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कृषि निर्यात में बेहतर संभावनाएं

 

इसे बढ़ाकर किसानों की आर्थिक स्थिति में किया जा सकता है सुधार

 

उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत सारे नीतिगत सुधारों को करने की आवश्यकता है.

पुरी ने कहा कि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, निधियों, विनियमों, मार्केटिंग संबंधों आदि जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के स्तर पर पहले ही कुछ सुधार शुरू किए जा चुके हैं.

 

इंडियन टोबैको कंपनी (ITC) लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक संजीव पुरी का मानना है कि भारत के वैश्विक कृषि निर्यात को मध्यम अवधि में दोगुना करने और क्षेत्र की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने की बेहतर संभावनाएं हैं.

देश का वैश्विक कृषि निर्यात में केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सा है.

पुरी ने कहा कि कृषि मूल्य श्रृंखला पर ध्यान देने की तत्काल सख्त आवश्यकता है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में आय की गुणवत्ता में सुधार करने और देश में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन की शुरुआत करने में मदद करेगी.

 

उन्होंने कहा, ‘मध्यम अवधि में इसे दोगुना करने का अवसर बहुत सुस्पष्ट है, और इसे दोगुना करना, वास्तव में सुधार करने तथा इस क्षेत्र के आर्थिक पहलू में सुधार लाने का अवसर प्रदान करता है.’

उन्होंने कहा कि इसके लिए बहुत सारे नीतिगत सुधारों को करने की आवश्यकता है.

पुरी ने कहा कि कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर, निधियों, विनियमों, मार्केटिंग संबंधों आदि जैसे मुद्दों पर केंद्र और राज्यों के स्तर पर पहले ही कुछ सुधार शुरू किए जा चुके हैं.

 

जलवायु परिवर्तन के बाद गेहूं की पैदावार हो सकती है आधी

भारत में कृषि मूल्य श्रृंखलाओं पर कार्यबल की निर्भरता भी बहुत अधिक है.

लगभग दो-तिहाई ग्रामीण आजीविका इस क्षेत्र से आती है और भारत का लगभग आधा कार्यबल इस क्षेत्र में लगा हुआ है.

उन्होंने कहा कि इतने बड़े कार्यबल के कृषि में लगे होने के बावजूद, सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में इसकी हिस्सेदारी 20 प्रतिशत से कम है, जो उत्पादकता और कम आय की स्थानिक समस्याओं को दर्शाती है.

इसलिए, यहां आय की गुणवत्ता वास्तव में एक गंभीर चिंता का विषय है.

 

उनके अनुसार, कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जिसे जलवायु परिवर्तन से ज्यादा खतरा है.

उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन के बाद गेहूं की पैदावार में 50 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है.

इसके अलावा, भारत पहले से ही पानी की कमी वाला देश है, जिसमें देश का 54 प्रतिशत हिस्सा आता है.

पुरी के अनुसार, कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ‘अपार संभावनाएं’ हैं.

वर्ष 2050 तक, दुनिया की आबादी नौ अरब की होने जा रही है और वर्ष 2027 तक, भारत 1.5 अरब लोगों के साथ सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने जा रहा है.

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