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MSP पर 80 लाख टन गेहूं खरीदेगी एमपी सरकार

3480 केंद्रों से पंजीकरण करवा सकेंगे किसान

 

एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले किसानों को सीधा बैंक खाते में पेमेंट मिलेगा.

व्यापारी और बिचौलियों की मध्यस्थता की भी चिंता नहीं रहेगी.

रजिस्टर्ड किसान बिना गड़बड़ी के वाजिब दाम पा सकेंगे.

 

रबी विपणन सीजन के लिए गुजरात और मध्य प्रदेश में नए गेहूं की आवक चालू हो गई है, हालांकि अभी गेहूं की खरीद धीमी गति से ही चल रही है.

मध्य प्रदेश में किसानों से इस बार सरकार 2,125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदने जा रही है. राज्य में 3,480 केंद्रों पर पंजीयन की प्रक्रिया चालू हो गई है.

विभाग की ओर से दी गई जानकारी के लिए मुताबिक, किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचने के लिए किसान प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में जाकर अपना पंजीयन करवा सकते हैं.

50 रुपये के निर्धारित शुल्क पर एमपी ऑनलाइन, कॉमन सर्विस सेंटर या लोकसेवा केंद्र पर भी देकर पंजीयन की सुविधा दी जा रही है.

 

इन बातों का रखें खास ध्यान

जानकारी के लिए बता दें कि पंजीकरण के दौरान किसान को गेहूं के बुवाई के रकबा और गेहूं की खरीद के लिए चुने गए केंद्र की जानकारी देनी होगी, जिसका सत्यापन पटवारियों से करवाया जाएगा.

एमएसपी पर गेहूं बेचने वाले किसानों को सीधा बैंक खाते में पेमेंट मिलेगा.

इससे व्यापारी और बिचौलियों की मध्यस्थता की चिंता नहीं रहेगी और बिना गड़बड़ी के सीधा किसानों को गेहूं बिक्री का पैसा मिलेगा.

 

सरकार ने खोले 3,480 पंजीयन केंद्र

खाद्य विभाग के अधिकारियों की मानें तो मध्य प्रदेश में किसानों के रजिस्ट्रेशन के लिए 3,480 पंजीयन केंद्र बनाए गए हैं,

जो भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं बेचना चाहते हैं उन सब के लिए पंजीयन की प्रक्रिया अनिवार्य है.

कुछ समय पहले तक सरकार को गेहूं बेचने के नियम अलग थे.

किसान को मोबाइल पर तारीख मिलती थी और इसी तारीख को गेहूं बेचना अनिवार्य रहता था, जबकि नई व्यवस्था से किसी भी समय गेहूं बेच सकते हैं.

 

ऐसे करवाएं रजिस्ट्रेशन

किसान ऑनलाइन कियोस्क, कॉमन सर्विस सेंटर, लोक सेवा केंद्र और साइबर कैफे पर अपना रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं.

चाहें तो एमपी किसान एप्लीकेशन की मदद स्व-पंजीकरण भी कर सकते हैं.

इस दौरान मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी मिलेगा, जिससे किसान की पहचान प्रमाणित की जाएगी.

किसान को अपना बैंक खाता नंबर और आधार कार्ड संख्या भी दर्ज करवाना होगा, ताकि सीधा खाते में पेमेंट की जा सके.

 

यदि गेहूं की बुवाई वाली जमीन मृतक के नाम है तो उस पर खेती करने वाले उत्तराधिकारी के नाम से रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

इसके अलावा, सिकमी, बटाईदार, कोटवार एवं वन पट्टाधारक किसानों को भी सहकारी समिति या विपणन समिति संस्था लेवल पर स्थापित केंद्रों से पंजीकरण करवाना अनिवार्य है.

रजिस्ट्रेशन की लास्ट डेट 28 फरवरी रखी गई है, जिसके बाद गेहूं का उपार्जन किया जाएगा.

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