किसानों को सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए इसकी उन्नत किस्मों और बुवाई की सही जानकारी होना जरूरी होता है. भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने बहुत जल्द शुरू होने वाले खरीफ सीजन में सोयाबीन के अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को सलाह दी है.
मिलेगी अच्छी पैदावार
जून माह के पहले सप्ताह से सोयाबीन की बुवाई शुरू होती है, ऐसे में किसानों को सोयाबीन की बंपर पैदावार के लिए इसकी उन्नत किस्में और बुवाई की सही जानकारी होना जरूरी होता है.
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने बहुत जल्द शुरू होने वाले खरीफ सीजन में सोयाबीन के अच्छे उत्पादन के लिए किसानों को सलाह दी है.
संस्थान ने किसानों को सलाह दी है कि, गर्मियों में गहरी जुताई सिर्फ 3 साल में एक बार ही करें.
इसके अलावा, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों को उपज में जोखिम को कम करने के लिए 2 से 3 सोयाबीन की किस्मों की एक ही साथ खेती करने की सलाह दी है.
जुताई की दी गई जानकारी
संस्थान ने जुताई की तैयारी के लिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे 3 साल में एक बार ही अपने खेतों की गर्मियों में गहरी जुताई करें.
किसानों से कहा गया है कि वे अपने खेतों में क्रॉस पैटर्न में मिट्टी पर हल चलाएं और मिट्टी को समतल करें.
वहीं अगर किसान ने पिछले 3 साल में गहरी जुताई नहीं की है, तो खेत की मिट्टी में इसी प्रकाप से 2 बार हल चलाएं और मिट्टी को समतल करें.
जैविक खाद का करें उपयोग
भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ने सोयाबीन की खेती के लिए किसानों से जैविक खाद का उपयोग करने की सलाह दी है.
संस्थान ने किसानों से प्रति हेक्टेयर में 5 से 10 टन सड़ी हुई खाद या फिर 2.5 टन पोल्ट्री खाद मिलने को कहा है.
किसानों को जुताई के बाद मिट्टी को समतल करने से पहले इसे मिट्टी में मिलाने की सलाह दी गई है.
गहरी जुताई के लिए सब-सॉइलर मशीन
इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों से हर 5 साल में एक बार मिट्टी की गहरी परत को तोड़ने के लिए सब-सॉइलर मशीन का इस्तेमाल करने की सलाह दी है.
सब-सॉइलर मशीन हर 10 मीटर की दूरी पर मिट्टी की कठोर परत को तोड़ता है, जिससे बारिश का पानी या पानी मिट्टी में अच्छे से जाता है. इससे किसानों को सूखे की अवस्था से छुटकारा पानें में मदद मिलती है.
इतनी दूरी पर करें बुवाई
संस्थान ने किसानों की बुवाई के लिए पौंधे से पौंधे की दूरी रखने की भी सलाह दी है, जिससे खेत में पौधों की अच्छी जनसंख्या बनी रहे.
किसानों को सोयाबिन की बुवाई के लिए अनुशंसित कतार-से-कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर रखने की सलाह दी गई है.
वहीं एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी 5 से 10 सेंटीमीटर रखने को कहा गया है.
संस्थान ने किसानों को जानकारी दी है कि, छोटे/मध्यम बीजों की अंकुरण क्षमता बड़े बीज वाले सोयाबीन की किस्मों से ज्यादा होती है.
प्रति हेक्टेयर में 60 से 75 किलोग्राम बीज का दर आर्थिक रूप से फायदेमंद होगा, जिससे बीज का अच्छा अंकुरण प्राप्त हो सकता है.