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कैसे होती है मेथी के खेती

 

अच्छी किस्म से लेकर बुवाई का सही तरीका

 

परंपरा से हटकर खेती करने की सोच रहे किसानों के लिए मेथी की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है.

इस खबर में हम मेथी की खेती के बारे में सब कुछ जानेंगे.

 

मेथी भी मसाला श्रेणी की फसल है. भारत में इसकी पत्तियों का सेवन बतौर सब्जी होता है तो इसके बीज का उपयोग मसालों में होता है.

परंपरा से हटकर खेती करने की सोच रहे किसानों के लिए यह मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है.

इस खबर में हम मेथी की खेती के बारे में सब कुछ जानेंगे.

 

फसल उत्पादन

खाद एवं उर्वरक: 8-10 टन प्रति हेक्टेयर सड़ी हुई गोबर की खाद अथवा कम्पोस्ट को बुआई से एक माह पहले खेत में अच्छी तरह मिला देना चाहिए. 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 से 40 किलोग्राम फॉस्फेट तथा 20 किलोग्राम पोटाश.

नाइट्रोजन की आधी मात्रा एवं फॉस्फोरस तथा पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा अंतिम जुताई के समय खेत मे मिला देनी चाहिए और शेष मात्रा बुआई के 30 से 60 दिन बाद डॉपड्रेसिग के रूप में सिंचाई के साथ देनी चाहिए.

सिचांई: 4 से 5 सिंचाई 15 से 20 दिनों के अन्तराल पर मौसम एवं मिट्टी के अनुसार करनी चाहिए.

खरपतवार नियंत्रण: ऑक्सीडाइआर्जिल का बुआई के बाद तथा बीज अंकुरण से पहले 75 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए व बुवाई के 45 दिनों बाद गुड़ाई करनी चाहिए.

उत्पादन : 15 -20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर दाना एवं 70-80 क्वविंटल प्रति हेक्टेयर पत्तियां.

 

फसल संरक्षण

छाछ्या रोग: 20 से 25 किलोग्राम सल्फर पाउडर का खड़ी फसल पर भुरकाव किया जाना चाहिए अथवा 0.2 प्रतिशत भीगने वाले सल्फर का छिड़काव करना चाहिए.

माहू या एफिड: डॉइमेथोएट 0.03 प्रतिशत ओर इमेडाक्लोरॉफीड 0.003 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए.

तुलासित रोग: कॉपर आक्सी क्लोराइड का 0.2 प्रतिशत अथवा हेक्जाकोनाजोल का 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव रोग की अवस्था के अनुसार किया जाना चाहिए.

पत्ती धब्बा रोग: मैन्कोजेब 0.2 प्रतिशत अथवा कार्बेन्डेजिम 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव रोग की अवस्था के अनुसार किया जाना चाहिए.

 

फसल सुधार

उपयुक्त जलवायु: उष्णकटिबंधी एवं शीतोष्ण जलवायु इस फसल के लिए उचित पाई गई है.

मृदा का चयन: बलुई, मध्यम से अधिक भारी एवं दोमट तथा उचित जल निकास युक्त मृदाएं जिनका पीएच मान 6-7 है, इस फसल के लिए उपयुक्त है.

बीज की उन्नत: प्रजातियां अजमेर फेन्यूग्रीक-1, अजमेर फेन्यूग्रीक-2, अजमेर फेन्यूग्रीक-3, आर.एम.टी.-143, आर.एम.टी.-305, राजन्द्रेर क्रांति, कसूरी मैंथी आदि.

बुवाई का समय: मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर.

बीज दर: सादा मेथी की 20-25 किलो बीज प्रति हेक्टेयर तथा कूसरी मेथी 10-12 किलो बीज प्रति हेक्टेयर.

बीज उपचार: कार्बेन्डेजिम या थाइरेम 2.0 ग्राम प्रति किलो बीज या ट्राईकोडर्मा 6 ग्राम प्रति किलो बीज से, राइजोबियम मेलिलोटाई नामक जीवाणु युक्त जैव उर्वरक से मेथी के बीजों को उपचारित करना चाहिए.