लंपी वैक्सीन
अभी तक भैंस वंशीय पशु में लंपी चर्म रोग के लक्षण नहीं मिले
केन्द्र सरकार द्वारा मध्यप्रदेश को लंपी चर्म रोग से पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 14 लाख गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध कराई गई है।
टीकाकरण के लिए 4 केन्द्र बिंदु (फोकल पॉइंट) इंदौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन निर्धारित किये गये हैं।
इंदौर केन्द्र बिंदु में 5 लाख 34 हजार 762, भोपाल में 3 लाख 45 हजार 690, ग्वालियर में 2 लाख 87 हजार 68 और उज्जैन केन्द्र बिंदु में शामिल जिलों को 2 लाख 32 हजार 480 वैक्सीन सीधे पहुँचा भी दी गई है।
संबंधित जिलों के पशु चिकित्सकों को विडियो कॉन्फ्रेसिंग से प्रशिक्षण दिया जाकर संचालक पशुपालन एवं डेयरी डॉ. आर.के मेहिया ने युद्ध स्तर पर गौवंश का टीकाकरण करने के निर्देश दिये हैं।
भैंस-वंशीय पशु में लंपी रोग के लक्षण नहीं
डॉ. मेहिया ने कहा है कि प्रभावित गाँव और उसके चारों तरफ प्राथमिकता से रिंग वैक्सीनेशन करें।
केन्द्र सरकार द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन करते हुए निरंतर निगरानी के साथ टीकाकरण कर इस चुनौती को जल्द से जल्द समाप्त करने का प्रयास करें।
डॉ. मेहिया ने कहा कि बहुत बड़ी राहत की बात है कि प्रदेश में अब तक किसी भैंस-वंशीय पशु में लंपी रोग के लक्षण नहीं मिले हैं।
कहाँ कितनी वैक्सीन भेजी गई
इंदौर केन्द्र बिंदु में शामिल
- इंदौर जिले को 39 हजार 579,
- अलीराजपुर को 59 हजार 732,
- धार को एक लाख 9 हजार 484,
- खंडवा को 61 हजार 681,
- झाबुआ को 71 हजार 89,
- खरगौन को एक लाख एक हजार 132,
- बड़वानी को 69 हजार 322 और
- बुरहानपुर जिले को 22 हजार 743 वैक्सीन भेजी गई है।
भोपाल केन्द्र बिंदु में शामिल
- बैतूल जिले को 94 हजार 579,
- सीहोर को 60 हजार 809,
- नर्मदापुरम को 54 हजार 508,
- राजगढ़ को 44 हजार 839,
- हरदा को 26 हजार 315 और
- छतरपुर जिले को 50 हजार 105 वैक्सीन भेजी गई हैं।
ग्वालियर केन्द्र बिंदु के
- शिवपुरी जिले को 61 हजार 34,
- गुना को 61 हजार 832,
- श्योपुर को 43 हजार 579,
- अशोकनगर को 38 हजार 662,
- ग्वालियर को 24 हजार 196,
- भिंड को 21007,
- दतिया को 18 हजार 848 और
- मुरैना जिले को 17 हजार 910 गोट पॉक्स वैक्सीन उपलब्ध करा दी गई है।
उज्जैन फोकल पॉइंट में शामिल
- रतलाम जिले को 52 हजार 758,
- मंदसौर को 43 हजार 552,
- उज्जैन को 43 हजार 811,
- नीमच को 39 हजार 162,
- शाजापुर को 26 हजार 944 और
- आगर-मालवा को 26 हजार 253 गोट पॉक्स वैक्सीन भेज दी गई है।
गढ्ढा खोद कर दफनाएँ मृत पशु
संचालक डॉ. मेहिया ने जिलों में पदस्थ संयुक्त संचालकों और उप संचालकों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि लंपी से मृत पशु को गाँव या शहर के बाहर स्थानीय प्रशासन की मदद से गढ्ढा खोद कर चूना और नमक के साथ दफनायाँ जा रहा है।
खुले में मृत पशु का शरीर बिल्कुल न रहने दें। अन्यथा कुत्ते, चील-कौआ, मच्छर, मक्खी बीमारी के संवाहक बन सकते हैं।
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