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मध्य प्रदेश के किसानों के लिए जरूरी खबर

 

लहसुन की बंपर पैदावार के लिए इन किस्मों की करें बुवाई

 

मध्य प्रदेश कृषि विभाग प्रदेश की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए लहसुन की इन किस्मों की खेती करने की सलाह देता है.

इन किस्मों से अच्छी पैदावार तो होती ही है, रोग और कीटों से लड़ने में भी सक्षम होते हैं.

 

मध्य प्रदेश का मंदसौर, नीमच, रतलाम, धार, और उज्जैन जिला लहसुन की खेती के लिए पूरे देश में जाना जाता है.

इन जिलों के अलावा दूसरे जिलों में भी लहसुन की खेती होती है.

लेकिन कई बार किसान सही किस्मों का चुनाव करना भूल जाते हैं.

सही किस्मों का चयन किसानों के लिए हर खेती में फायदेमंद साबित होती है.

 

मध्य प्रदेश कृषि विभाग प्रदेश की जलवायु और मिट्टी को ध्यान में रखते हुए लहसुन की इन किस्मों की खेती करने की सलाह देता है.

इन किस्मों से अच्छी पैदावार तो होती ही है, रोग और कीटों से लड़ने में भी सक्षम होते हैं.

 

यमुना सफेद 1 (जी-1)

यमुना सफेद 1 (जी-1) इसके प्रत्येक शल्क कन्द ठोस तथा बाह्य त्वचा चांदी की तरह सफेद ए कली क्रीम के रंग की होती है.

150-160 दिनों में तैयार हो जाती है पैदावार 150-160 क्विंटल प्रति हेक्टयर तक होती है.

 

यमुना सफेद 2 (जी-50)

शल्क कन्द ठोस त्वचा सफेद गुदा, क्रीम रंग का होता है.

पैदावार 130.140 क्विंटल प्रति हेक्टयर हो जाती है. फसल 165-170 दिनों में तैयारी हो जाती है.

रोगों जैसे बैंगनी धब्बा तथा झुलसा रोग के प्रति सहनशील होती है.

 

यमुना सफेद 3 (जी-282)

इसके शल्क कन्द सफेद बड़े आकार ब्यास (4.76 से.मी.) क्लोब का रंग सफेद तथा कली क्रीम रंग का होता है.

15-16 क्लाब प्रति शल्क पाया जाता है. यह प्रजाति 140-150 दिनों में तैयार हो जाती है.

इसकी पैदावार 175-200 क्विंटल / हेक्टेयर है. ये किस्म निर्यात की दृष्टी से बहुत ही अच्छी है.

 

यमुना सफेद 4 (जी-323)

इसके शल्क कन्द सफेद बड़े आकार (ब्यास 4.5 से.मी.) क्लोब का रंग सफेद तथा कली क्रीम रंग का होता है.

18-23 क्लाब प्रति शल्क पाया जाता है. यह प्रजाति 165-175 दिनों में तैयार हो जाती है.

इसकी पैदावार 200-250 क्विंटल/हेक्टेयर है. यह किस्म भी निर्यात के लिए अच्छी मानी जाती है.

 

मध्य प्रदेश में इसके अलावा महादेव, अमलेटा किस्म की खेती भी किसान कर सकते हैं. इन किस्मों की भी पैदावार अच्छी होती है.

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