फसल और भूमि दोनों के लिए फायदेमंद
यूरिया की किल्लत के कारण किसानों को यूरिया मिलने लें काफी परेशानी हो रही है। सरकार की तरफ से किसानों को खरीफ फसल सीजन में मांग के अनुसार यूरिया की भरपाई करने की पूरा प्रयास किया जा रहा है।
वहीं कुछ दुकानदार यूरिया की कमी का फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। सरकार की ओर से ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई भी की जा रही है जो यूरिया को सरकार की ओर से निर्धारित किए गए दाम से अधिक में बेच रहे हैं। इन सबसे के बीच एक किसानों के लिए एक राहत भरी खबर है।
यूरिया की लगातार बढ़ती मांग और इसके कारण किसानों को हो रही परेशानी को देखते हुए अब कृषि विभाग ने किसानों को इसका एक बेहतर और अधिक टिकाऊ विकल्प अपनाने की सलाह दी है।
यह विकल्प है, अमोनियम सल्फेट, जो न केवल फसल की उपज को बढ़ाने में सहायता करता है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है। आइए जानते हैं, किसान अमोनियम सल्फेट का फसलों में उपयोग किस प्रकार कर सकते हैं और इसके क्या फायदे हैं।
यूरिया का विकल्प क्यों जरूरी
हर साल खरीफ और रबी सीजन में यूरिया की मांग अचानक बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप कई बार किसान इसकी कालाबाजारी और कमी का सामना करते हैं।
साथ ही, यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन तेजी से वाष्पित हो जाती है या बारिश में बह जाती है, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो जाती है।
कृषि विभाग के अनुसार, ऐसी स्थिति में अमोनियम सल्फेट एक स्थाई, सुलभ और अधिक लाभकारी विकल्प बनकर सामने आया है।
चंदौली जिला कृषि अधिकारी विनोद कुमार यादव का कहना है कि किसान एक बोरी यूरिया की जगह आधी बोरी अमोनियम सल्फेट का प्रयोग करें। यह सस्ता, सुरक्षित और अधिक असरदार है।
क्या है अमोनियम सल्फेट की खासियत
अमोनियम सल्फेट में 20.5% अमोनिकल नाइट्रोजन और 23% सल्फर पाया जाता है। यह दोनों पोषक तत्व पौधों के लिए बेहद आवश्यक हैं।
इसमें पाया जाने वाला नाइट्रोजन धीरे-धीरे पौधों को मिलता है, जिससे इसका प्रभाव लंबी अवधि तक बना रहता है। वहीं सल्फर, पौधों में प्रोटीन निर्माण, तेल उत्पादन और गुणवत्ता सुधार में सहायता करता है।
इस उर्वरक की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसका सल्फर 100% जल में घुलनशील होता है, जिससे यह फसल द्वारा आसानी से अवशोषित किया जा सकता है। इसके कारण मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है और फसल की पैदावार में भी बढ़ोतरी होती है।
अमोनियम सल्फेट के इस्तेमाल क्या मिलते है फायदें
कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनियम सल्फेट के प्रयोग से किसानों को कई फायदे मिलते हैं, इनमें से मुख्य लाभ इस प्रकार से बताए गए हैं:
- फसलों को तुरंत और दीर्घकालिक नाइट्रोजन उपलब्ध होता है, जिससे उत्पादन बढ़ता है।
- मिट्टी में जमा फास्फोरस का बेहतर उपयोग संभव होता है, जिससे डीएपी जैसे उर्वरकों की खपत घटती है।
- सल्फर की पूर्ति होने से पौधों की संपूर्ण वृद्धि और गुणवत्ता बेहतर होती है।
- कीटनाशकों और दवाइयों पर खर्च कम होता है, क्योंकि पौधे स्वस्थ और रोग प्रतिरोधी बनते हैं।
- यह उर्वरक बरसात में भी सुरक्षित है और मृदा की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखता है।
यूरिया के मुकाबले कितना सस्ता पड़ता है अमोनियम सल्फेट
यूरिया के मुकाबले अमोनियम सल्फेट की प्रति बोरी कीमत कम है और उपयोग की मात्रा भी लगभग आधी है। इसका मतलब है कि किसान कम खर्च में अधिक उत्पादन पा सकते हैं।
एक बोरी अमोनियम सल्फेट में करीब 11.5 किलोग्राम सल्फर होता है, जो सल्फर की अलग से आवश्यकता को समाप्त कर देता है।
किसान कैसे करें अमोनियम सल्फेट उपयोग
एक बोरी यूरिया के स्थान पर आधी बोरी अमोनियम सल्फेट पर्याप्त है। इसे सीधे खेत में बीज बुवाई के समय या टॉप ड्रेसिंग के रूप में डाला जा सकता है।
अमोनियम सल्फेट बरसात के मौसम में भी असरदार रहता है, क्योंकि इसका नाइट्रोजन मिट्टी में स्थिर रहता है।
कृषि विभाग ने जनपद के सभी उर्वरक विक्रेताओं और किसानों से अपील की है कि वे अमोनियम सल्फेट को अपनाएं और बढ़ावा दें, ताकि फसल की क्वालिटी, उत्पादन और मृदा स्वास्थ्य, तीनों को बेहतर बनाया जा सके।
यह किसानों की लागत को घटाने और मुनाफा बढ़ाने का एक व्यावहारिक और सस्टेनेबल तरीका है।
अच्छी खेती के लिए सिर्फ उर्वरक नहीं, सही उर्वरक जरूरी
जहां एक ओर यूरिया की उपलब्धता पर संकट बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर अमोनियम सल्फेट किसानों के लिए सस्ता, टिकाऊ और फायदेमंद विकल्प बनकर उभरा है।
अब समय आ गया है कि किसान परंपरागत आदतों से आगे बढ़कर आधुनिक और वैज्ञानिक विकल्पों को अपनाएं। याद रखें, अच्छी खेती सिर्फ उर्वरक से नहीं, बल्कि सही उर्वरक से होती है।
ऐसे में समय की मांग को देखते हुए यूरिया के विकल्प के रूप में अमोनियम सल्फेट का इस्तेमाल करें और कम लागत में बेहतर पैदावार पाएं।
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