मसूर में 625 रुपये का इजाफा
सरकार ने शुक्रवार को चना, मसूर, गेहूं और सरसों के समर्थन मूल्य की घोषणा कर दी है। चना, मसूर 5100 रुपये प्रति क्विंटल समर्थन मूल्य पर खरीदा जाएगा, जबकि गेहूं का समर्थन मूल्य 1975 रुपये तय किया गया है।
इसके अलावा सरसों 4650 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा जाएगा। चना, मसूर बोने वाले किसान समर्थन मूल्य को लेकर खुश हैं तो वहीं गेहूं बोने वाले किसानों के हाथ निराशा लगी है। क्योंकि पिछले साल के मुकाबले गेहूं के मूल्य में महज 50 रुपये की वृद्धि की गई है।
पिछले साल गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपये था। किसानों को उम्मीद था कि इस साल समर्थ मूल्य दो हजार रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा रहेगा। लेकिन सरकार ने गेहूं के मूल्य में सिर्फ 50 रुपये की वृद्धि कर 1975 रुपये समर्थन मूल्य तय किया है।
जबकि पिछले साल सरकार ने चना 4800 रुपये और मसूर 4475 रुपये प्रति क्विंटल खरीदा था। इस साल चना के मूल्य में 300 रुपये का इजाफा कर समर्थन मूल्य 5100 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
इसके अलावा मसूर के समर्थन मूल्य में सबसे ज्यादा 625 रुपये की वृद्धि की गई है। इसके अलावा सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रुपये कर किसानों सरसों की खेती करने वाले किसानों को राहत देने के प्रयास किया गया है।
रबी फसल के समर्थन मूल्य को लेकर कुछ किसान खुश हैं तो कुछ निराश हैं। खासतौर से जिन किसानों ने चना, मसूर के स्थान पर गेहूं बोया है उन्हें ज्यादा नुकसान है। क्योंकि गेहूं का समर्थन मूल्य उम्मीद से कम है।
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सबसे ज्यादा गेहूं का रकबा
गेहूं के समर्थन मूल्य को लेकर किसान पुष्पेंद्र ठाकुर ने कहा कि मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गेहूं खेती होती है। बीना तहसील में तो लगभग 50 प्रतिशत रकबा में गेहूं बोया जाता है।
इस साल सबसे ज्यादा गेहूं का रकबा करीब 18 हजार हेक्टेयर है। गेहूं बोने वाले किसानों को उम्मीद थी कि इस साल गेहूं का समर्थन मूल्य 2 हजार रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा होगा, लेकिन सरकार ने सिर्फ 50 रुपये का इजाफा किया है। इसके चलते गेहूं की खेती करने वाले किसान निराश हैं।
सरकार ने पंजीयन की तारीख बढ़ाई
समर्थन मूल्य पर चना, मसूर और गेहूं बेचने वाले किसानों के लिए बड़ी राहत दी है। पहले पंजीयन की तारीख 20 फरवरी था, लेकिन शुरूआत में पंजीयन न होने के कारण कई किसान पंजीयन नहीं करा पाए थे।
इसके चलते सरकार पंजीयन की तारीख 25 फरवरी कर दी है। इससे उन किसानों को राहत मिली है जो पहले पंजीयन नहीं करा पाए थे, ऐसे किसान अब पंजीयन केंद्र पर जाकर पंजीयन करा रहे हैं।
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source : naidunia
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