किसान फ्लोरीकल्चर अपनाकर बने आत्मनिर्भर : उद्यानिकी मंत्री

किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार परंपरागत खेती को छोड़ अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही है।

इस कड़ी में मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा है कि फ्लोरीकल्चर के माध्यम से किसान भाई अच्छा लाभ कमा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 4 वर्षों में मध्यप्रदेश में फूलों के उत्पादन क्षेत्र में 5 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है।

इसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के किसानों द्वारा 4 लाख 71 हजार मीट्रिक टन से अधिक फूलों का उत्पादन किया गया है जो एक रिकॉर्ड है।

 

फ्लोरीकल्चर

उद्यानिकी मंत्री ने कहा कि प्रदेश में छोटे किसान जिनके पास एक या आधा हेक्टेयर भूमि है, वे भी फूलों के उत्पादन से अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं।

फूलों की खेती कम समय में तैयार हो जाती है और यह केश क्रॉप है। इससे कृषकों को फसल का तुरंत नगद भुगतान प्राप्त हो जाता है।

मध्यप्रदेश के फूलों की नई दिल्ली, मुम्बई, नागपुर, अहमदाबाद, जयपुर जैसे महानगरों में अच्छी मांग है।

उद्यानिकी विभाग द्वारा फूलों के उत्पादन करने वाले कृषकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

 

नर्सरियों को किया जा रहा है हाईटेक

मंत्री ने बताया कि प्रदेश की नर्सरियों को हाईटेक किया जा रहा है। इसके लिये ई-नर्सरी पोर्टल भी बनाया गया है।

इनसे फूल-फल उत्पादक को अच्छी किस्म के बीज और पौधे रियायती दरों में प्राप्त हो रहे है। प्रदेश में 100 दिवसीय कार्य-योजना में 20 हजार किसानों और युवाओं को आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित किया गया है।

इसी कड़ी में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ग्वालियर में 13 करोड़ रूपये की लागत से पहली हाईटेक फ्लोरीकल्चर नर्सरी विकसित की जा रही है।

यह नर्सरी फूलों की खेती में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा।

 

फूलों के उत्पादन में हुई वृद्धि

संचालक उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ने बताया कि प्रदेश में पिछले चार वर्षों में फूलों के उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

वर्ष 2021-22 में प्रदेश में 35 हजार 720 हेक्टेयर में फूलों की खेती की गई जिसमें 4 लाख 12 हजार 730 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ था।

जबकि वर्ष 2023-24 में 41 हजार 49 हेक्टेयर में 4 लाख 71 हजार 584 मैट्रिक टन फूलों का उत्पादन हुआ जो 2021-22 की तुलना में 58 हजार 854 मैट्रिक टन अधिक है।

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