किसानों को होगा मोटा मुनाफा
कृषि वैज्ञानिकों ने बताया कि हवा में अधिक नमी होने के कारण आलू और टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है.
इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि फसल की नियमित रूप से निगरानी करना बहुत जरूरी है.
बुवाई से पहले ये काम जरूर करें किसान
बुवाई से पहले बीजों को बाविस्टिन 0 ग्राम या थायरम, 2.0 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें.
जिन खेतों में दीमक का प्रकोप हो, वहां क्लोरपाईरिफास (20 ईसी) 5.0 लीटर/हेक्टेयर की दर से पलेवा के साथ या सूखे खेत में छिड़क दें.
नत्रजन, फास्फोरस तथा पोटाश उर्वरकों की मात्रा 80, 40 व 40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर होनी चाहिए.
देर से बोई गई सरसों की फसल में विरलीकरण तथा खरपतवार नियंत्रण का कार्य करें.
औसत तापमान में कमी को ध्यान में रखते हुए सरसों की फसल में सफेद रतुआ रोग की नियमित रूप से निगरानी करें.
इस मौसम में तैयार खेतों में प्याज की रोपाई से पहले अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद तथा पोटास उर्वरक का प्रयोग अवश्य करें.
आलू और टमाटर की फसलों को निगरानी की जरूरत
आलू की फसल में उर्वरक की मात्रा डालें तथा फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें.
हवा में अधिक नमी के कारण आलू तथा टमाटर में झुलसा रोग आने की संभावना है. अतः फसल की नियमित रूप से निगरानी करें.
लक्षण दिखाई देने पर कार्बंडिजम 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या डाईथेन-एम-45 2.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
जिन किसानों की टमाटर, फूलगोभी, बन्दगोभी और ब्रोकली की पौधशाला तैयार है, वह मौसस को ध्यान में रखते हुए पौधों की रोपाई कर सकते हैं.
गोभीवर्गीय सब्जियों में पत्ती खाने वाले कीटों की निरंतर निगरानी करते रहें. यदि संख्या अधिक हो तो बी. टी.@ 1.0 ग्राम प्रति लीटर पानी या स्पेनोसेड दवा 1.0 एम.एल./3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
मिलीबग के आंतक से बचने के लिए करें ये उपाय
इस मौसम में किसान सब्जियों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को नष्ट करें, सब्जियों की फसल में सिंचाई करें तथा उसके बाद उर्वरकों का बुरकाव करें.
इस मौसम में मिलीबग के बच्चे जमीन से निकलकर आम के तनों पर चढ़ेगें, इन्हें रोकने हेतु किसान जमीन से 5 मीटर की ऊंचाई पर आम के तने के चारों तरफ 25 से 30 से.मी. चौड़ी अल्काथीन की पट्टी लपेटे. तने के आसपास की मिट्टी की खुदाई करें जिससे उनके अंडे नष्ट हो जाएंगे.
सापेक्षिक आर्द्रता के अधिक रहने की संभावना को ध्यान में रखते हुए किसानों को सलाह दी गई है कि वे अपनी गेंदे की फसल में पुष्प सड़न रोग के आक्रमण की निगरानी करते रहें.
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