किसान इस तरह करें नैनो डीएपी खाद का उपयोग

कम लागत में मिलेगा बेहतर उत्पादन

खरीफ सीजन 2025 में किसान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की जगह नैनो डीएपी, एसएसपी एवं एनपीके खाद का उपयोग कर सकते हैं।

इसके लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के कृषि वैज्ञानिकों ने धान की फसल में नैनो डीएपी के उपयोग की सलाह दी है।

जिससे धान उत्पादन की लागत में कमी तो आएगी ही साथ ही किसानों को बेहतर उत्पादन मिलेगा।

देश के कई राज्यों में डीएपी की कमी को पूरा करने के लिए सरकार द्वारा वैकल्पिक खाद-उर्वरक की व्यवस्था की जा रही है ताकि किसान समय पर फसलों की बुआई कर सकें।

इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा खरीफ सीजन 2025 के दौरान डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) की कमी को ध्यान में रखते हुए राज्य शासन ने इसके व्यवहारिक विकल्प के रूप में नैनो डीएपी के भंडारण एवं वितरण की विशेष व्यवस्था की है।

इसके साथ ही एनपीके और एसएसपी जैसे वैकल्पिक उर्वरकों का भी लक्ष्य से अधिक मात्रा में भंडारण कराया गया है।

खेती में ठोस डीएपी उर्वरक की कमी को पूरा करने के लिए किसानों को उसके विकल्प के अनुरूप कृषि वैज्ञानिकों के सुझाव के अनुरूप नैनो डीएपी अथवा एनपीके और सिंगल सुपर फास्फेट खाद की मात्रा का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है।

 

नैनो डीएपी के उपयोग से खेती की लागत होगी कम

हाल ही में विकसित नैनो डीएपी एक आधुनिक, किफायती और प्रभावशाली तरल उर्वरक है। जो पारंपरिक डीएपी की तुलना में कहीं अधिक उपयोगी और पोषक तत्वों से भरपूर है।

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के वैज्ञानिकों ने नैनो डीएपी का समर्थन करते हुए कहा है कि इसके उपयोग से खेती की लागत में कमी आती है।

नैनो डीएपी खेत में पोषण की कमी को प्रभावी ढंग से पूरा करता है और उत्पादन की गुणवत्ता को भी बढ़ाता है।

नैनो डीएपी पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित है। एक एकड़ धान की फसल के लिए एक बोरी ठोस डीएपी का उपयोग होता है।

जिसकी लागत 1350 रूपए होती है, जबकि एक एकड़ में 25 किलो ठोस डीएपी और 500 मिली नैनो डीएपी के मिश्रण का उपयोग किया जाए तो इसकी लागत घटकर 1275 रूपए आती है।

 

किसान इस तरह करें नैनो डीएपी का छिड़काव

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने एक एकड़ धान की खेती के लिए नैनो डीएपी की उपयोग की विधि की विस्तार से जानकारी दी है। इसके अनुसार नैनो डीएपी की मात्र साढ़े 600 मिली मात्रा एक एकड़ धान की खेती में लगती है।

धान की बुआई से पहले एक एकड़ के लिए 30 किलो बीज को 150 मिली नैनो डीएपी को तीन लीटर पानी में घोलकर उसमें बीज उपचारित कर आधा घंटा छाया में सुखाने के बाद बुआई की जाती है।

रोपाई के समय 50 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी को मिलाकर उसमें थरहा की जड़ों को आधा घंटा डूबाकर रखने के बाद रोपाई तथा फसल बुआई के तीस दिन बाद 125 लीटर पानी में 250 मिली नैनो डीएपी को घोलकर खड़ी फसल पर इसका छिड़काव करना होता है। इससे फसलों को पोषक तत्व मिल जाते है।

नैनो डीएपी फसलों को भरपूर मात्रा में पोषक तत्व प्रदान करने के लिए बेहतर विकल्प है। इसका पारंपरिक डीएपी के मुकाबले लागत कम और प्रभाव अधिक है।

पारंपरिक डीएपी की एक बोरी की कीमत लगभग 1350 रूपए होती है, वहीं नैनो डीएपी की एक बोतल से कई एकड़ भूमि को लाभ पहुंचाया जा सकता है। यह स्प्रे के माध्यम से सीधे पौधों पर छिड़का जाता है, जिससे पोषक तत्वों का त्वरित अवशोषण होता है।

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