देश में कृषि क्षेत्र के विकास के साथ ही किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएँ चलाई जा रही है।
इस कड़ी में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (PM-RKVY) और कृषोन्नति योजना (KY) को मंजूरी दे दी है।
गुरुवार 3 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि एवं किसान मंत्रालय के तहत संचालित सभी केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को दो–समग्र योजनाओं – प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जोकि एक कैफेटेरिया योजना है और कृषोन्नति योजना के अधीन युक्तिकरण हेतु कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है।
किसानों को होगा यह फायदा
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से जहां टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिलेगा, वहीं कृषोन्नति योजना से खाद्य सुरक्षा एवं कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
दोनों योजनाओं के तहत सरकार कुल 1,01,321.61 करोड़ रुपये खर्च करेगी। यह योजनाएँ राज्य सरकारों की मदद से क्रियान्वित की जाती है।
इन योजनाओं के अंर्तगत कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं जैसे मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई, फसल विविधीकरण, जैविक कृषि आदि के तहत किसानों को सहायता दी जाती है। जिससे आगे भी किसानों को इन योजनाओं का लाभ मिलता रहेगा।
राष्ट्रीय कृषि विकास के अंतर्गत यह योजनाएँ हैं शामिल
पीएम राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत कई अन्य योजनाएँ भी शामिल है, जो अब सरकार की मंजूरी के बाद आगे भी जारी रहेंगी।
- मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन,
- वर्षा आधारित क्षेत्र विकास,
- कृषि वानिकी,
- परम्परागत कृषि विकास योजना,
- फसल अवशेष प्रबंधन सहित कृषि यंत्रीकरण,
- प्रति बूंद अधिक फसल,
- फसल विविधीकरण कार्यक्रम,
- आरकेवीवाई डीपीआर घटक,
- कृषि स्टार्टअप के लिए त्वरित निधि।
यह सभी योजनाएँ राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत क्रियान्वित की जा रही है।
जहां कहीं भी किसानों के कल्याण के लिए किसी भी क्षेत्र को बढ़ावा देना आवश्यक समझा जाता है वहाँ इस योजना को मिशन मोड में आगे बढ़ाया जाता है।
उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन – तेल पाम, स्वच्छ संयंत्र कार्यक्रम, डिजिटल कृषि एवं राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन–तिलहन के बीज आदि।
योजना के तहत सरकार कितना खर्च करेगी
दोनों योजनाओं के तहत सरकार कुल 1,01,321.61 करोड़ रुपये खर्च करेगी।
इसमें केन्द्रीय हिस्से का अनुमानित व्यय 69,088.98 करोड़ रुपये और राज्यों का हिस्सा 32,232.63 करोड़ रुपये है।
इसमें आरकेवीवाई के लिए 57,074.72 करोड़ रुपये और केवाई के लिए 44,246.89 करोड़ रुपये शामिल हैं।
साथ ही सरकार ने योजना में एक महत्वपूर्ण बदलाव यह किया है कि अब राज्य सरकार अपने राज्य की विशिष्ट आवश्यकताओं के आधार पर एक घटक से दूसरे घटक में धन को फिर से आवंटित कर सकती हैं।
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