भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की 96वीं वार्षिक आम बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उर्वरकों की सही एमआरपी तय करने एवं उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच करने के लिए यंत्र बनाने की बात कही।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में 7 जुलाई के दिन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की 96वीं वार्षिक आम बैठक का आयोजन किया गया।
बैठक में 18 से ज्यादा केंद्रीय एवं राज्य मंत्री शामिल हुए। इस बैठक में आईसीएआर के महानिदेशक डॉ.एम.एल. जाट ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वार्षिक प्रतिवेदन 2024-2025 का प्रस्तुतिकरण एवं अंगीकृत करने का संकल्प पढ़ा।
बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वार्षिक रिपोर्ट 2024-25 जारी की गई। साथ ही कृषि एवं प्रौद्योगिकी संबंधित चार पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
इसके बाद सभी मंत्रियों ने बैठक को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने भारत के खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति को लेकर प्रसन्नता जाहिर की।
बैठक में सभी मंत्रियों ने एकस्वर में भविष्य में खेती और किसान समृद्धि की दिशा में एकजुट होकर सार्थक प्रयास करने की प्रतिबद्धता भी जताई।
बैठक में केंद्रीय कृषि मंत्री ने फसल औषधि केंद्र के विचार को आगे बढ़ाने की भी बात की।
साथ ही विभिन्न राज्यों के मंत्रियों से प्रसांगिक योजनाओं को जारी रखने और अप्रासंगिक योजनाओं को खत्म करने और नई योजनाओं के शुरू होने को लेकर सुझाव भी आमंत्रित किए।
उर्वरकों के एमआरपी पर किया जाएगा काम
केंद्रीय कृषि मंत्री ने इस अवसर पर कहा कि सोयाबीन, दलहन, तिलहन में अभी और अधिक शोध व काम की जरूरत है।
गेहूं, चावल, मक्के के साथ-साथ दलहन, तिलहन व अन्य फसलों के उत्पादन में वृद्धि को लेकर तेजी से प्रयास करने होंगे।
जिसके लिए राज्यवार एवं फसलवार कार्य-योजना बनाई जाएगी। उन्होंने कहा कि कल मैंने मध्य प्रदेश में सोयाबीन की खेती का निरीक्षण किया।
जहां खराब बीज की गंभीर समस्या देखने को मिली। खराब बीज के कारण अंकुरण ही नहीं हो पाया था। जिसके बारे में मैंने त्वरित जांच के आदेश दे दिए हैं।
अमानक बीज, खाद और उर्वरक बेहद गंभीर विषय है, जिसे लेकर भी सरकार जल्द ही कड़ा कानूनी प्रावधान लाएगी।
उर्वरकों के एमआरपी पर भी काम करने की जरूरत है। उर्वरक की सही कीमत तय होनी जरूरी है।
उर्वरक की जांच के लिए बनाया जाए यंत्र
केंद्रीय कृषि मंत्री ने वैज्ञानिकों से आह्वान करते हुए कहा कि प्रौद्योगिकी के और बेहतर इस्तेमाल के साथ किसानों की मांग के अनुरूप और आधुनिक खेती के उपकरण बनाने की दिशा में प्रयास करें।
हाल ही के एक अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि एक किसान द्वारा ऐसे उपकरण बनाने की मांग की गई थी, जो उर्वरकता की जांच कर सके।
ऐसा उपकरण जो बता सके कि तय मापदंड के अनुसार उर्वरक की गुणवत्ता सही है या नहीं, उर्वरक उपयोगी है या नहीं।
ऐसे ही कई विचार कृषकों से चर्चा के दौरान सामने आते हैं, जिसे आधार बनाकर शोध की दिशा तय की जा सकती है।
उन्होंने कहा कि लैब और संस्थानों का सैद्धांतिक ज्ञान जब व्यावहारिक स्वरूप में किसानों तक पहुंचेगा, तभी सही मायने में शोध की सार्थकता सिद्ध होगी।
कपास की फसल के लिए होगा सम्मेलन
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कि फसलवार बैठकों का क्रम शुरू किया जा चुका है। सोयाबीन पर मध्य प्रदेश के इंदौर में बृहद बैठक की गई है।
आगे अब कपास, गन्ने व अन्य फसलों को लेकर भी विशेष बैठकें की जाएगी। आगामी 11 जुलाई को कोयम्बटूर में कपास को लेकर सम्मेलन करेंगे।
कपास मिशन को उपयोगी बनाने पर विचार करेंगे। एक-एक फसल पर राज्य की जरूरतों, जलवायु अनुकूलता और किसानों की आवश्यकताओं के अनुरूप विस्तारपूर्वक चर्चा की जाएगी और उचित समाधान के साथ उत्पादन वृद्धि पर काम होगा।
किसानों को इन दामों पर मिलेगी यूरिया, डीएपी, एनपीके सहित अन्य खाद

