चने की नई किस्म पूसा मानव डेवलप हो रही, इसमें नहीं लगेंगी बीमारियां

चने की प्रचलित किस्मों में वर्तमान में कई तरह के रोग लग रहे हैं और उनमें प्रोडक्शन भी कम होने लगा है।

इससे चिंतित किसानों के लिए अच्छी खबर है। कृषि विज्ञान केंद्र धार द्वारा चने की नई किस्म पूसा मानव तैयार की जा रही है।

यह वर्तमान में प्रचलित किस्मों में से उत्रत होगी। खास बात यह है कि इसमें विल्ट यानी सूखने की बीमारी नहीं लगेगी।

इसका बीज केवीके फार्म में तैयार किया जा रहा है।

कृषि विज्ञान केंद्र में इस नई किस्म को तैयार किया जा रहा, अगले साल से किसानों को दी जाएगी

 

उत्पादन भी 20 क्विं. प्रति हेक्टेयर होगा

इस बार यहां पर चने का बीज तैयार किया जा रहा है। जिसे अगले साल जिले के किसानों को दिया जाएगा।

फसल वैज्ञानिक डॉ. जीएस गाठिये ने बताया कि इस किस्म को राष्ट्रीय दलहन अनुसंधान संस्थान से लेकर राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय लाया गया था।

जिसे धार के कृषि विज्ञान को बीज बनाने के लिए विश्व विद्यालय से दिया गया है। इस बारफार्म में इस बीज को लगवाया गया है। जिसका प्रोडक्शन किया जा रहा है।

प्रयोग के तौर पर इसका प्रोडक्शन दलहन अनुसंधान संस्थान द्वारा किया जा चुका है। जिसका प्रोडक्शन प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल तक हो रहा है।

इसकी खास विशेषता यह है कि इसमें विल्ट यानी सूखने की बीमारी नहीं लगती है। इस बार बीज बनने के बाद जिले में अलग-अलग क्षेत्रों में किसानों को थोड़ा-थोड़ा दिया जाएगा।

किसान इससे अलगे साल प्रोडक्शन लेंगे। यदि किसान संतुष्ट होंगे तो वे अगली बार इसकी बोवनी करेंगे और इसका रकबा बढ़ाया जाएगा।

 

कीट और इल्ली का प्रकोप कम, इससे लागत घटेगी

चने में सबसे बड़ी समस्या कीट और इल्लियों की होती है। जिसके लिए किसानों को हजारों रुपए खर्च कर कीटनाशक और दवाइयां डलवाना पड़ती हैं।

लेकिन पूसा मानव किस्म की विशेषता है कि इसमें इल्ली और कीटों का प्रकोप कम रहता है। इसके कारण किसानों को फसल की देखभाल के लिए ज्यादा राशि खर्च नहीं करना पड़ेगी।

डॉ. गाठिये के अनुसार फसल पर कम खर्च होगा। इससे लागत घटेगी और उत्पादन अच्छा रहेगा तो किसानों का लाभ भी ज्यादा मिलेगा।

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