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आखिर ऐसा क्या हुआ कि अचानक 3753 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया प्याज का थोक दाम

 

प्याज का थोक दाम बढे 

 

एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव में अभी कितना है रेट, क्या और महंगा होगा प्याज, ऐसी संभावना है तो उसकी वजह क्या है, जानिए सबकुछ.

 

प्याज के सबसे बड़े उत्पादक महाराष्ट्र में अब इसका दाम रोजाना नई ऊंचाई पर पहुंचने लगा है.

जुलाई और अगस्त के मुकाबले अक्टूबर में रेट काफी बढ़ गया है.

यहां की पिंपलगांव मंडी इसका अधिकतम रेट 3753 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है.

किसानों के मुताबिक 2 अक्टूबर को यहां 2850 रुपये मॉडल प्राइस था, जबकि 1500 रुपये क्विंटल न्यूनतम.

सवाल ये है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि जुलाई-अगस्त और सितंबर में प्याज का जो दाम 1200 से 1500 रुपये क्विंटल था वो अब डबल से भी अधिक हो गया है?

 

महाराष्ट्र प्याज उत्पादक संगठन के संस्थापक अध्यक्ष भारत दिघोले ने बताया कि इसकी बड़ी वजह बारिश और बाढ़ की वजह से कई जिलों में अप्रैल-मई की स्टोर करके रखी गई प्याज का सड़ना भी है.

इस साल मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड, औरंगाबाद, उस्मानाबाद और लातूर आदि में रखी गई प्याज भीग गई है या उसमें नमी आ गई.

नासिक, अहमदनगर, धुले, सोलापुर और जलगांव में भी काफी किसानों की प्याज सड़ गई है.

जिसकी वजह से दाम में तेजी देखने को मिल रही है. जब बड़े पैमाने पर नुकसान होगा तो मांग और आपूर्ति में अंतर दिखेगा और दाम बढ़ जाएगा.

 

प्याज के रेट में वृद्धि की ऐसी है रफ्तार

  • एशिया की सबसे बड़ी मंडी लासलगांव में 2 अक्टूबर को प्याज का न्यूनतम रेट 1000, मॉडल प्राइस 2970 और अधिकतम 3101 रुपये रेट था.
  • 2 अक्टूबर को ही पिंपलगांव मंडी में न्यूनतम रेट 1500, मॉडल प्राइस 2850 और अधिकतम रेट 3753 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
  • 29 सितंबर को लासलगांव मंडी (Lasalgaon Mandi) में न्यूनतम 700, अधिकतम 2361 और मॉडल प्राइस 2150 रुपये प्रति क्विंटल था.

 

पहले कितना था दाम

  • 2 सितंबर को पिंपलगांव मंडी में न्यूनतम दाम 950, मॉडल प्राइस 1580 और अधिकतम 1701 रुपये प्रति क्विंटल का दाम था.
  • 3 सितंबर को लासलगांव में न्यूनतम रेट 500, मॉडल प्राइस 1540 और अधिकतम 1676 रुपये प्रति क्विंटल का रेट रहा था.
  • 25 अगस्त को लासलगांव में न्यूनतम रेट 600, मॉडल प्राइस 1551 जबकि अधिकतम दाम 1781 रुपये प्रति क्विंटल था.

 

किसानों को मिली राहत

प्याज का थोक रेट बढ़ने से किसानों ने राहत की सांस ली है. क्योंकि प्याज सड़ने से उनका पहले ही लाखों का नुकसान हो चुका है.

दूसरे अब इसकी उत्पादन लागत 15 से 16 रुपये प्रति किलो हो गई है.

ऐसे में उन्हें अच्छा फायदा तब मिलेगा जब यह कम से कम 30 रुपये के रेट पर बिकेगी.

प्याज के दाम के इस रुख ने बता दिया है कि अभी तेजी कायम रहेगी.

 

क्यों और बढ़ सकता है दाम?

महाराष्ट्र में बारिश और बाढ़ ने प्याज की फसल को चौपट कर दिया है तो दूसरी ओर प्याज उत्पादक दूसरे प्रदेशों जैसे यूपी और बिहार में ‘ताउते’ और ‘यास’ तूफानों की वजह से पहले ही प्याज की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंच चुका है.

इन प्रदेशों में तो काफी प्याज खेतों में ही सड़ गई. इन हालातों की वजह से इस साल दाम और बढ़ने का अनुमान है.

दाम नहीं बढ़ा तो किसानों के नुकसान की भरपाई संभव नहीं होगी.

 

प्याज उत्पादन में भारत
  1. महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, यूपी, बिहार, गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान इसके बड़े उत्पादक हैं.
  2. देश में सालाना प्याज उत्पादन औसतन 2.25 से 2.50 करोड़ मीट्रिक टन के बीच है.
  3. हर साल कम से कम 1.5 करोड़ मीट्रिक टन प्याज बेची जाती है.
  4. करीब 10 से 20 लाख मीट्रिक टन प्याज स्टोरेज के दौरान खराब हो जाती है.
  5. औसतन 35 लाख मीट्रिक टन प्याज एक्सपोर्ट की जाती है.
  6. 2020-21 में इसका उत्पादन 26.09 मिलियन टन होने का अनुमान है.

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