एमपी के छिन्दवाड़ा जिले के खजरी गांव के किसान राहुल कुमार वसूले एक प्रगतिशील किसान हैं।
कभी 15 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर नौकरी करने वाले राहुल ने इंजीनियरिंग और प्रबंधन की पढ़ाई करने के बाद पॉवर प्लांट में काम किया।
लेकिन परिवार के स्वास्थ्य पर रसायनिक खेती के दुष्प्रभावों को देखकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी और जैविक व प्राकृतिक खेती की राह चुनी।
अब सालाना कमा रहे हैं 1.5 करोड़ रुपये
बी.टेक और एम.बी.ए. की शिक्षा लेने के बाद राहुल ने लगभग 15 वर्षों तक पॉवर प्लांट में कार्य किया, लेकिन अपने पिता और पुत्र को कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में खोने के बाद उन्होंने महसूस किया कि इन समस्याओं की मूल जड़ रासायनिक खेती से पैदा हुआ अनाज और सब्जियां हैं।
इस गहरी सोच के बाद उन्होंने वर्ष 2018 में अपनी नौकरी छोड़कर जैविक खेती करने का फैसला किया।
जैविक खेती को समझने और इसे प्रभावी ढंग से अपनाने के लिए राहुल ने राज्य सरकार की मदद से देश के विभिन्न संस्थानों और वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन लिया।
उन्होंने जीवामृत, घनजीवामृत, केंचुआ खाद और नीमास्त्र जैसे जैविक उत्पाद तैयार करना सीखा।
साथ ही इज़राइल की तकनीक से संरक्षित खेती और मशरूम उत्पादन जैसे आधुनिक तरीके भी अपनाये।
जैविक खेती में सर्वश्रेष्ठ काम करने के चलते मिले यह आवार्ड
राहुल की प्रगतिशीलता से उन्हें 1 से 3 दिसंबर 2024 तक पूसा, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उन्हें ‘मिलेनियर फॉर्मर ऑफ इंडिया 2024’ जैसे प्रतिष्ठित नेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया।
वर्ष 2022 में आगरा में उन्हें जैविक इंडिया अवार्ड भी मिल चुका है। इसके अलावा वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में गौ आधारित जैविक कृषि अवार्ड में भी राहुल को सम्मानित किया गया।
जैविक खेती से कर रहे हैं करोड़ों रुपये की कमाई
किसान राहुल के पास 10 एकड़ भूमि है, जहां वे गेहूं, ज्वार, बाजरा, रागी, चना, मूंग, और सब्जियों की खेती करते हैं।
उन्होंने प्राकृतिक खाद और जैविक तरीकों का उपयोग कर अपनी उपज की गुणवत्ता को बेहतर बनाया। इसके अलावा वे दुग्ध और मशरूम उत्पादन भी कर रहे हैं।
राहुल की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि है “रसायनमुक्त नवरत्न आटा” जिसमें ज्वार, बाजरा, रागी, मूंग, काला गेहूं और अन्य अनाज भी शामिल हैं।
यह आटा उनके जैविक प्र-संस्करण यूनिट में तैयार होता है, जो ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
इस यूनिट से क्षेत्र के 50 से अधिक जरूरतमंद लोगों को रोजगार भी मिला है।
राहुल पहले 15 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी कर रहे थे, अब खेती करने के बाद उनका का वार्षिक टर्नओवर 1.5 करोड़ रुपये से अधिक है। उनके उत्पाद गुरुग्राम, नोएडा, पुणे, मुंबई जैसे शहरों तक भेजे जा रहे हैं।
राहुल ने “श्रीराम जैविक कृषक समूह” की स्थापना की, जिससे 600 से अधिक किसान जुड़े हैं। वे सभी किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करते हैं और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाते हैं।
उनकी सफलता ने आसपास के किसानों को भी रसायनमुक्त खेती की ओर मोड़ दिया है।
यह भी पढ़ें : क्या 6,000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल सकता है सोयाबीन का दाम?