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किसानों को मिलेंगे ज्वार, सरसों व मूंग के उन्नत बीज

 

निजी कंपनियों से समझौता

 

हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मूंग, ज्वार व सरसों की नई किस्मों की जानिए खासियत, महाराष्ट्र में भी पहुंचेगी इनकी उन्नत वैरायटी.

 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) द्वारा विकसित विभिन्न फसलों की उन्नत किस्मों के बीज (Seed) अब न केवल हरियाणा बल्कि देश के अन्य प्रदेशों में भी किसानों को आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे.

इसके लिए विश्वविद्यालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के तहत तकनीकी व्यवसायीकरण को बढ़ावा देते हुए देश की दो प्रमुख कंपनियों से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं.

 

कुलपति प्रो. बीआर कांबोज ने कहा कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा किया गया शोध किसानों (Farmers) तक ज्यादा से ज्यादा पहुंचे, इसकी कोशिश होनी चाहिए. ताकि उनकी तरक्की हो.

इसके लिए उन्हें उन्नत किस्मों का बीज व तकनीक समय पर उपलब्ध करवाना जरूरी है.

इसलिए इस तरह के समझौतों पर हस्ताक्षर कर विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से विकसित उन्नत किस्मों व तकनीकों को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाया जा सके.

 

किसके साथ हुआ समझौता

विश्वविद्यालय द्वारा विकसित मूंग की एमएच 1142, ज्वार (jowar) की सीएसवी 44 एफ व सरसों (Mustard)की आरएच 725 किस्मों के लिए हुआ समझौता है.

इन किस्मों के बीज तैयार कर कंपनियां किसानों तक पहुंचाएंगी. इससे फसलों की पैदावार में वृद्धि होगी और किसानों को फायदा होगा.

 

महाराष्ट्र के पुणे की कंपनी एग्रो स्टार (यू लिंक एग्री टेक प्राइवेट लिमिटेड) के साथ सरसों की किस्म आरएच 725 के लिए समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

कंपनी की तरफ से वाइस प्रेसीडेंट फार्म सोल्यूशन डॉ. देवराज आर्य ने हस्ताक्षर किए.

 

दूसरा मैसर्ज देव एग्रीटेक, गुरुग्राम के साथ समझौता हुआ, जिसमें कंपनी की ओर से डॉ. यशपाल ने हस्ताक्षर किए. इस कंपनी के साथ मूंग की एमएच 1142 व ज्वार की सीएसवी 44 एफ के लिए समझौता हुआ है.

विश्वविद्यालय की ओर से समझौता ज्ञापन पर एचएयू के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके सहरावत ने हस्ताक्षर किए.

 

विश्वविद्यालय के साथ किसानों को भी होगा फायदा

समझौता ज्ञापन पर हस्तारक्षर होने के बाद अब कंपनी विश्वविद्यालय को लाइसेंस फीस अदा करेगी, जिसके तहत उसे बीज का उत्पादन व विपणन करने का अधिकार प्राप्त होगा.

इसके बाद किसानों को भी उन्नत किस्मों का बीज मिल सकेगा.

विश्वविद्यालय द्वारा विकसित इन किस्मों में अन्य किस्मों की तुलना में अधिक खनिज व पैदावार मिलती है. ये रोगरोधी भी हैं.

 

ये है इन किस्मों की खासियत

ज्वार की सीएसवी 44 एफ किस्म में हरे चारे की मात्रा अधिक होती है.

यह स्टीम बोरर बीमारी के प्रति सहनशील है. यह गिरती भी कम है और सूखे चारे की मात्रा भी अन्य किस्मों की तुलना में अधिक होती है.

इन्हीं गुणों के चलते अन्य राज्यों में इस किस्म की डिमांड अधिक है.

 

इस सरसों की क्या है खासियत

जबकि सरसों की आरएच 725 किस्म की फलियां अन्य किस्मों की तुलना में लंबी व इसमें दानों की मात्रा अधिक होती है.

साथ ही दानों का आकार भी बड़ा होता है और तेल की मात्रा भी ज्यादा होती है.

इसी प्रकार मूंग की किस्म पीला मौजेक, पत्ता झूरी, पत्ता मरोड़, सफेद चूर्णी एवं एंथ्राक्नोस जैसे फफूंद रोगों के प्रति मध्यम रोगरोधी है.

साथ ही थ्रिप्स, सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट व अन्य फली छेदक कीटों का प्रभाव भी बहुत कम होता है.

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