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किसान बुआई पहले जरुर करें बीज अंकुरण परिक्षण एवं बीजोपचार

 

बीज बुआई के लिए बीजोपचार एवं बीज अंकुरण परिक्षण

 

देश के कई राज्यों के जिलों में मानसून पहुँचने के साथ ही अच्छी बारिश भी हो चुकी है, ऐसे में किसान खरीफ की बुआई की आवश्यक तैयारी में लग गए हैं |

खेती में बीज की महत्ता बहुत ही अधिक है क्योंकि बीज पर पूरा कृषि कार्य निर्भर करता है ,बीज अगर स्वस्थ होगा तो पौधे स्वस्थ होंगे |

बीज अच्छा होने पर उसमें कीट-रोग लगने की सम्भावना कम होती ही है जिससे फसल की लागत कम होने के साथ ही उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि होती है |

 

यदि बीज अच्छा नहीं है तो बीज का अंकुरण अच्छा नहीं होगा, प्रति इकाई क्षेत्र में पौध संख्या कम होगी और यदि अंकुरित हो जाता है तो पौधे अस्वस्थ एवं कीड़े बामारी का प्रकोप बढ़ जाने से रोकथाम हेतु फसल औषधि का अधिक उपयोग करने के कारण उत्पादन लागत बढ़ जाती है |

इसलिए किसानों को बीज की बुआई से पहले उसका परिक्षण एवं बीजोपचार करना जरुरी है |

 

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इस तरह करें बीज अंकुरण परीक्षण

बुआई से पहले अंकुरण परीक्षण करना बहुत ही जरूरी है |

इस हेतु बीज की बोरी से बीज साफ-सफाई कर छोटे एवं अस्वस्थ दानें अलग कर लें तथा बिना छांटे 100 बीज गिनकर गीली बोरी में कतार में रखकर लपेट कर रख दें। साथ ही बोरे में हल्की नमी बनाये रखें, तीन चार दिनों में बीज अंकुरण होने के बाद अंकुरित बीज की संख्या के गिन ले क्योंकि यही आपके बीज अंकुरण का प्रतिशत होगा।

 

विभिन्न बीजों के माध्यम से उचित अंकुरण क्षमता के मापदंड अलग-अलग होते हैं, जैसे धान 80-85 प्रतिशत, उड़द 75 प्रतिशत, सोयाबीन 70-75 प्रतिशत है।

अंकुरण परीक्षण में उपरोक्त मापदण्ड से थोड़ा अंतर होने पर बीज की मात्रा बढ़ाकर ही बुआई करनी चाहिए |

यदि बीज का अंकुरण प्रतिशत मापदण्ड से बहुत कम है तो उस बीज की बुआई न करें तथा बीज जहाँ से लिया है वहां वापस कर दें  |

 

इस तरह करें बीजों का उपचार

कई बार ऐसा होता है की की बुआई के कुछ दिन पश्चात अंकुरण दिखता है लेकिन बाद में पौध संख्या कम हो जाती है |

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो बीज खेत में बोया गया है वह रोग या कीट से प्रभावित होता है, यह पोधे अंकुरण के कुछ दिन बाद ही मर जाते हैं |

कीड़े से प्रभावित बीज में पौध को जड़ के विकसित होने तक भोजन नहीं मिल पाता है। इसलिये स्वस्थ बीज का बोआई करना बहुत जरूरी है।

 

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