कृषि वैज्ञानिकों की सलाह
कुछ वर्षों से सोयाबीन के उत्पादन में निरंतर गिरावट हो रही है इसलिए प्रसिद्ध वैज्ञानिक सलाह दे रहे हैं कि किसान अन्य फसलों की बुवाई भी करें।
पिछले कुछ वर्षों से देखने में आ रहा है कि खरीफ सीजन की प्रमुख फसल यानी कि सोयाबीन की फसल में बीमारियां एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण पैदावार घटती जा रही है वही सोयाबीन की फसल के दौरान लागत लगातार बढ़ती जा रही है।
इससे किसानों का फायदा नहीं हो रहा है इसी को लेकर अब कृषि वैज्ञानिक किसानों को सलाह दे रहे हैं कि सोयाबीन के अलावा अन्य फसलों की खेती भी करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने क्या सलाह जारी की है, जानिए।
कृषि वैज्ञानिकों ने यह सलाह दी
कृषि विज्ञान केंद्र आगर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एके दीक्षित ने मैं किसानों को सलाह जारी करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों से सोयाबीन उत्पादन एवं उत्पादकता में निरंतर गिरावट को देखते हुए ऐसी परिस्थिति में खेती की उन्नत तकनीकों में फसल विविधिकरण का महत्व ओर बढ़ जाता है।
किसान सोयाबीन के अलावा मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंगफली, तिल, उड़द, मूंग, कपास तथा अन्य फसलों की बुआई करें।
सोयाबीन की बुवाई के दौरान इस बात का ध्यान रखें
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरपीएस शक्तावत ने सोयाबीन की बुआई करने वाले किसानों को सलाह दी है कि सोयाबीन की किस्मों का चुनाव उस क्षेत्र में वर्षा का औसत एवं भूमि के प्रकार को ध्यान में रखकर करें।
यानि क्षेत्र की अनुकूलता के आधार पर ही करना चाहिए।
सोयाबीन की इन किस्मों का चयन लाभदायक रहेगा
हल्की से मध्यम भूमि वाले क्षेत्रों में शीघ्र पकने वाली किस्म जिसमें एनआरसी 130, जेएस 95-60, जेएस 20-34 लगाना उचित है।
मध्यम से भारी भूमि वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि की किस्म जैसे एनआरसी 138, एनआरसी 142, जेएस 20-29, जेएस 20-69, जेएस 20-98, जेएस 20-116, एनआरसी 86, आरवीएस 24, आरवीएस 18 लगाना उचित है।
सोयाबीन की बीज दर 60-80 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर निर्धारित हैं।
जब बीज छोटे हों या ज्यादा फैलने वाली प्रजाति हो तो 60-65 किलोग्राम एवं बड़ा बीज हो तथा कम फैलने वाली प्रजाति हो तो 70-75 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बीज का प्रयोग करना चाहिए।
अंकुरण क्षमता यह होना चाहिए
कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि सोयाबीन बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं अनुवांशिक रूप से पूर्णतः शुद्ध हो वही बीज प्रयोग करना चाहिए।
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