयर के जरिए चयनित हितग्राही की जमीन का परीक्षण किया जाएगा.
वहीं, तकनीक से पता लगाया जाएगा कि वहां जलवायु के लिहाज से कौन-सा फलदार पौधा जमीन के लिए सही है और पौधा किस समय और कब लगाया जाएगा, इसकी जानकारी भी सिपरी सॉफ्टवेयर से हासिल की जाएगी.
अगर चयनित लाभार्थी की जमीन सही नहीं पायी जाती है तो वहां पौधे नहीं लगाए जाएंगे.
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