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बोरलॉग संस्थान द्वारा की जा रही है नई तकनीकों से खेती

जबलपुर कलेक्टर ने जिले में कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं और आधुनिक तकनीकों से की जा रही खेती का अवलोकन किया। इस अवसर पर बोरलॉग द्वारा किए जा रहे शोध कार्यों जैसे हैप्पीसीडर से गेहू के बाद सीधे मूंग की बोनी करना, ड्रोन के द्वारा मूंग की फसल पर नैनो यूरिया एवं डीएपी छिडकाव का प्रदर्शन, बूमरेन द्वारा कीटनाशक के छिडकाव का प्रदर्शन, ट्रेक्टर के मूल पहिये हटाकर इंटर कल्‍चर का प्रदर्शन देखा।

 

देखने पहुँचे कलेक्टर

खेती में नई तकनीकों का प्रयोग कर ना केवल उत्पादन लागत में कमी की जा सकती है बल्कि अच्छी पैदावार भी प्राप्त की जा सकती है।

इस कड़ी में अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में नई तकनीकों से खेती कर शोध कार्य किए जा रहे हैं जिसको देखने शुक्रवार के दिन जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्‍सेना पहुँचें।

उन्होंने कृषि एवं संबद्ध विभागों के द्वारा चलाई जा रही विभिन्न हितग्राही मूलक योजनाओं का निरीक्षण किया।

इस दौरान बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल द्वारा संस्थान में किये जा रहे विभिन्न शोध कार्यों की जानकारी दी।

 

अंतर्राष्ट्रीय संस्थान बोरलॉग (बीसा) में इस तरह की जा रही है खेती

बीसा के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. रवि गोपाल ने कलेक्टर को हैप्पीसीडर से गेहूं के बाद सीधे मूंग की बोनी करना, ड्रोन के द्वारा मूंग की फसल पर नैनो यूरिया एवं डीएपी के छिड़काव का प्रदर्शन, बूमरेन द्वारा कीटनाशक के छिडकाव का प्रदर्शन, ट्रेक्टर के मूल पहिये हटाकर फील्ड में प्लान्ट से प्लांट की दूरी के अनुसार पतले एवं फसल की ऊंचाई से काफी ऊंचे चके ट्रैक्टर में लगाकर इंटर कल्‍चर का प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ट्रेक्टर के पहिये बदलकर नये अटेचमेन्ट से फसल को कोई नुकसान नहीं होता। साथ ही इन्टर कल्चर गतिविधियाँ विधिवत संपादित हो पाती है।

इसके साथ ही आलू की फसल के बाद जीरो टिल सीड ड्रिल से मक्के की बोनी का प्रदर्शन दिखाया गया है।

बीसी संस्था प्रमुख द्वारा बताया गया कि, संस्थान में लगभग 1000 विभिन्न किस्मों के गेंहू का बीजू तैयार कर भारत एवं साउथ एशिया के देशो में भेजा जाता है।

ट्रैक्टर में मॉडीफाइड पावर ब्रीडर द्वारा खरपतवार नियंत्रण का प्रदर्शन किया गया।

कलेक्‍टर ने बोरलॉग इंस्‍टीट्यूट के नवाचार को देखने के बाद डोंडी पिपरिया और धरहर गांव में किसानों द्वारा किये जा रहे कृषि क्षेत्र में किये जा रहे नवाचारों को भी देखा।

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ड्रोन से किया गया यूरिया का छिड़काव

कृषि उत्‍पादन बढ़ाने तथा कृषि लागत को कम करने के लिये कृषि क्षेत्र में कृषि उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिये निरंतर प्रयास किये जा रहे हैं।

इसमें ड्रोन की मदद से नैनो यूरिया का छिड़काव प्रमुख है, जिसमें केवल 500 एमएल की एक बोतल से 1 एकड़ में लगभग 8 मिनट में यूरिया का छिड़काव हो जाता है। इससे लागत, श्रम व समय की बचत होती है।

कलेक्‍टर सक्सेना ने ड्रोन द्वारा नैनो यूरिया का छिड़काव प्रदर्शन को देखा और कहा कि किसानों को अपने कृषि लागत, श्रम व समय की बचत के लिये इस तकनीक को अपनाना चाहिये।

 

नई तकनीकों से मिलते हैं बेहतर परिणाम

कलेक्‍टर ने कहा कि प्राय: परम्‍परागत रूप से किये जाने वाले सभी चीजों को अच्‍छी मानी जाती है। ठीक इसी प्रकार कृषि क्षेत्र में भी है। लेकिन नवीन तकनीकों के प्रयोग से बेहतर परिणाम को प्राप्‍त किया जा सकता है।

परंपरागत खेती के स्‍थान पर अब खेत की बिना जुताई किये हैप्‍पी सीडर से बोनी करना निश्चित ही लाभकारी है। इसमें उत्‍पादन में वृद्धि के साथ समय, श्रम और लागत की बचत हो जाती है।

अब समय की मांग है कि हैप्‍पी सीडर के संबंध में किसानों को जानकारी दी जाये जिससे वे इसका प्रयोग कर सकें।

 

पराली से बानई जा रही है ब्रिक्स

कलेक्‍टर सक्‍सेना ने विकासखंड पनागर के ग्राम जटवा में कृषक बृजेश विश्वकर्मा की वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निरीक्षण किया।

जिसमें किसान बृजेश विश्वकर्मा द्वारा बताया गया कि परियट में उत्पन्न लगभग 70 ट्रॉली गोबर को प्रत्येक दिन एकत्रित करके वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण किया जा रहा है।

वर्मी कम्पोस्ट जैविक खेती में उपयोग किया जाता है, साथ ही गेंहू की पराली को एकत्रित करके ब्रिक्‍स का निर्माण किया जा रहा है।

ब्रिक्‍स का उपयोग रेल्वे में कम्बल, बेड शीट की स्टीम वॉश के लिये उपयोग किया जाता है। पराली से निर्मित ब्रिक्‍स कोयले का एक विकल्‍प है।

 

पहली बार तिल और मूंगफली कि की जा रही है खेती

इस अवसर पर ग्राम सरसवां में कृषि विभाग द्वारा किसान प्रहलाद पटेल के खेत पर तिल का प्रदर्शन का अवलोकन कलेक्टर सक्‍सेना द्वारा किया गया।

उप संचालक कृषि रवि कुमार आम्रवंशी द्वारा बताया गया है कि, जबलपुर जिले में पहली बार ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में 100 हेक्टेयर में तिल एवं 100 हेक्टेयर में मूंगफली के प्रदर्शन नवाचार के रूप में कृषको के खेतो में आयोजित किये गये हैं।

सोयाबीन, तिल, मूंगफली जैसी तिलहनी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है, जिससे कम मात्रा में तेल का आयात किया जा सके।

कलेक्टर के भ्रमण के समय परियोजना संचालक आत्मा एस.के. निगम्, उप संचालक कृषि श्री रवि कुमार आम्रवंशी, उप संचालक उद्यान श्रीमती नेहा पटेल, उप संचालक पशुपालन श्री मून, सहायक संचालक मत्स्य पालन श्री तरूण पटेल अनुविभागीय कृषि अधिकारी प्रतिभा गौर, सहायक संचालक कृषि कीर्ति वर्मा सहित अन्‍य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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