केंद्र सरकार की तरफ से सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीम चलाई गई हैं. इनमें से ही एक स्कीम है पीएम कुसुम योजना जिसका मकसद सौर ऊर्जा (सोलर पंप) की मदद से किसानों का पैसा बचाने और उनकी खेती की आमदनी बढ़ाना है.
अब सरकार इसी कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगाने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल लाने की योजना बना रही है.
जल्द आएगा नया प्लान
केंद्र सरकार की तरफ से सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए कई तरह की स्कीम चलाई गई हैं.
इनमें से ही एक स्कीम है पीएम कुसुम योजना जिसका मकसद सौर ऊर्जा की मदद से किसानों का पैसा बचाने और उनकी खेती की आमदनी बढ़ाना है.
अब सरकार इसी कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगाने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल लाने की योजना बना रही है.
पिछले दिनों आई एक मीडिया रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है.
आएगा एक राष्ट्रीय पोर्टल
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार पीएम कुसुम योजना के तहत सोलर पंप लगाने के लिए किसानों को सीधे डीलर्स से जोड़ने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल के प्रस्ताव पर विचार कर रहे हैं.
बताया जा रहा है कि इस राष्ट्रीय पोर्टल के जरिये किसानों को अपनी जरूरत के हिसाब से पंप चुनने में मदद मिलेगी.
साथ ही पंप लगाने में लगने वाला समय भी कम लगेगा. पीएम कुसुम योजना में किसानों को सोलर पंप के लिए सब्सिडी दी जाती है.
कुछ सुधार की जरूरत
किसानों की आय बढ़ाने और कृषि क्षेत्र में सिंचाई और डी-डीजलाइजेशन के लिए स्रोत मुहैया कराने के मकसद से पीएम कुसुम योजना को लॉन्च किया गया था.
केंद्र सरकार की तरफ से 2019 में इस योजना की शुरुआत की गई थी. रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि यह अभी शुरुआती चरण में है और इस पर विचार विमर्श जारी है.
अधिकारियों की मानें तो पीएम कुसुम योजना के कुछ हिस्सों में कुछ सुधार की जरूरत महसूस हो रही है. योजना टेंडरिंग से जुड़ी देरी के कारण कई तरह से फंस जाती है.
रिपोर्ट के अनुसार, सोलर पंप लगवाने के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल पर विचार किया जा सकता है.
यह इस योजना के तीन तत्वों में से एक है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय पोर्टल के जरिये से किसान अपनी जरूरतों को सीधे विक्रेताओं के पास रख सकते हैं.
इससे राज्यों की तरफ से पंपों के लिए टेंडरिंग की जरूरत खत्म हो जाएगी.
योजना के 3 अहम काम
इस योजना में तीन कंपोनेंट्स शामिल हैं – कंपोनेंट ए, 2 मेगावाट तक की क्षमता वाले छोटे पावर प्लांट्स को इंस्टॉल करके 10,000 मेगावाट सोलर कैपेसिटी वाले प्लांट के लिए है.
कंपोनेंट बी में 20 लाख स्टैंडअलोन सोलर एनर्जी ऑपरेटेड कृषि पंपों की स्थापना के लिए है.
कंपोनेंट सी में 15 लाख ग्रिड से जुड़े कृषि पंपों के सोलराइजेशन के लिए है.
रिपोर्ट में सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है. हालांकि सरकार रियायतों के लिए एक बेंचमार्क रख सकती है.