घर में नीम से जैविक कीटनाशक बनाने की विधि

किसान खेतों में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग करते हैं, जिसका फसलों पर बुरा असर पड़ता है.

ऐसे में नीम की पत्तियों और बीज से बना कीटनाशक पौधों के लिए काफी प्रभावी और सस्ता होता है.

 

जैविक कीटनाशक

वर्तमान समय में खेतों में अच्छी पैदावार के लिए किसान रासायनिक उर्वरक और खाद का प्रयोग काफी मात्रा में करते हैं.

ऐसे में इन उर्वरकों के माध्यम से पैदा हुई फल, सब्जियों और अनाजों के सेवन से शरीर में रोग उत्पन्न होते हैं और यह वातावरण में प्रदूषण का कारण भी बनते हैं.

बाजार में इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है.

ऐसे में किसान भाई यदि जैविक कीटनाशकों को प्रयोग करते हैं तो इससे ना सिर्फ उनकी खेती की लागत में कमी आएगी, बल्कि इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी एक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

जैविक खाद हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित रखने में मदद करता है.

 

पत्तियों से कीटनाशक बनाने की विधि

  • सर्वप्रथम नीम की पत्तियों को इकट्ठा कर उसे खूब अच्छी तरह से धूप में सुखा लें.
  • नीम की पत्तियों को सूख जाने के बाद उन्हें पानी में भिगो कर रख दें.
  • इसके बाद इस पानी का पौधों पर छिडक़ाव करें.
  • इस पानी के छिडक़ाव से फसलों पर कीटों का प्रभाव बिल्कुल ही नहीं होगा. इस पानी का उपयोग आप बैंगन, गोभी, पालक और भिंडी के पौधौ पर भी कर सकते हैं.

 

बीज से कीटनाशक बनाने की विधि

  • कीटनाशक बनाने के लिए सबसे पहले 6 किलोग्राम बारीक कुटी हुए नीम के बीज को लगभग 30 से 35 लीटर पानी में चार दिनों के लिए फूलने को रख दें.
  • चार दिन बीतने के बाद 500 ग्राम पिसी हुई हरी मिर्च और 100 ग्राम धतूरे के रस को इसमें मिला दें और इससे लगभग 6 लीटर अर्क निकाल लें.
  • पौधे पर छिड़काव के लिए लगभग 30 लीटर शुद्ध पानी में 3 लीटर अर्क को मिलाकर उस पर छिड़काव करें.
  • यह दवा फसलों के पत्तों पर लगने वाले कीट, मच्छर और माहू आदि सभी को नष्ट कर देता है.
  • नीम के बीज से बने जैविक कीटनाशक का छिड़काव करने से पौधों का विकास काफी अच्छी तरह से होता है.

 

जैविक कीटनाशक के प्रयोग से लाभ
  • इस कीटनाशक को बनाने में रासायनिक कीटनाशक की तुलना में काफी कम खर्च आता है.
  • जैविक कीटनाशक कुछ ही दिनों में मिट्टी में मिलकर अपघटित हो जाते हैं और इसका कोई भी दुष्परिणाम नहीं होता है, जबकि रासायनिक कीटनाशक मिट्टी और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक होते हैं.
  • जैविक कीटनाशक केवल हानिकारक कीटों एवं बीमारियों को मारते है, जबकि रासायनिक कीटनाशकों मित्र कीटों को भी नष्ट कर देते हैं.
  • जैविक कीटनाशकों का उपयोग करनें से कीटों के जैविक स्वभाव में किसी भी प्रकार परिवर्तन नहीं होता है, जबकि रासायनिक कीटनाशकों के प्रति कीट प्रतिरोधी क्षमता का विकास कर लेते हैं.
  • रासायनिक कीटनाशक पर्यावरण के लिए भी एक खतरा है, जबकि जैविक कीटनाशक पर्यावरण के लिए काफी लाभकारी होते हैं.

 

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