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किसानों को दी जाएगी 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी

 

पीएम खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के तहत सब्सिडी

 

आत्मनिर्भर भारत के तहत कृषि क्षेत्र में किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की गई है|

जिसके तहत देश के युवा किसानों को अपना बिज़नस शुरू करने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है|

केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे “एक जिला-एक उत्पाद कार्यक्रम” के तहत किसान ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित कर अपने उत्पाद का सही मूल्य प्राप्त कर सकते हैं|

सरकार किसानों को खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ स्थापित करने के लिए अनुदान एवं अन्य सुविधाएँ भी मुहैया करा रही हैं|

 

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि मध्यप्रदेश संतरा, धनिया, लहसुन उत्पादन में देश में पहले नंबर पर है।

अदरक, मिर्ची, अमरुद, मटर और प्याज के उत्पादन में प्रदेश पूरे देश में दूसरे नंबर पर है।

अगर किसान अपने इस उत्पादन की छोटी-छोटी फ़ूड प्रोसेसिंग इकाई खोल लें, तो जनता को शुद्ध सामग्री, युवाओं को रोजगार के अवसर और किसानों को उनके उत्पाद के ठीक दाम मिल सकेंगे।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना बनाकर ऐतिहासिक कदम उठाया है।

इस योजना में ग्वालियर, मुरैना और सीहोर के इनक्यूबेशन सेंटर निश्चित तौर पर मील का पत्थर साबित होंगे।

 

किसानों को दी जाएगी 10 लाख रुपये तक की सब्सिडी

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को अपने उत्पाद की गुणवत्ता सुधार, पैकेजिंग, मार्केटिंग, ब्रांडिंग के संबंध में जानकारी देने और इनकी प्रक्रियाओं से अवगत कराने के लिए कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ।

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना में किसान को 10 लाख रुपए तक की सब्सिडी दी जाएगी।

अनुदान का 40% हिस्सा राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री को विस्तार देने के लिए राज्य सरकार बड़ी यूनिट लगाने पर ढाई करोड़ रुपए तक की सब्सिडी देगी।

 

खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में लगभग 25 लाख इकाइयाँ काम कर रही हैं

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि देश में असंगठित खाद्य प्र-संस्करण क्षेत्र में लगभग 25 लाख इकाइयाँ कार्य कर रही हैं।

इनमें से लगभग 66 प्रतिशत यूनिट ग्रामीण क्षेत्रों में हैं और लगभग 80 प्रतिशत उद्यम परिवार आधारित हैं।

यह उद्यम, ग्रामीण पारिवारिक आजीविका को बढ़ाने और ग्रामीणों के शहरी क्षेत्रों में पलायन को कम करने में सहायक हैं।

अत: ग्राम स्तर पर खाद्य प्र-संस्करण के लिए आधुनिक प्रौद्योगिकी और उपकरणों की उपलब्धता, प्रशिक्षण, संस्थागत ऋण की उपलब्धता, उत्पादों के गुणवत्ता नियंत्रण के संबंध में जानकारी तथा सामग्री की पैकेजिंग, ब्रांडिंग और मार्केटिंग के संबंध में आवश्यक प्रशिक्षण और वेल्यू एडिशन पर सही मार्गदर्शन उपलब्ध कराकर युवाओं को सशक्त करने की आवश्यकता है।

 

इन जिलों में होगी तीन इन्क्यूवेशन सेंटर्स की स्थापना

सीहोर, मुरैना और ग्वालियर में तीन इन्क्यूवेशन सेंटर्स की स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा 9 करोड़ 87 लाख 85 हजार रूपए स्वीकृत किए हैं।

सीहोर में अमरूद, फलों तथा सब्जियों के प्र-संस्करण के लिए इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना की जा रही है।

सेंटर में खाद्य प्र-संस्करण प्रयोगशाला सहित जूस, पल्प, जैम, जैली, वेजिटेबल डिहाइड्रेशन लाइन एवं प्याज प्र-संस्करण लाइन की स्थापना होगी।

 

मुरैना में सरसों एवं अन्य तिलहनों, ज्वार, बाजरा, रागी और बेकरी उत्पादों के प्र-संस्करण के लिए कॉमन इन्क्यूबेशन फेसिलिटी उपलब्ध कराई जाएगी।

ग्वालियर में आलू तथा आलू प्र-संस्करण लाइन एवं मिलेट आधारित कुकीज लाइन की स्थापना की जा रही है।

 

उल्लेखनीय है कि आत्म-निर्भर भारत अभियान में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना की शुरूआत की गई है।

योजना का मुख्य उद्देश्य छोटे उद्योगों का विकास तथा “एक जिला-एक उत्पाद” योजना में गतिविधियों को बढ़ावा देना है।

उद्यानिकी फसलें जैसे आम, आलू, टमाटर आदि जल्द खराब होते हैं।

इनके रख-रखाव, प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग के लिए योजना में विशेष व्यवस्था है।

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