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पिछले 6 वर्षो में दूध उत्पादन 6.3 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ा

प्रति व्यक्ति उपलब्धता में 100 ग्राम की वृद्धि

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने वर्ष 2019-20 के दौरान 19.84 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया.

उन्होंने कहा कि दूध के उत्पादन का मूल्य 2018-19 के दौरान मौजूदा कीमतों पर 7.72 लाख करोड़ रुपए से अधिक है.

यह गेहूं और धान के कुल उत्पादन मूल्य से अधिक है.

 

भारत में दूध उत्पादन पिछले छह वर्षों के दौरान सालाना औसतन 6.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है.

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह ने यह जानकारी दी. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने वर्ष 2019-20 के दौरान 19.84 करोड़ टन दूध का उत्पादन किया.

उन्होंने कहा कि दूध के उत्पादन का मूल्य 2018-19 के दौरान मौजूदा कीमतों पर 7.72 लाख करोड़ रुपए से अधिक है. यह गेहूं और धान के कुल उत्पादन मूल्य से अधिक है.

 

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सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि पिछले छह वर्षों के दौरान दुग्ध उत्पादन औसतन 6.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ा है जबकि विश्व दुग्ध उत्पादन 1.5 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है.

प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता वर्ष 2013-14 में प्रति व्यक्ति 307 ग्राम से बढ़कर वर्ष 2019-2020 में प्रति व्यक्ति प्रति दिन 406 ग्राम हो गई है.

 

मवेशी और डेयरी क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार शुरू

गिरिराज सिहं मंगलवार को विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर आयोजित ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

मंत्री ने मवेशी और डेयरी क्षेत्र के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार, गोपाल रत्न पुरस्कार शुरू करने की घोषणा की.

उन्होंने उल्लेख किया कि पात्र किसान, डेयरी सहकारी समितियां या एआई तकनीशियन पुरस्कार के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं और पुरस्कार के लिए पोर्टल 15 जुलाई 2021 से खुलेगा.

पुरस्कार के लिए विजेताओं की घोषणा 31 अक्टूबर 2021 को की जाएगी.

 

विश्व दुग्ध दिवस के अवसर पर एपीडा ने मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय (एमएफएएचडी) के सहयोग से एक कार्यक्रम आयोजित किया था.

कार्यक्रम में मुख्य भाषण देते हुए एमएफएएचडी के सचिव अतुल चतुर्वेदी ने कहा कि भारत दूध के उत्पादन में आत्मनिर्भर है और निर्यात के लिए पर्याप्त मात्रा में अतिरिक्त दूध भी उसके पास उपलब्ध है.

 

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उन्होंने कहा कि कोविड-19 ने हमें एक सबक सिखाया है कि रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाने में डेयरी उत्पाद बेहद उपयोगी हैं.

ऐसे में उस वर्ग के लिए ऐसे उत्पादों की बड़ी आवश्यकता है जो गुणवत्ता वाले उत्पाद के लिए किसी भी कीमत का भुगतान करने के लिए तैयार हैं.

 

पशुआधार के इस्तेमाल से चारा की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही

चतुर्वेदी ने कहा कि पशुओं में गुणवत्ता वाले चारे और पोषक आहार की उपलब्धता सुनिश्चित करने और उनके बारे में जानकारी लेने के लिए पशुआधार का इस्तेमाल किया जा रहा है.

एमएफएएचडी के पास आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ) के जरिए बुनियादी ढांचे के विकास की योजना है.

इसके अलावा उद्यमियों, निजी कंपनियों, एमएसएमई, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और कंपनियों को डेयरी प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन इंफ्रास्ट्रक्चर और पशु चारा संयंत्र की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. जिससे वह इन क्षेत्रों में निवेश कर सके.

 

एमएफएएचडी की संयुक्त सचिव डॉ वर्षा जोशी ने कहा कि डेयरी निर्यातकों के सामने आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा कि डेयरी उद्यमियों की सहायता के लिए एक निवेश प्रोत्साहन डेस्क की स्थापना की गई है.

उन्होंने कहा कि डेयरी उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए एपीडा के सहयोग से इसके बाजार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है.

 

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