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सरकार अब किसानों को सहकारी समितियों में बनाएगी सलाहकार

इससे यह फायदा रहेगा

 

मध्यप्रदेश में अब किसानों को सहकारी समिति में सलाहकार बनाए जाएंगे, इससे किसानों को क्या फायदा होगा जानें लेख में…

 

मध्यप्रदेश सरकार अब किसानों को सहकारी समितियों में सलाहकार बनाए जाएंगे।

प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में प्रशासक को सलाह देने के लिए बनेगी समिति।

पांच सदस्यीय प्रत्येक समिति में तीन किसान रहेंगे।

समितियों के चुनाव चार साल से नहीं हुए हैं और पूरी व्यवस्था शासकीय कर्मचारियों के हाथ में हैं।

 

सलाहकार बनाए जायेंगे

मध्यप्रदेश की 4,536 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में सरकार पहली बार किसानों को सलाहकार बनाएगी।

इसके लिए शिवराज सरकार सहकारी अधिनियम में यह प्रावधान करने जा रही है, कि समिति के प्रशासक को सलाह देने के लिए पांच सदस्यीय समिति बनाई जा सकेगी।

प्रत्येक समिति में उन तीन किसानों को सलाहकार बनाया जाएगा, जो संचालक बनने की पात्रता रखते हैं।

 

यह है कारण

सलाहकार बनाने का यह कदम इसलिए भी उठाया जा रहा है, क्योंकि समितियों के चुनाव 4 साल से नहीं हुए हैं और पूरी व्यवस्था शासकीय कर्मचारियों के हाथ में हैं।

इससे किसान भी नाराज हैं और विपक्ष भी। पूरी सहकारी व्यवस्था के सरकारी नियंत्रण में होने का आरोप लगा रहे हैं।

 

सहकारी समितियों का काम..

मध्यप्रदेश में 58 लाख से ज्यादा किसान सहकारी समितियों से जुड़े हुए हैं।

लगभग 30 लाख किसान प्रतिवर्ष खरीफ और रबी फसलों के लिए खाद-बीज सहित अन्य सामग्री समितियों से लेते हैं।

खेती की लागत घटाने के लिए ब्याज रहित कृषि ऋण भी समितियों के माध्यम से दिया जाता है।

खाद के अग्रिम भंडारण के साथ गेहूं, धान, चना, सरसों, मूंग आदि फसलों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन का काम भी समितियां करती हैं।

नियमानुसार समितियों के चुनाव संचालक मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के पहले हो जाना चाहिए।

विशेेष परिस्थिति में कार्यकाल छह माह बढ़ाया जा सकता है। इसके बाद चुनाव होनेे चाहिए पर प्रदेश में ऐसा नहीं हो पा रहा है।

शीघ्र चुनाव होने की कोई संभावना भी नजर नहीं आ रही है क्योंकि अभी तक सदस्यता सूची ही तैयार नहीं हुई है।

 

जनवरी-फरवरी 2023 तक बनाए जाएंगे सलाहकार

Mp में चुनाव न कराने और समितियों का संचालन अधिकारियों से कराने को लेकर कांग्रेस सरकार पर सहकारी व्यवस्था को समाप्त करने का आरोप लगाती रही है।

विधानसभा में प्रश्न भी किए जा चुके हैं।

इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए सहकारिता विभाग ने समितियों में किसानों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए सलाहकार समिति बनाने का प्रस्ताव बनाया है, जिसे विभागीय मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।

विभागीय अधिकारियों ने सहकारी अधिनियम की धारा 58 और 49 में संशोधन के लिए विधेयक का प्रारूप तैयार करके विधि एवं विधायी विभाग को भेज दिया है।

प्रयास यही है कि 19 दिसंबर से प्रारंभ हो रहे शीतकालीन सत्र में संशोधन विधेयक प्रस्तुत कर दिया जाए ताकि जनवरी में प्रक्रिया पूरी करके फरवरी में सलाहकारों का मनोनयन हो जाए।

 

13 हजार 68 किसान होंगे सलाहकार

समितियों में सलाहकार मनोनीत करने का लाभ यह होगा कि किसानों की नाराजगी समाप्त हो जाएगा।

लंबे समय से चुनाव न होने के कारण किसान नाराज हैं। वहीं, मुख्य विपक्षी दल भी आरोप नहीं लगा पाएगा कि पूरी सहकारी व्यवस्था सरकारी नियंत्रण में हैं।

प्रत्येक समिति में तीन किसानों के हिसाब 13 हजार 68 सलाहकार बनाए जाएंगे।

इनका काम समितियों की व्यवस्थाओं को देखने के साथ कामकाज को लेकर प्रशासक को सलाह देने का होगा।

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